कोरोना काल में पुलिस के लिए नोएडा दिल्ली बॉर्डर समेत यह रही सबसे बड़ी चुनौतियां, टेन न्यूज लाइव पर बोले एडीसीपी रणविजय सिंह

Abhishek Sharma

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गौतमबुद्ध नगर की तपती दोपहरी में सूरज आग उगल रहा है। यहां का तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है लेकिन ऐसे समय में भी कोरोना वॉरियर्स अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं। जिले में पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाते हुए चौक-चौराहों पर डटे हुए हैं और लोगों से लॉकडाउन का नियम पालन कराने की लगातार अपील कर रहे हैं।

जिले में हफ्ते भर में तापमान तेजी से बढ़ा है और कोरोना संक्रमण के आंकड़े भी इसी दौरान बढ़े हैं। ऐसे में लॉकडाउन का नियम पालन कराने में सबसे अहम भूमिका पुलिस की है। लॉकडाउन 4.0 में छूट दिए जाने के बाद पुलिस की सख्ती काफी हद तक कम हुई है, लेकिन कोरोना को रोकने के लिए उतनी ही जिम्मेदारी से जिले की पुलिस मुस्तैद है। तेज गर्मी ने घर बैठे लोगों को भी बेहाल कर दिया है। ऐसे में फील्ड में तैनात पुलिसकर्मी भी गर्मी से परेशान हैं, लेकिन उसी मुस्तैदी से अपने ड्यूटी भी निभा रहे हैं।

जिला गौतम बुद्ध नगर की पुलिस ने प्रशासन के साथ मिलकर कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किए हैं और इसमें कामयाबी भी हासिल हुई है। कोरोना वायरस को रोकने के लिए पुलिस को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड रहा है और पुलिस की इसको हराने के लिए कैसी तैयारी है, इसको लेकर टेन न्यूज ने गौतम बुद्ध नगर के अपर पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) कुमार रणविजय सिंह से खास बातचीत की। लाइव कार्यक्रम में नोएडा के समाजसेवी अमित गुप्ता एवं रिटायर्ड कर्नल शशि वैद्य भी उपस्थित रहे। वहीं अपने अलग अंदाज़ में शो मैन राघव ने शो का संचालन किया और कोरोना लॉकडाउन – पुलिसिंग के हर पहलू पर प्रकाश डालने का अवसर मेहमानों को प्रदान किया।

अपर पुलिस उपायुक्त कुमार रणविजय सिंह ने कहा कि पूरे विश्व में आज कोरोनावायरस कहर मचा रहा है। इसको लेकर किसी भी विभाग की पहले से कोई तैयारी नहीं थी, क्योंकि अब से पहले इस तरह की कोई महामारी या वायरस किसी ने नहीं देखा होगा। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू से पहले ही संकेत मिलने शुरू हो गए थे कि देश में लाॅक डाउन होने वाला है।

इस वायरस से लड़ने के लिए पुलिस की मीटिंग होनी शुरू हो गई थी। इस महामारी को किस प्रकार से फैलने से रोका जाए, इस पर सभी अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों ने मिलकर मंथन किया और अब तक हमारा जिला इस बीमारी से लड़ने में कामयाब नजर आ रहा है। हमारी कोशिश है कि जिले को पूरी तरह से कोरोना मुक्त बनाया जाए और ऐसा करके ही हम रुकेंगे।

उन्होंने बताया कि जब यह महामारी जिले में फैलनी शुरू हुई तो ऐसे में पुलिस के कंधों पर कई प्रकार की जिम्मेदारी आ गई। उन्होंने कहा कि हमें लोगों को भी बचाना था, अपने आपको और परिवार को सुरक्षित रखना था। यह हमारे लिए बड़ी चुनौती थी। इसके लिए पुलिस के जवानों को ट्रेनिंग देना जरूरी था, क्योंकि किसी को भी इस महामारी के बारे में नहीं पता था। पुलिसकर्मियों को न केवल सुरक्षा उपकरण दिए गए बल्कि उनका किस तरह से और कब इस्तेमाल करना है यह भी बताया गया।

एडीसीपी रणविजय सिंह ने कहा कि अब तक हम बेहद सौभाग्यशाली हैं कि जिले में इस वायरस को फैलने से रोकने में काफी हद तक हम कामयाब हुए हैं और अब तक केवल जिले का एक पुलिसकर्मी संक्रमित हुआ है। हालांकि पुलिसकर्मी को वायरस कैसे हुआ, इसका भी हमने पता लगाया और संपर्क में आए सभी लोगों को क्वॉरेंटाइन में रखा गया और इसके बाद पुलिस विभाग में कोई पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित नहीं मिला है, यह हमारे लिए बहुत बड़ी जीत है।

