NOIDA (14/09/20) : केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नई शिक्षा नीति-2020 को मंजूरी प्रदान की है। नई शिक्षा नीति ने 34 साल पुरानी शिक्षा नीति को बदला है, जिसे 1986 में लागू किया गया था। केंद्र सरकार के मुताबिक, नई नीति का लक्ष्य भारत के स्कूलों और उच्च शिक्षा प्रणाली में इस तरह के सुधार करना है कि भारत दुनिया में ज्ञान का ‘सुपरपॉवर कहलाए।
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पहले तीन साल बच्चे आंगनबाड़ी में प्री-स्कूलिंग शिक्षा लेंगे। फिर अगले दो साल कक्षा एक एवं दो में बच्चे स्कूल में पढ़ेंगे। इन पांच सालों की पढ़ाई के लिए एक नया पाठ्यक्रम तैयार होगा। मोटे तौर पर एक्टिविटी आधारित शिक्षण पर ध्यान रहेगा। इसमें तीन से आठ साल तक की आयु के बच्चे कवर होंगे। इस प्रकार पढ़ाई के पहले पांच साल का चरण पूरा होगा।
नई शिक्षा नीति के विषय को लेकर टेन न्यूज़ ने ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया, जिसमें शोभित विश्वविद्यालय के चांसलर व सह संस्थापक कुंवर शेखर विजेंद्र ने अपने विचार रखे।
इस कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर अतुल चौधरी ने किया, जो कि नोएडा के जाने-माने समाज सेवी हैं और देश के प्रमुख आईटी संस्थान में कार्यरत हैं। उन्होंने इस कार्यक्रम का बेहद बखूबी संचालन किया और अपने सवालों के जरिए नई शिक्षा नीति को समझने का प्रयास किया।
नई शिक्षा नीति को आप किस प्रकार देखते हैं?
इस प्रश्न का जवाब देते हुए शोभित विश्वविद्यालय के चांसलर कुंवर शेखर विजेंद्र ने कहा कि देश को नई शिक्षा नीति मिलने में 34 वर्ष का समय सरकारों को लग गया। 6 साल पहले सत्ता में आई नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह साहस दिखाया है और देश के सामने एक नई शिक्षा नीति पेश की है, जिससे निश्चित ही बच्चों में सीखने का जज्बा पैदा होगा। उन्होंने कहा कि मैं एचआरडी मिनिस्टर निशंक जी का धन्यवाद करना चाहूंगा, जिन्होंने यह साहस भरा फैसला लिया। क्योंकि जब भी कोई नई नीति बनाई जाती है तो उसके लिए काफी चुनौतियां सामने आती हैं, लोग आलोचना करते हैं। देश को नई शिक्षा नीति की बड़े लंबे समय से जरूरत थी जो अब पूरी हो गई है़
उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति का जो ड्राफ्ट बनाया गया है, उसमें काफी अच्छे बदलाव किए गए हैं, जिनसे बच्चों का बेहतर भविष्य तय हो सकेगा। जैसा कि कुछ समय पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का एक अभियान शुरू किया है, उसका असर नई शिक्षा नीति 2020 में साफ तौर पर देखने को मिलता है। इसमें यह भी देखा गया है कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सबसे अहम योगदान शिक्षा का भी है, इन विषयों पर अब से पहले कभी बात भी नहीं हुई। लोग हायर एजुकेशन के बारे में बात करने से कतराते थे। यह पहली बार ऐसा हुआ है कि नई शिक्षा नीति में इस विषय पर बात हुई है।
उन्होंने कहा कि यहां यह कहा गया है कि हम ना केवल अपने विश्वविद्यालयों को विदेशों तक लेकर जाएंगे, बल्कि विदेशों के विश्वविद्यालयों को अपने यहां आमंत्रित करेंगे। यह जो साथ आने की ललक है, यह शिक्षा में काफी आवश्यक है और देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण घटक साबित होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत अफसरशाही खत्म हो जाएगी पहले कॉलेज यूनिवर्सिटी के लिए मान्यता प्राप्त करने में ही इंसान चकरा जाता था अब इस सिस्टम को काफी पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है और सबसे महत्वपूर्ण बात इस नई शिक्षा नीति में यह है कि इसमें संपूर्ण विकास की बात कही गई है।
प्र. सकल घरेलू उत्पाद की जीडीपी का 6% शिक्षा पर खर्च करने की बात कही गई है, क्या यह संभव हो पाएगा?
