नई दिल्ली :– देश में कोरोना का कहर जारी है , कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या बढ़कर साढ़े 11 लाख के आंकड़े को पार कर गई है। पिछले 24 घंटे में देश में 37,148 केस सामने आए हैं और 587 लोगों की मौत इस महामारी से हुई है, इसी के साथ देश में कोरोना से मौत का आंकड़ा बढ़कर 28084 हो गया है।
इस लॉकडाउन में टेन न्यूज़ नेटवर्क वेबिनार के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहा है , साथ ही लोगों के मन में चल रहे सवालों के जवाब विशेषज्ञों द्वारा दिए जा रहे हैं। आपको बता दे कि टेन न्यूज़ नेटवर्क ने “फेस 2 फेस” कार्यक्रम शुरू किया है , जो टेन न्यूज़ नेटवर्क के यूट्यूब और फेसबुक पर लाइव किया जाता है।
वही “फेस 2 फेस” कार्यक्रम में मशहूर भारती विद्यापीठ संस्थान के डीन डाॅ. सचिन वेरनेकर ने हिस्सा लिया। वही आज फेस 2 फेस कार्यक्रम का विषय “कोरोना और लॉकडाउन से उच्च शिक्षा पर असर” रहा। वही इस कार्यक्रम का संचालन राघव मल्होत्रा ने किया। आपको बता दे की राघव मल्होत्रा बहुत ही मशहूर लेखक और ऊर्जावान एंकर भी है | उन्होंने टेन न्यूज़ नेटवर्क के प्लेटफार्म पर बड़े विद्वानों व मशहूर लोगों से महत्वपूर्व विषयों पर चर्चा की , जिसको लोगों ने खूब सराहना की है। राघव मल्होत्रा ने मशहूर भारती विद्यापीठ संस्थान के डीन डाॅ. सचिन वेरनेकर से बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न किए।
मशहूर भारती विद्यापीठ संस्थान के डीन डाॅ. सचिन वेरनेकर ने कहा मेरी जर्नी बहुत अच्छी रही , शुरुआत से मुझे इच्छा थी देश और विद्यार्थियों के लिए कुछ करो | गोवा से मेरी जर्नी शुरू हुई , उसके बाद मैंने 1985 में भारती विद्यापीठ संस्थान ज्वाइन किया , मुझे वहां का इतना बढ़िया कल्चर लगा , जिसके बाद मैं अभी तक भारती विद्यापीठ में ही हूं |
भारतीय विद्यापीठ के माध्यम से मैं दुनिया की सेवा करने की कोशिश कर रहा हूं , हमारी भारती विद्यापीठ की 180 शाखाएं हैं , जिसमें 6 शाखाएं में डीन पद पर कार्यरत हूं और मुझे खुशी होती है कि अपने देश , विद्यार्थियों और सोसाइटी के लिए कुछ कर पा रहा हूं |
डीन डाॅ. सचिन वेरनेकर ने कहा कि लोगों की फिजिकल और मेंटल हेल्थ देखेंगे , तो दोनों इफेक्ट हो चुकी हैं | हर रोज लोग न्यूज़ को देखते या सुनते है , तो उनके सामने स्कोर आ जाता है कि आज देश में और किस किस राज्य कितने कितने कोविड 19 के नए मरीज है । साथ ही कितने मरीज डिस्चार्ज हो गए है । जिसके कारण लोग परेशान हो रहे है, मेरी मीडिया से प्रार्थना है कि आप अपनी न्यूज़ पॉजिटिविटी से शुरुआत करें , जिससे लोग मेंटली डिस्टर्ब न हो । कोविड 19 के नाम से लोगों के अंदर डर बैठ गया है , जिसके कारण मौते भी हो रही है ।
हम टीचर्स की और भारतीय की जिम्मेदारी होनी चाहिए की कुछ पॉजिटिविटी फैलाए जिससे लोगों का मनोबल मजबूत हो सके | लोगों को समझाना पड़ेगा कि इस महामारी का इलाज है और जल्द ही वैक्सीन हमारे पास उपलब्ध होगी , 155 कंपनियां वैक्सीन को तैयार करने में लगी हुई हैं , आप देख रहे होंगे बहुत सी कंपनी दावा कर रही है की कोरोना की वैक्सीन 2 माह के अंदर देश में आ जाएगी |