एडीसीपी ने कहा, हमें अपने परिवार से भी दूर रहना पड़ा ताकि हमारा परिवार सुरक्षित रहे। सभी पुलिसकर्मियों को कहा गया था कि जब तक बीमारी खत्म नहीं होगी, तो हो सकता है कि किसी को भी छुट्टी ना मिले।

उनका कहना है कि नोएडा दिल्ली बॉर्डर पर लोगों की आवाजाही पुलिस के लिए बहुत बडा सिरदर्द बना हुआ है, जहां पर हजारों की संख्या में लोग जुट जाते हैं। एडीसीपी ने माना कि नोएडा-दिल्ली बॉर्डर को टैकल करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। लोगों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि पुलिस जो भी कदम उठा रही है वह इसलिए उठा रही है ताकि सभी लोग सुरक्षित रहें और इस बीमारी से किसी को कोई नुकसान ना हो।

इसके बाद पुलिस ने जिले में जगह जगह पर नाका लगाए और लोगों की लगातार चेकिंग की, उनसे अनुरोध किया गया कि बेवजह घरों से बाहर ना निकले, अति आवश्यक कार्य होने पर ही केवल बाहर निकले। ऐसे में लोगों को यह दिक्कतें आ रही थी कि उनको आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं हो रही थी, इसके लिए पुलिस प्रशासन में हेल्पलाइन नंबर जारी किए, आवश्यक वस्तुओं की होम डिलीवरी कराई। जहां कहीं से भी शिकायतें आ रही थी उनका संज्ञान लेकर त्वरित निस्तारण किए गए। पुलिस ने एक साथ इस महामारी में कई ड्यूटी निभाई हैं।

उसके बाद गांवों की समस्याएं सामने आ रही थी। जहां लोगों को खाने का सामान नहीं मिल रहा था, लोग भूखे रह रहे थे। एडीसीपी ने कहा कि नोएडा के झुंडपुरा, हरौला निठारी, गिझौड, अट्टा, मामूरा जैसे गांवों में लोगों को खाना पहुंचाना शुरू किया। इस तरह से पुलिस ने अपनी तीसरी ड्यूटी निभाई और सुनिश्चित किया गया कि कोई भी गरीब भूखा ना रहे। नोएडा के झुग्गी एरिया में कोरोना के बहुत सारे मरीज सामने आए हैं, यहां पर गरीब मजदूर रहते हैं। उनके लिए भी पुलिस ने सामाजिक संस्थानों के साथ मिलकर भोजन उपलब्ध कराया।

पुलिस कमिश्नर कार्यालय पर सूखे राशन का स्टॉक रखा हुआ है। जिले के सभी थाना प्रभारियों को आदेश दिए गए हैं कि जहां कहीं से भी राशन के लिए कॉल आए तो कमिश्नर ऑफिस से राशन ले और जरूरतमंदों को तक पहुंचा और पुलिस लगातार इस दिशा में कार्य कर रही है। वहीं लोग इससे संतुष्ट भी नजर आ रहे हैं।

इसके बाद पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह रही कि जो लोग बाहर से आ रहे हैं ऐसे लोगों को क्वॉरेंटाइन में रखा जा रहा है जिले में जितने भी क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाए गए हैं वहां पर पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं ताकि कोई भी मरीज क्वॉरेंटाइन केंद्र से ना भाग निकले।

एडीसीपी का कहना है कि इसके बाद पुलिस का सबसे महत्वपूर्ण काम जो है वह कांटेक्ट ट्रेसिंग का रहा। जो कोई भी व्यक्ति पाॅजिटिव मिल रहा था उसके संपर्क में आने वाले लोगों को ढूंढ ढूंढ कर क्वाॅरंटाइन में रखा जा रहा था। इसी बीच नोएडा की सीजफायर कंपनी में लंदन से एक आॅडिटर आया था, जिस के संपर्क में आकर कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। ऐसे में पुलिस ने कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों और उनके संपर्क में आए लोगों की खोजबीन करनी शुरू की।