उन्होंने कहा मेरा यह मानना है कि नीति बनानी है, तो नियत अच्छी रखनी पड़ेगी। अगर नियत खराब हो गई तो नीति भी खराब हो जाएगी। उन्होंने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि अब तक घोषणा ही होती रही, लेकिन उन पर अमल नहीं किया गया। जब भी कोई नई पॉलिसी बनाई जाती है तो उससे पहले पुरानी पॉलिसी के दुष्प्रभावों को ध्यान में रखना चाहिए, ताकि नई नीति बनाते समय वह समस्या दोबारा सामने ना आए। नई शिक्षा नीति 2020 बेहद तसल्ली पूर्वक बनाई गई है, इसमें लाखों लोगों के सुझाव लिए गए, विशेषज्ञों से राय मांगी गई और इसे एक पब्लिक डॉक्यूमेंट की तरह लोगों के सामने लाया गया है मैं यह मानता हूं कि इस नीति में जो बात की गई हैं, उन सब पर अमल भी किया जाएगा। अब से पहले जो नहीं हुआ वह एक अलग विषय है। अबकी बार घरेलू सकल उत्पाद की जीडीपी का 6 परसेंट खर्च करने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि इस नीती के तहत बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सकेगा। इस नीति के तहत यह नहीं है कि आप सिर्फ पढ़ाई कर रहे हैं, बल्कि इससे काफी कुछ सीखने को मिलेगा। पढ़ाई के बाद अच्छी नौकरी मिले इसके लिए स्किल सुधारने की बात की गई है। इस नीति के तहत विद्यार्थियों को तकनीक से जोड़ा गया है। आज पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है, इस समय में पूरे देश ने देखा कि टेक्नोलॉजी का फायदा क्या है। लॉकडाउन के दौरान मीटिंग, पढाई, बिजनेस सब ऑनलाइन होने लगे।
उन्होंने आगे कहा कि अभी तक कॉलेज और यूनिवर्सिटी में रिसर्च के लिए छात्रों को आजादी दी जाती है कि वह कोई भी एक विषय चुनकर उस पर रिसर्च करें लेकिन विदेशों में देखा जाए तो वहां राष्ट्रीय मुद्दों को हल करने के लिए या उन पर सुझाव के लिए छात्रों को रिसर्च करने के लिए कहा जाता हैं। छात्रों को ऐसे मुद्दे दिए जाते हैं, जिनसे देश की समस्या का हल हो सके। लेकिन हमारे देश में अभी तक यह होता आया है कि छात्र को आजादी होती है कि वह एक विषय चुनकर उस पर रिसर्च करें और उसको कॉलेज में जमा कर दें। लेकिन मेरा मानना है कि रिसर्च ऐसे मुद्दों पर होनी चाहिए जिससे देश की समस्याओं का हल हो सके और छात्रों की रिसर्च पब्लिश हो।
नई शिक्षा नीति के तहत यूजी कोर्स अब 4 साल का होगा और पोस्ट ग्रेजुएशन 1 वर्ष की होगी। इस पर उन्होंने अपने विचार रखते हुए कहा कि यह एक बहुत सराहनीय कदम है। इस पर पहले से काम होना चाहिए था। अभी विदेशों में अभी भी यह नीति चल रही है। अब यूजी कोर्स के साथ 1 साल का रिसर्च का डिप्लोमा भी शामिल रहेगा। जिसके आधार पर आपका पोस्ट ग्रेजुएशन में दाखिला हो सकेगा। उन्होंने कहा कि अब तक पीएचडी करने के लिए पहले यूजी फिर पोस्ट ग्रेजुएशन करनी होती थी। लेकिन अब इस नई शिक्षा नीति में 3 साल यूजी कोर्स के बाद 1 साल का रिचार्ज डिप्लोमा करने के बाद सीधा पीएचडी कर सकता है तो यह वाकई एक शानदार नीति है। मेरा मानना है कि यह एक बड़ा सामाजिक बदलाव होने जा रहा है।
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