डीन डाॅ. सचिन वेरनेकर ने कहा कि आपने देखा होगा की 22 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ है , लोग सोचने लगे कि क्या होगा , हर व्यक्ति के दिमाग में यह चल रहा था कि आखिर यह लॉकडाउन कब खत्म होगा | हमारे बच्चों का क्या होगा , भविष्य का क्या होगा , उनके जो कैरियर है उसका क्या होगा , हर व्यक्ति आज के समय में परेशान हैं |
पूरी दुनिया में हर कोई इस चिंता में है कि उनके बच्चों का क्या होगा , इनकी शिक्षा का क्या होगा , स्कूल और कॉलेज कब खुलेंगे , जिनको प्लेसमेंट मिली है , जिनकी नौकरियां लगी हुई है , उनका क्या होगा जिन्होंने नौकरियां गवाही है , इस लॉकडाउन और महामारी की वजह से , वह भी सोच रहे हैं कि आखिर क्या होगा |
मुझे सिर्फ यही कहना है जो हमारी जर्नी हैं , चार विषय पर है : शिक्षा , इच्छा , परीक्षा और दीक्षा | शिक्षा शुरू से लेकर अंत तक ग्रहण करते रहो , लेकिन शिक्षा कभी खत्म नहीं होती , ऐसे ही इच्छा हर किसी की इच्छा कभी खत्म नहीं होती , परीक्षा हर व्यक्ति हर मोड़ पर परीक्षा देता आ रहा है और दीक्षा का मतलब डिग्री जो आप इसके माध्यम से अपना रोजगार पा सकते हैं और जीवन भर अपने परिवार का पालन पोषण कर सकते हैं |
हम सोचते हैं कि हमारे जीवन में चार सुख हैं , हम उसके पीछे हैं | पहला सुख – निरोगी काया , घर में माया , पुत्र पुत्री आज्ञाकारी , पतिव्रता नारी इन चारों सुख से लोग लंभित होते हैं , इस लॉकडाउन में बहुत सी कंपनियां बंद हो गई , जिसके कारण लोग परेशान हैं , उसे ही तरह इस महामारी और लॉकडाउन से बहुत ज्यादा इंस्टिट्यूट पर फर्क पड़ा है , इंस्टिट्यूट में पढ़ा रहे प्रोफेसर भी मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान हुए है |
कोरोना का देश की शिक्षा पर बड़ा असर पड़ा है। कोरोना महामारी से भारत में लगभग 32 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है , जिसमें 15.81 करोड़ लड़कियां और 16.25 करोड़ लड़के शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर इस महामारी से दुनिया के 193 देशों के 157 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित हुई है, जो विभिन्न स्तरों पर दाखिला लेने वाले छात्रों का 91.3 प्रतिशत है। शिक्षा पर इस बड़े असर की विवेचना से अनेक बदलावों और चुनौतियों के बारे में पता चल रहा है।
यह प्रभाव पोस्ट कोरोना वक्त में हमारी शैक्षणिक प्रणाली का अभिन्न अंग बन सकती है , इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह कि कोरोना महामारी और उसके कारण लागू लॉकडाऊन का दौर बीतने के बाद स्कूल और कालेजों को स्थायी तकनीकी अवसंरचना में निवेश करना होगा। इसमें अध्यापकों का प्रशिक्षण डिजीटल वातावरण में काम करने के कौशल पर केंद्रित होगा। उच्च शिक्षण संस्थानों में परीक्षा पारंपरिक तरीकों की बजाय ऑनलाइन माध्यम से कराई जाएगी।