एडीसीपी का कहना है कि इस दिशा में पुलिस ने बेहद सराहनीय काम किया। एक समय में पॉजिटिव मरीजों के मामले में गौतम बुद्ध नगर और जिलों की तुलना में आगे चल रहा था। लेकिन पुलिस प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग की सफल नीतियों के चलते हमारे यहां पर कोरोना पॉजिटिव मरीजों में भारी गिरावट आई है।

वही उनका कहना है कि जब यह सब चल रहा था तो इसी बीच तबलीगी जमात का मुद्दा सामने आया। अभी तक तो यह दिल्ली में व देश के दूसरे हिस्सों में चल रहा था लेकिन इसके बाद तबलीगी जमात के लोग ग्रेटर नोएडा से पकड़े गए। फिर पुलिस की कई टीमें तबलीगी जमातियों को ट्रेस करने में लगाई गई। उन्होंने कहा कि यह पुलिस के लिए बहुत मुश्किल टास्क था लेकिन हमने इंटेलीजेंटली काम करते हुए सभी तबलीगी जमातियों को पकड़कर क्वॉरेंटाइन सेंटर में भेजा और सभी के संपर्क में आए लोगों को भी ट्रेस किया। पुलिस के लिए लगातार नई नई चुनौतियां सामने आ रही थी और हम इन से पार पाने में अभी तक सफल नजर आ रहे हैं।

नोएडा के सेक्टर 8, 9, 10 में झुग्गियों में कोरोना मरीज मिलने शुरू हो गए। पुलिस के लिए फिर एक नई चुनौती सामने खड़ी थी। एडीसीपी का कहना है कि इन झुग्गियों का इतना बुरा हाल है कि यहां एक ही झुग्गि में लगभग 8 से 10 लोग रहते हैं और झुग्गियों में संक्रमण फैलने का सबसे अधिक खतरा था। जब यहां पहला कोरोना मरीज मिला तो झुग्गियों की हालत देखकर अधिकारियों ने तुरंत कई टीमें गठित की, संक्रमित के संपर्क में आने वाले लोगों की कांटेक्ट ट्रेसिंग की गई। अब तक इन झुग्गियों में 40 से अधिक कोरोना मरीज मिल चुके हैं लेकिन यहां दशा के हिसाब के हिसाब से अभी तक हम इस टास्क में भी काफी हद तक सफल रहे हैं।

इस कार्यक्रम में समाजसेवी अमित गुप्ता ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कोरोना वायरस ऐसी महामारी है जिसके बारे में किसी को भी कोई अंदाजा नहीं था। उसके बाद भी हमारे जिले की पुलिस ने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है और कोरोना नियंत्रण में अपनी अहम भूमिका निभाई है। हाल ही में लॉकडाउन 4 में दुकाने व मार्केट खोलने की अनुमति दे दी गई है। इसके लिए प्रशासन द्वारा दिशानिर्देश भी जारी हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद दुकानदार और ग्राहक मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करते हुए नहीं दिख रहे हैं, जोकि लोगों के लिए खतरा बन सकता है। इस पर एडीसीपी रणविजय सिंह ने कहा कि ऐसे लोगों के लगातार चालान किए जा रहे हैं। पहली बार पकड़े जाने पर कम चालान हैं लेकिन दोबारा और उसके बाद पकड़े जाने पर चालान की रकम और ज्यादा हो जाएगी।

वही रिटायर्ड कर्नल शशि वैद्य ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी फैलने से पहले जिला गौतम बुद्ध नगर में पुलिस प्रणाली बदल दी गई थी। यहां कमिश्नर व्यवस्था शुरू हुई, जिससे हमें इस महामारी से लड़ने में काफी मदद मिली है। उन्होंने कहा कि इस महामारी में मैं पुलिस को कुछ सुझाव देना चाहूंगा। उनमें पहला सुझाव यह है कि पुलिस प्रशासन द्वारा शाम के 7:00 से सुबह के 7:00 बजे तक घरों से बाहर निकलने समेत सभी पाबंदियां लगा रखी हैं। उन्होंने कहा कि यह पाबंदी रात 8:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक की जाए ताकि लोगों को और समय मिल सके। वही दूसरा सुझाव यह दिया कि अभी तक लोग मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। पुलिस को मास्क लगाने के लिए सख्ती से पेश आना होगा, ताकि लोगों के मन में भय बैठे और वे मास्क का इस्तेमाल करें। वहीं उन्होंने आगे कहा लॉक डाउन खत्म होने के बाद अपराध की घटनाएं बढ़ने के चांस ज्यादा हैं, ऐसे में पुलिस को क्राइम कंट्रोल पर भी काम करना होगा।

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