अरविंद केजरीवाल का बयान , जब तक वैक्सीन नहीं बनती, तब तक प्लाज्मा थेरेपी मददगार , डोनेट करने के लिए लोगों से की अपील
ROHIT SHARMA
नई दिल्ली :– दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कोरोना से निपटने के लिए किए गए कामों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 लाख से ज्यादा हो गई है। हालांकि, चिंता की बात नहीं है क्योंकि 72 हजार से ज्यादा लोग ठीक भी हुए हैं।
दिल्ली में करीब 25 हजार एक्टिव केस हैं जिनमें से 15 हजार लोगों का इलाज घर पर किया जा रहा है। अस्पतालों से लोग अब ठीक होकर घर जा रहे हैं। पहले की तुलना में मौतों की संख्या भी काफी कम हुई है।
उन्होंने कहा की आज दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 1000वां मरीज स्वस्थ्य हुआ। उसे उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में डिस्चार्ज किया जाएगा। मार्च में संक्रमण फैलने के बाद से ही यहां पर कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है। शुरूआत में यहां सिर्फ 500 बेड थे, लेकिन दिल्ली में मामले बढ़ने के साथ ही दिल्ली के दो अन्य अस्पतालों के साथ यहां भी बेड की संख्या बढ़ाई गई।
जून के महीने में जब हम टेस्ट किए करते थे तो 100 में से 31 लोग संक्रमित मिलते थे लेकिन अब 100 में सिर्फ 11 पॉजिटिव केस मिलते हैं। अस्पताल में खाली बेड की जानकारी भी लोगों तक एप्प के जरिए पहुंच रही है। हमने जांच तेज की है। दिल्ली में अभी कोरोना के 15 हजार बेड हैं और केवल 5100 मरीज हैं। पिछले हफ्ते 6200 मरीज थे और आज घटकर इनकी संख्या 5100 हो गई। जहां तक संभव है लोगों को घर पर क्वारैंटाइन किया जा रहा है। हम लोगों के घर तक ऑक्सीपैड पहुंचा रहे हैं। पहले की तुलना में अब मौतों की संख्या भी काफी कम हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते हमने कोरोना प्लाज्मा बैंक शुरु की थी। चार पांच दिन से इसकी डिमांड ज्यादा है। हालांकि, इसे डोनेट करने वालों की संख्या कम है। अगर डोनेट करने वाले नहीं बढ़े तो प्लाज्मा का स्टॉक खत्म हो जाएगा।
मैं लोगों से अपील करता हूं कि वे प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आएं। ऐसा करने वालों की आने-जाने की पूरी व्यवस्था सरकार करेगी। यह प्लाज्मा बैंक नॉन कोविड अस्पाल में बनाए गए हैं। ऐसे में लोगों को डरने की जरूरत नहीं है कि उन्हें संक्रमण होगा।
दिल्ली सरकार ने राज्य के अस्पतालों के प्रमुखों को एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जितने भी मरीज हाई रिस्क जोन में हैं, उनका कोरोना का रैपिड एंटीजन डिटेक्शन टेस्ट किया जाए।
जिन मरीजों में संक्रमण के लक्षण हैं, जो मरीजों के निर्धारण के लिए बनाए गए दायरे में आते हैं, उनकी जांच हो। कीमोथैरेपी, एचआईवी पॉजिटिव, ट्रांसप्लांट जैसी दिक्कतों वाले मरीजों के साथ ही बुजुर्गों की भी जांच हो।
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