जीएनआईओटी – मैनेजमेंट स्कूल ने किया नेशनल कांफ्रेंस का आयोजन
ग्रेटर नॉएडा 23 नवंबर 2013:- जीएनआईओटी मैनेजमेंट स्कूल में “इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के युग में स्थायी विकास के लिए रणनीति” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम कि शुरुआत श्री के एल गुप्ता अध्यक्ष – जीएनआईओटी और उपाध्यक्ष श्री बी एल गुप्ता के द्वारा दीप प्रज्जवलित कर हुई। मुख्यातिथि के रूप में के. आर. मंगलम यूनिवर्सिटी के चांसलर- प्रोफेसर के के अगरवाल और विशिष्ठ अतिथि के रूप में श्री डी एस मालिक- एडिशनल डायरेक्टर जनरल- वित् मंत्री, भारत सरकार, मौजूद रहे। सम्मेलन का मुख्य उदेशय आई टी इंडस्ट्री में हो रहे बदलाव और समाज में उससे हो रहे परिवर्तन पर रौशनी डालना था। सम्मेलन में 1000 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और लगभग 150 रिसर्च पेपर कॉलेज में प्रस्तुत हुए|
सभा को सम्बोधित करते हुए श्री डी एस मालिक ने कहा कि कि आज युवा पीढ़ी को उनकी जिम्मेदारी समझनी होगी। ये युवा ही है जो देश का निर्माण कर सकते है| इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी आज अविष्कार करते जा रही और इसका लाभ पुरे समाज को हो रहा। आज इसी आविष्कार का गलत उपयोग किया जा रहा ।आज का ज्वलंत मुद्दा – बैगलोर का ए टी एम् केस; यह लोगो पर निर्भर करता है की आई टी का उपयोग कैसे करना है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा की इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी सूचना तकनीक का महत्व आज इतना बढ़ गया है कि यह कहना गलत नही होगा कि तकनीकी विकास औद्योगिक युग से सूचना युग की ओर बढ़ रहा है।
प्रोफेसर के के अगरवाल ने कहा कि आज आई टी के बिना दुनिया अधूरी है। आई टी एक विषय बनकर समाज में छा गया है पर यह समझना जरुरी है की इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एक उपकरण है और यह आज जन-जन तक पहुँच गया है। हम मोबाईल की ही बात करे तो बात करने से लेकर, फोटोज, विडिओस और अब तो हेल्थ चेक उप तक में सराहनीय भूमिका निभा रहा।
यह सम्मेलन दो हिस्सों में आयोजित हुआ: टेक्नीकल सेशन -1 और टेक्नीकल सेशन -2. टेक्नीकल सेशन-1 में एम् त्रिपाठी (दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी , और प्रोफ. सुमन सरकार (कंसल्टेंट सी आई आई , दिल्ली) ने बातचीत की और अपने विचार प्रकट किये। टेक्नीकल सेशन -२ में प्रोफ पी बैनर्जी (एमिटी यूनिवर्सिटी, मानेसर) ने भी इसी मुद्दे पर चर्चा की| साथ ही रिन्यूबल एनर्जी पर भी खासा चर्चा हुई। ग्रीन मार्केटिंग पर भी जोर देने कि बात हुई। वातावरण में संतुलन बनाये रखने के लिए जरुरी है कि कम्पनिया ऐसे उत्पाद बनाये जिसे बारम्बार प्रयोग में लाया जा सके। पॉलीथिन बैग्स के जगह जूट बैग्स, न्यूनतम और स्थायी उत्पादों का प्रयोग ज्यादा हो।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों का उत्साह भी देखते बनता था। सभी ने कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया, प्रश्न किये तथा विचार व्यक्त किये। मौके पर आई टी के अच्छे और बुरे दोनों पहलुओं पर रौशनी डाली गयी। जहाँ आई टी ने टेक्नोलॉजिकल और इंडस्ट्रियल विकास के नए रास्ते खोल दिए हैं, वहीं इससे जुड़े अपराध को बढ़ावा भी मिला है। यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह इस आई टी का प्रयोग किस तरह करना चाहता अंत में कांफ्रेंस का निष्कर्ष वित्त मंत्रालय को प्रस्तुत किया गया। डॉ सविता मोहन ने धन्यवाद सहित कार्यक्रम का समापन किया।
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