भाजपा नेता ने उठायी ‘मुगल-ए-आज़म’ के निर्माता के.आसिफ को पद्म विभूषण देने की मांग, पढ़े पूरी खबर

नई दिल्ली:  पूर्व केन्द्रीय मंत्री व हैरिटेज इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष विजय गोयल ने हिन्दी सिनेमा के इतिहास की सफलतम फिल्मों में से एक ‘मुगल-ए-आज़म’ के निर्माता निर्देशक के. आसिफ को पद्म विभूषण (मरणोपरांत) देने की मांग की है।

गोयल ने यह मांग 5 अगस्त, 1960 को मुम्बई के मराठा मंदिर सिनेमाघर में रिलीज हुई फिल्म ‘मुगल-ए-आज़म’ के 61 साल पूरे होने की पूर्व संध्या पर एक संवाददाता सम्मेलन में उठायी । वे इसके लिए सरकार से बात भी करेंगे। उन्होंने कहा जहां चिकित्सा, विज्ञान, शिक्षा, सार्वजनिक कार्य इत्यादि में अवार्ड दिए जा रहे हैं, वहीं आर्ट में उच्चतम निर्देशन के लिए के. आसिफ को भी अवार्ड दिया जाना चाहिए।

गोयल ने कहा कि इस फिल्म को बनाने के लिए जिस पागलपन, कल्पनाशीलता व जीवटता की जरूरत थी, वो के. आसिफ में कूट-कूट कर भरी थी। इस फिल्म को शानदार निर्देशन, भव्य सैटों व बेहतरीन संवाद व संगीत के लिए याद किया जाता है।

गोयल ने कहा कि जिस ‘मुगल-ए-आज़म’ फिल्म को तीन फिल्म फेयर अवार्ड मिले और साथ ही नेशनल फिल्म अवार्ड मिला हो, उस फिल्म को बनाने वाले के. आसिफ के कठोर परिश्रम, जुनून, पैशन और विज़न को नई पीढ़ी के सामने ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित कर रखा जाना चाहिए।

गोयल ने कहा कि के. आसिफ को सम्मानित कर हम उन सब लोगों को सम्मानित करेंगे, जो सपने देखते हैं और फिर सपनों को पूरा करने की हिम्मत दिखाते हैं। हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी इस बात को हमेशा कहा है कि सपने देखना और आकांक्षाओं को उड़ान देना, यही युवा की पहचान है।

गोयल ने कहा कि आश्चर्य यह है कि अभी तक के. आसिफ का नाम उस सूची में क्यों नहीं आया, जिसमें उन लोगों का नाम है जिन्होंने अपवादस्वरूप व असाधारण काम किया है। एम.एफ. हुसैन, दिलीप कुमार, खुशवंत सिंह, उदयशंकर, बिरजू महाराज, सोनल मानसिंह, ऋषिकेश मुखर्जी, सत्यजीत रे, अमिताभ बच्चन व कई अन्य को पद्म विभूषण दिया जा सकता है तो के. आसिफ का काम भी इनसे कुछ कम नहीं है।

विजय गोयल ने कहा कि पद्म विभूषण की परिभाशा देखेंगे, तो वो उन व्यक्तियों के लिए ही है, जिन्होंने अपवादस्वरूप व असाधारण कार्य किया हो। के. आसिफ का ‘मुगल-ए-आज़म’ को बनाना इन दोनों कसौटियों पर खरा उतरता है। के. आसिफ को पद्म पुरस्कार से सम्मानित कर एक बार फिर देश में जुनून, लगन और परिश्रम से कैसे सपनों को मूर्त रूप दिया जा सकता है, इसका संदेश जाएगा।


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