
नई दिल्ली : भारतवर्ष की आज़ादी को लगभग 72 वर्ष से अधिक का समय बीत जाने तथा देश में संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के बावजूद कुम्हार/प्रजापति जाति का सामाजिक, शैक्षिक, आर्थिक और राजनैतिक विकास उस रूप में नहीं हो पाया है जिसकी उन्होंने अपेक्षा की थी बल्कि अन्य समाजों की तुलना में और अधिक पिछड़ गया है।
इसी वजह से प्रजापति समाज के लोगों ने प्रधानमंत्री को खत लिखकर उन्हें 3 मई 2005 की याद दिलाने की कोशिश की है जब प्रजापति समाज ने पहली बार इस बात का ज़िक्र तब के प्रधानमंत्री के समक्ष किया था।
फिरेराम प्रजापति का कहना है कि 27 फरवरी को लगभग एक लाख़ कुम्हार/प्रजापति समाज के लोग रामलीला मैदान में इकट्ठा होने वाले हैं और अपनी मांगों को लेकर निर्णय लेंगे की अगर लोक सभा चुनाव से पहले पिछड़ी जाति में वर्गाकरण करके वंचित पिछडो को समानता का अधिकार प्राप्त नहीं कराया तो प्रजापति/कुम्हार जति के सभी लोग जो कि भारत में कुल 10% हैं, आने वाले लोक सभा चुनाव में नोटा का ऑप्शन दबा कर रूलिंग पार्टी को गिरा देंगे।
आपको बता दें कि प्रजापति समाज ने माटी कला के काम को पर्यावरण बचाओ अभियान से जोड़े जाने की भी मांग रखी है।
उनका कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर और राज्य स्तर पर माटी कला बोर्ड का गठन किया जाए, उसे संवैधानिक दर्जा दिया जाए तथा बोर्ड में सभी पदों पर प्रजापति/कुम्हार समाज के लोगों को रखा जाए।
फिरेराम प्रजापति ने प्रेस वार्ता के दौरान यह भी कहा कि मिट्टी के बर्तन बनाने वाला कुम्हार/प्रजापति एक आलोकिक कलाकर है और भारतवर्ष में कलाकारों को विधान परिषद और राज्यसभा मे भेजने का प्रावधान है अतः प्रजापति/कुम्हार को विधान परिषद और राज्यसभा मे भेजा जाए जिससे कि प्रजापति/कुम्हार समाज को राजनैतिक भागीदारी मिल सके।
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