मानव सभ्यसता का विनाश होने से बचाइए .
अनिल निगम
दिल्ली–एनसीआर में पटाखे बेचने पर प्रतिबंध होने के बावजूद पटाखें न केवल खूब बिके बल्कि लोगों ने जमकर फोड़े भी । इस दौरान पटाखों की खरीद फरोख्त में दुकानदारों और खरीदारों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जमकर धज्जियां भी उड़ाईं । हालांकि राहत की बात यह रही कि पटाखों के प्रतिबंध के कारण प्रदूषण का यह स्तर पिछली दिवाली की तुलना में कुछ कम रहा है । दिल्ली, नोएडा, गुड़गांव, और फरीदाबाद में लोग बिक्री पर बैन के बावजूद पटाखे जुटाने में लगे रहे। यही कारण है कि पटाखे बेचने पर सुप्रीम कोर्ट की पाबंदी के बाद भी दिवाली की रात दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो गई । अधिकतर जगहों पर धूम-धड़ाका होता रहा, लेकिन यह पिछली बार से कुछ कम अवश्य था । हालांकि पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के प्रति संजीदगी बरतने वाले समाज के शुभेच्छु लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया, पर अंधविश्वासी और पैसे की गर्मी रखने वाले दिल्ली एनसीआर के लोगो ने न तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान किया और न ही समाज के प्रति कोई संजीदगी दिखाई ।
प्रदूषण के स्तर को मापने वाले यंत्र दिवाली के दिन शाम 7 बजे ही हवा की गुणवत्ता के ‘काफी खराब’ होने के संकेत देने लगे थे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार 19 अक्टूबर को हवा की गुणवत्ता इंडेक्स 319 था । यह काफी खराब’ स्थिति है लेकिन पिछले साल दिवाली पर (30 अक्टूबर) हालात ज्यादा ही खराब थे। पिछले साल इंडेक्स 431 पर पहुंच गया था
बैन के कारण पटाखे की दुकानें खुलेआम नहीं लगीं और ज्यादातर लोगों ने अदालत के फैसले का सम्मान करते हुए पटाखे कम जलाए ।
वास्तविकता है कि पिछल वर्ष प्रदूषण का स्तर इतना खराब था, जिससे सांस के रोगियों को ही नहीं सामान्य लोगों को भी सांस लेने में परेशानी हुई । इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस बार दिवाली से पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखे बेचने पर पाबंदी लगा दी थी । इसके पीछे मकसद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करना था, पर इस प्रतिबंध का व्यापक असर नहीं हुआ। पटाखा बेचने पर बैन भले ही था पर पर्यावरण और समाज के प्रति बेहद लापवाही पूर्ण रवैया रखने वाले लोगों ने पटाखे चोरी छिपे दिल्ली एनसीआर से खरीदे । जिनको यहां से मिलने में परेशानी हुई उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब के अन्य शहरों से खरीद लाए और उन्होंने दिवाली के दिन जमकर पटाखे छोड़े ।
दिल्ली के विजय चौक पर प्रदूषण के कारण अभी भी धुंध छाई हुई है । यही हाल कई और इलाकों का भी था । लोधी रोड इलाके में पीएम 10 का स्तर पांच गुना बढ़ गया । पंजाबी बाग में पीएम 10 का स्तर छह गुना बढ़ा जबकि शाहदरा में पीएम दस का स्तर सात गुना बढ़ गया ।
दिल्ली के आनंद विहार में जहां प्रदूषण सामान्य से 24 गुना बढ़ गया, वहीं इंडिया गेट के आसपास के इलाके में प्रदूषण का स्तर 15 गुना अधिक पाया गया। दिल्ली के शादीपुर में पलूशन खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। यहां हवा की गुणवत्ता का स्तर 420 तक पहुंच गया ।
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर तो प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन मजे की बात यह है कि उसने पटाखे फोड़ने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था । पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली एनसीआर के कई स्थलों पर तो खुलेआम पटाखे बेचे गए । हालांकि दिल्ली पुलिस ने कुछ स्थलों पर छापेमारी कर कुछ पटाखे जब्त कर लोगों को हिरासत में भी लिया । लेकिन इस पर यदा कदा ही कार्रवाई की गई । सुप्रीम कोर्ट के फैसले से असहमत लोगों ने पटाखे फोड़ने की तैयारी पहले से ही कर रखी थी । जिन लोगों को आसानी से पटाखे दिल्ली एनसीआर में नहीं मिले, उन्होंने जुगाड़ कर पटाखे इधर उधर से मंगा लिए और उनहोंने जमकर पटाखे फोड़े ।
यहां पर महती सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के फोड़ने पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया ? मेरा मानना है कि अदालत ने धर्म से जुड़े इस मुद्दे पर पटाखों की बिक्री मात्र पर प्रतिबंध लगाकर शायद लोगों के ऊपर इस बात की जिम्मेदारी छोड़ दी कि वे अपने जीवन और सुरक्षित रखने के लिए खुद पहल करें । समाज के जिम्मेदार लोगों ने समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश भी की लेकिन अनेक लोगों ने इसके विपरीत भी काम किया । कुला मिलाकर मैं इस मसले पर यह कहना चाहता हूं कि ऐसा मुद्दा जो हमारी भावी पीढ़ी के जीवन मरण से जुड़ा हुआ है । उस पर हमें गंभीरता से चिंतन, मनन और मंथन कर समाज और राष्ट्र हित में कठोर फैसला लेने की जरूरत है ताकि मानव सभयता को सर्वनाश से बचाया जा सके ।
नोट – (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)