प्रधानमंत्री पद का सम्मान —-विभिन्न पक्ष : श्रवण कुमार शर्मा @pmoindia @narendramodi
अभी हाल में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के एक आधिकारिक कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्दर हुड्डा जब बोलने के लिए खड़े हुए तो भीड़ ने उन्हें हूट कर दिया,जिससे वें बेहद आहत हुए और उन्होंने घोषणा कर दी कि यदि स्थिति ऐसी ही रही तो वे भविष्य में प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकर्मों में भाग नहीं लेंगें.नागपुर में भी महाराष्ट्र के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री कि जनसभा में मंच पर बैठना उचित नहीं समझा जबकि यह एक सरकारी कार्यक्रम था,इससे पूर्व कांग्रेस यह स्टैंड ले चुकी थी कि मुख्य्मंत्रियों के कथित अपमान की घटनाओ के मद्देनज़र कांग्रेस के मुख्यमंत्री मोदीजी के सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग नहीं लेंगें.क्रम यही नहीं रुका ,पुनः बृहस्पतिवार को रांची में जब प्रधानमंत्री ने राज्य दो केंद्र खोलने के शिलान्यास कार्यक्रम में भाग लिया और झारखण्ड के मुख्यमंत्री सभा में बोलने के लिए खड़े हुए तो भीड़ मोदी मोदी चिल्लाने लगीऔर हेमंत सोरन बेहद नाराज हो गये .इस विषय पर हुयी चर्चा में दो पक्ष सामने आये . एक और कांग्रेस का कथन है कि मुख्यमंत्रियों को पूर्वनियोजित तरीके से अपमानित किया गया अतः मोदी का बहिष्कार जायज है ,जबकि दूसरा पक्ष यह है कि उक्त मुख्यमंत्री अपने राज्यों में बेहद अलोकप्रिय हो चुके हैं और जनता द्वारा उनकी हूटिंग spontaneous थी उसमे मोदी जी या बीजेपी का कोई हाथ नहीं था.भारत में संसदीय लोकतंत्रहैजिसमें प्रधानमंत्री का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण रोल है,वहChief of government है ,यदि राजनीतिक कारणों से कांग्रेस या अन्य कोई दल प्रधानमंत्री पद की गरिमा या प्रोटोकोल को हानि पहुंचाता है तो इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे,भविष्य में कान्ग्रेसी प्रधानमंत्री.यदि कोई बनता है,को भी इसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा.भारत में संघीय व्यवस्था है .यदि प्रधानमंत्री का सम्मान नहीं होगा तो केंद्र और राज्यों के मध्य लगातार टकराव की स्थिति आएगी और विकास कार्य तथा देश की तरक्की प्रभावित होगी .यह भी हो सकता है कि नाराज हो कर जनता राज्यों के अधिकार कम करने की मांग करने लगे .इस बार कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व एक तरह से हताश और खीजा सा लगता है और देश हित उसके सामने गौण हो गया है .हाँ , में यह अवश्य कहना चाहूँगा की प्रधानमंत्री की भी बड़ी जुम्मेदारी है और जब उनकी मौजूदगी में राज्य के मुख्यमंत्री को हूट किया जा रहा था तो उन्हें तत्काल प्रभावी तरीके से मंच पर खड़े हो कर हस्तक्षेप करना चाहिए था .इससे परिस्थिति को बदनुमा होने से बचाया जा सकता था.पर, अब घटना प्रवाह आगे बढ़ चुका है,कुछ परिणाम तो होंगे ही.
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