प्रो अज़ोय घटकः भारत में विज्ञान और प्रोधोगिकी में अपार संभावनायें हैं जो वैज्ञानिक अनुसंधान से सम्भव होगा

टेन न्यूज नेटवर्क

Greater Noida (28/02/2022): गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में आज 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का भव्य आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में कुलपति प्रो. रवीन्द्र कुमार सिन्हा ने बताया कि नेशनल साइंस डे भारत का विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धि के तौर पर मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में सबसे पहले वैज्ञानिक जगत में नोबेल प्राइज पाने वाले डॉक्टर सी वी रमन थे और उन्होंने 28 फरवरी को ही अपनी रिसर्च पेपर पब्लिश करने के लिए नेचर जर्नल में भेजा था और इसी को यादगार बनाने के लिए भारत सरकार ने इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस अवसर पर भारत के ही नहीं बल्कि विश्व के प्रमुख भौतिकिशस्त्रि प्रो. अजय घोटक को विशेष व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया है जिसे उन्होंने सहर्ष देसीकर किया और आज उनका अभिभाषण विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में हुए विकास पे प्रकाश डाला।

प्रो घटक ने आपने अभिभाषण में जिन बिंदियों पर प्रकाश डाला विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में हुए विकाश के क्रमवार विकाश को प्राथमिकता दी। उन्होंने रमन प्रभाव के साथ साथ भारत की प्राचीन काल में हुई विकाश एवं विस्तार को बलपूर्वक छात्रों से साझा किया जैसे उन्होंने ने चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा लोह स्तम्भ में इस्तेमाल की गयी तकनीक जिस वजह से उसमें १६०० साल बाद भी जंग नहीं लगना, गणितज्ञ आर्यभट्ट एवं भास्कराचार्य की उपलब्धियों, प्राचीन नालंदा evam तक्षिला विश्वविद्यालय के स्वर्णिम इतिहास को याद करते हुए आधुनिक भारत में इस क्षेत्र में हुए कार्यों पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने ने १८वीं शदी की औद्योगिक क्रांति और उस दौरान हुई वैज्ञानिक खोजों एवं आविष्कारों पर छात्रों का ध्यान आकर्षित किया और इस बात पर विशेष बल दिया उस दौरान भारत में कोई विशेष खोज या अविष्कार का ना होना। १९वीं शदी में भारत में शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में हुई उपलब्धियों की विस्तार चर्चा की गयी। इन उपलब्धियों को हाशिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लोग जैसे राजा राम मोहन रॉय, पीसी रे, जीसी रे, इत्यादि के साथ जमशेदजी टाटा द्वारा स्टील उद्योग एवं भारतीय विज्ञान संस्थान स्थापना और इनकी भूमिका देश में विज्ञान एवं पराध्योगिकी के क्षेत्र में विकाश।

व्याख्यान का मुख्य आकर्षण था रमन प्रभाव और उसको मान्यता मिलने में क्रिसनन की जिस वजह से इसे कृशनन एवं रमन प्रभाव भी कहा जाता है।

इस वार्ता में प्रो घटक ने 19वीं शताब्दी में औपचारिक विश्वविद्यालय शिक्षा में हुई अमूल परिवर्तन पर चर्चा की जिसके बाद भारत में उच्च गुणवत्ता वाले वैज्ञानिक अनुसंधान हुए, जिसमें रमन स्कैटरिंग पर सी वी रमन का काम भी शामिल था, जिससे उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला। साथ ही देश में इसके परिणाम स्वरूप विज्ञान के क्षेत्र में हुई उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए यह भी बताया कि शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर जोर क्यों दिया जाना चाहिए।

इस व्याख्यान का मुख्य मक़सद है विश्वविद्यालय के छात्रों को भारत की इस क्षेत्र में हुए उपलब्धियों से अवगत करना ताकि वे इससे प्रेरणा लें और खुद भी इस में अपना योगदान दें। इस कार्यक्रम का आयोजन कुलपति प्रो आरके सिन्हा, कुलसचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी एवं कार्यक्रम के सचिव डॉ मनमोहन सिंह सिशोदिया के दिशानिर्देश में किया जाना है। इस कार्यक्रम को डॉ शक्ति शाही ने संचालन कुशलता पूर्वक किया।


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