कोविड-19 का दौर बीतने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में उभरने वाले आयामों पर किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण डिजीटल माध्यम से अधिक मात्रा में लोग पढ़ाई कर रहे हैं और कम अवधि वाले पाठ्यक्रम भी लोकप्रिय हो रहे हैं। इन बदलावों से कठिनाई तो हो रही है लेकिन इनसे शिक्षा के क्षेत्र में नए विचारों के उदाहरण भी सामने आ रहे हैं। इससे यह साफ है कि शैक्षणिक जगत में डिजीटल माध्यम का प्रभाव लंबे समय तक रहने वाला है। कोरोना के दबाव के कारण स्कूल और कालेजों में पढ़ाई करने के लिए डिजीटल माध्यम का प्रयोग और अधिक किया जाएगा।
शैक्षणिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए व्हाट्सएप, जूम, टीम जैसे एप और ई-मेल का प्रयोग बढ़ेगा। अकादमिक संस्थान ऐसी संरचना का विकास करेंगे जिसमें अध्यापक और छात्र अकादमिक परिसर से बाहर रहते हुए भी पठन-पाठन कर सकेंगे। संस्थान ऐसे स्थायी तकनीकी अवसंरचना में निवेश करेंगे जिसके माध्यम से गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा दी जा सकेगी। इसमें विदेशी निवेश भी आकर्षित होगा।
विभिन्न देशों में अपनाए जा रहे तरीकों के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थान परीक्षा के पारंपरिक तरीकों की बजाय ऑनलाइन माध्यम से छात्रों का मूल्यांकन करेंगे। देश में ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ी दिक्कतों को दूर करना होगा। इंटरनैट व सूचना तकनीक की पहुंच बेहद संकुचित है।
देश में सबके लिए अच्छी स्पीड वाली इंटरनैट उपलब्धता अभी मुश्किल है। सिर्फ 42 फीसदी शहरी और 15 प्रतिशत ग्रामीण घरों में इंटरनैट की सुविधा है। अगर एक महीने में एक बार इंटरनैट का इस्तेमाल करने वालों को इंटरनैट से जुड़ा हुआ माना जाए , तो सिर्फ 34 प्रतिशत शहरी और 11 प्रतिशत ग्रामीण लोग ही इंटरनैट का इस्तेमाल करते हैं। स्मार्टफोन अभी तक हर छात्र के हाथ में नहीं पहुंचा है।
डीन डाॅ. सचिन वेरनेकर ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने विदेशों में पढऩे की इच्छा रखने वाले 48 प्रतिशत से अधिक भारतीय छात्रों का निर्णय प्रभावित किया है। विदेश में महंगी पढ़ाई में निवेश पर मिलने वाला लाभ कम होना और कोविड-19 के बाद रोजगार के अवसर कम हो जाने की वजह से छात्रों की विदेश में पढऩे की योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
आज भारत के विश्वविद्यालयों तक पहुंचने वालों की संख्या काफी कम है। उच्च शिक्षा में ग्रॉस एनरोलमैंट रेशियो 26 प्रतिशत ही है जो ज्यादातर देशों से कम है। देश के शिक्षा संस्थानों के लिए यह एक बेहतर मौका है हमें अपने यहां अकादमिक गुणवत्ता के स्तर को और सुधारना होगा ताकि देश के छात्रों का विदेशी पढ़ाई से मोह भंग हो।
एक फुर्तीले संगठन की तरह, हमारे शिक्षण संस्थानों को पोस्ट कोरोना अवसर पर और आगे बढऩा चाहिए और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों को डिजीटल वितरण की कला के सबसे क्रिएटिव तरीके सीखने चाहिएं, कोरोना महामारी का एक प्रभाव यह भी है कि उच्च शिक्षा संस्थानों के भविष्य में संचालित होने के तरीकों में एक मौलिक बदलाव होने की उम्मीद है।
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