शारदा अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति विभाग ने इकटोपीक प्रेग्नेन्सी (नली में गर्भ) का एक अचंभित भरा सफल आॅपरेशन
GREATER NOIDA LOKESH GOSWAMI
शारदा अस्पताल ग्रेटर नोएडा के स्त्री एवं प्रसूति विभाग ने इकटोपीक प्रेग्नेन्सी (नली में गर्भ) का एक अचंभित भरा सफल आॅपरेशन किया गया।एक महिला जिसे 2 महिने का गर्भ नली में ठहर गया था (इकटोपीक प्रेग्नेन्सी) को एक निजी अस्पताल दादरी से रेफर कर शारदा अस्पताल भेजा गया था, ऐसी स्थिती में मरीज की जान बचाने के लिए नली (फेलोपियन ट्यूब) को निकाल दिया जाता है। इस निःसंतान महिला की 2 साल पहले इसी परेशानी की वजह से एक तरफ की नली निकाली जा चुकी थी। ऐसे में यदि दूसरी नली को भी निकाल दिया जाता तो प्राकृतिक तरीके से कभी गर्भ धारण नहीं कर पाती। इस कठिन समस्या से जू-हजयने के लिए आपातकाल में एसोसियेट प्रोफेसर डाॅ0 अर्चना मेहता के नेतृत्व में बिना नली निकाले मरीज का सफल आॅपरेशन किया, ताकी भविष्य में मरीज की प्राकृतिक तरीके से गर्भ धारण करने की सम्भावना बनी रहे। अस्पताल अधिक्षक डाॅ वी.के. गुप्ता ने डाॅ अर्चना एवं डाॅ गरीमा सहित सभी सदस्यों को इस सफल सर्जरी के लिए बधाई दी। सामान्य प्रेग्नेन्सी में भ्रूण का विकास गर्भाशय के अन्दर होता है। लेकिन कई बार इकटोपीक प्रग्नेन्सी में भ्रूण का विकास फेलोपियन ट्यूब, अण्डेदानी और कई बार गर्भ के बाहर पेट में कहीं भी हो जाता है। डा0 अर्चना मेहता के अनुसार जब इसका आकार धीरे धीरे ब-सजय़ने लगे तो यह फट भी सकता है। इस बीमारी के कई लक्षण पाये जाते हैं जैसे पेट में हल्का या तेज दर्द होना, रक्तस्राव,चक्कर और बेहो-रु39या हो जाना। इस स्थिती में महिला को अगर तुरन्त इलाज न मिले तो उसकी जान भी जा सकती है। यह परेशानी उन महिलाओं में ज्यादा पायी जाती है जिनमें बच्चेदानी का संक्रमण हो, कभी पेट का आॅपरेशन हुआ हो या निःसंतानता की वजह से माँ बनने का इलाज कराया हो।इस परेशानी को शुरूआती समय में दवाईयों की सहायता से रोका जा सकता है। लेकिन अगर भ्रूण काफी बड़ा हो गया हो तो सर्जरी की सहायता से निकाला जाता है। इस परेशानी से बचने के लिए गर्भवती महिला को अधिक सतर्कता बरतनी चहिए। इसकी जाँच के लिए विशेषज्ञ सोनोग्राफी करवाते हैं, जिसमें भ्रूण की स्थिती का ठीक से पता चल जाता है। इकटोपीक प्रग्नेन्सी होने पर डाॅक्टर फौरन भ्रूण को कलवाने की सलाह देते हैं, वरना फेलोपियन ट्यूब के फटने से महिला की जान जा सकती है, इसके लिए खास जरूरी है कि गर्भावस्था की शुरूआत से ही नियमित जाँच करायी जाए।ज्ञाप्त है कि शारदा अस्पताल 900 बेड का अस्पताल है, जिसमें गरीब मरीजों को अत्यन्त रियायती दरों पर चिकित्सा उपलब्ध करायी जाती है, यहाँ 300 से अधिक डाॅक्टर 24 घंटे मरीजों की सेवा में कार्यरत हैं।