इस्तीफा देते ही अलका लांबा ने आप पार्टी पर साधा निशाना , केजरीवाल को दी यह चुनौती

ROHIT SHARMA / ABHISHEK SHARMA

दिल्ली :– कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात के कुछ दिनों बाद दिल्ली के चांदनी चौक से विधायक अलका लांबा ने आज आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आप की बागी विधायक अलका लांबा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि वह आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रही हैं। इस्तीफा देने के तुरंत बाद अलका लांबा ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी को निशाने पर लिया और इस्तीफा स्वीकार करने की चुनौती दी।



अलका लांबा ने ट्विटर पर लिखा- अरविंद केजरीवाल जी, आपके प्रवक्ता ने आपकी इच्छा पर मुझे पूरे घमंड के साथ कहा था कि ट्विटर पर इस्तीफा देने पर भी पार्टी इसे स्वीकार कर लेगी। इसलिए अब आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से मेरा इस्तीफा मंजूर कीजिए, जो कि खास आदमी पार्टी बन गई है।

कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से मुलाकात के कुछ दिनों बाद आप की असंतुष्ट विधायक अलका लांबा ने कहा कि अब आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का समय आ गया है। आपको बता दे की अलका लांबा ने मंगलवार को सोनिया से मुलाकात की थी, जिससे उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। अलका लांबा ने आज  ट्वीट किया, ” आप को अलविदा कहने और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने का समय आ गया है। मेरे लिए पिछले छह साल का सफ़र बड़े सबक सिखाने वाला रहा। सभी का शुक्रिया। ”

दरअसल , चांदनी चौक से आप विधायक लांबा ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उन्होंने पार्टी छोड़ने और आगामी विधानसभा चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ने का मन बना लिया है। उल्लेखनीय है कि लांबा पिछले कुछ समय से आप नेतृत्व खासकर पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली से नाराज़ चल रही थीं। केजरीवाल पर पार्टी में मनमानी करने का आरोप लगते हुए वह इसका सार्वजनिक तौर पर कई बार मुखर विरोध कर चुकी है।
खासबात यह है की अलका लांबा और आम आदमी पार्टी के बीच पिछले कुछ समय से टकराव की स्थिति जो शुरू हुई, वह किसी न किसी रूप में चलती रही है। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने अपने राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से जवाबदेही मांगी थी। इसके बाद उन्हें पार्टी विधायकों के आधिकारिक व्हाट्सऐप ग्रुप से हटा दिया गया था। उन्होंने लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया था और उन्होंने केजरीवाल के रोडशो के दौरान मुख्यमंत्री की कार के पीछे चलने के लिए कहे जाने के बाद रोडशो में भाग नहीं लिया था।

लांबा और आप के बीच सबसे पहले टकराव राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न सम्मान को वापस लिए जाने संबंधी प्रस्ताव पारित करने के पार्टी के फैसले को लेकर हुआ था। लांबा ने पार्टी के प्रस्ताव पर आपत्तियां उठाई थीं। उन्होंने दिसंबर 2018 में ट्वीट किया था कि आप ने उन्हें प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा जिससे उन्होंने इनकार कर दिया। लांबा ने कहा था कि वह इसके लिए किसी भी सजा का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस से शुरू किया था और आप में शामिल होने से पहले उन्होंने करीब 20 साल विभिन्न भूमिकाओं में पार्टी की सेवा की।

दिल्ली में अगले साल जनवरी में संभावित विधानसभा चुनाव के पहले लांबा ने आप छोड़ने की घोषणा कर कांग्रेस में एक बार फिर शामिल होने की अटकलों को हवा दे दी है। फ़िलहाल लांबा ने अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में कोई स्पष्ट ख़ुलासा नहीं किया है।

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