फर्जी प्रमाण पत्रों पर प्रशासन नहीं करता कार्रवाई

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ग्रेटर न¨एडा।छात्रवृत्ति वितरण मामले को लेकर समाज कल्याण विभाग पर आए दिन उंगलियां उठती रहती है, मगर रेवेन्यू विभाग पर किसी की नजर नहीं पड़ती है। लेखपालों की मिली भगत से बन रहे फर्जी प्रमाण पत्रों के चलते समाज कल्याण विभाग की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं और लगातार विद्यार्थियों की आय घटती जा रही है। जिसके चलते इस बार छात्रवृत्ति योजना को लेकर समाज कल्याण विभाग काफी सख्त हो गया है।

शासन से मिलने वाली छात्रवृत्ति और फीस प्रतिपूर्ति शुल्क पाने के लिए विद्यार्थियों द्वारा जमकर आय प्रमाण पत्रों में हेराफेरी की जा रही है। पिछले वर्ष 36 हजार वार्षिक आय तक के समान्य वर्ग के विद्यार्थियों को ही योजना का लाभ मिल सका था। समान्य वर्ग के सभी विद्यार्थियों द्वारा योजना का लाभ लेने की कोशिश की जा रही है। लिहाजा आय प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़े का खेल धड़ल्ले से चल रहा है और इस पर जिलाधिकारी की नजर नहीं है। जिले में एक मजदूर भी रोजाना 300 रुपए की दिहाड़ी कर लेता है। इस लिहाज से एक मजदूर महीने में 9 हजार रुपए की कमाई करता है और वार्षिक औसतन एक लाख रुपए की आय करता है। वहीं, अन्य धंधे में इससे भी अधिक की लोगों को आय होती है। इसके बाद भी जिले में धड़ल्ले से 24 से 30 हजार वार्षिक आय वाले सैकड़ों आय प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। जबकि पिछले वर्ष इनमें से अधिकांश आय प्रमाण 50 से 60 हजार रुपए वार्षिक आय वाले थे। कम आय का प्रमाण पत्र जारी करने के लिए लेखपालों द्वारा मोटी रकम ली जाती है। जिस पर जिला प्रशासन की नजर नहीं है। दूसरी तरफ, कम आय वालों की संख्या अधिक होने के कारण समाज कल्याण विभाग पर बोझ बढ़ता जा रहा है। समाज कल्याण अधिकारी का कहना है कि पिछले साल समान्य वर्ग के 175 आय प्रमाण पत्रों में उन्होंने फर्जीवाड़ा पकड़ा था और उन्हें योजना का लाभ नहीं दिया गया था। पिछले साल 36 हजार वार्षिक आय तक ही छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिला था। इसलिए इस बार विद्यार्थियों द्वारा आय प्रमाण पत्र बनवाने में काफी हेराफेरी की गई है। अभी तक प्राप्त आवेदनों में अधिकांश विद्यार्थियों की आय 24 से 30 हजार रुपए वार्षिक है। जो काफी कम है। करीब 80 विद्यार्थियों ने रजिस्ट्रेशन किया है और शनिवार तक 55 हजार विद्यार्थियों द्वारा प्रिंट लिया गया है। पिछले साल तकरीबन 30 हजार विद्यार्थियों को योजना का लाभ मिला था, मगर इस बार संख्या बढ़ने की उम्मीद दिख रही है। सभी काॅलेजों को अपने विद्यार्थियों द्वारा पिछले वर्ष सौंपे गए आय प्रमाण पत्रों से मिलान करने का निर्देश दिया गया है। साफ कहा गया है कि अगर पिछले साल आय अधिक है और इस बार आय कम दिखाई गई है,।

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