पहले 5 वर्ष की उम्र तय करती है मनुष्य के जीवन की आधारशिला : संचार रत्न महेश कुमार सेठ – जीवन एक उत्सव के प्रणेता

ABHISHEK SHARMA

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NOIDA (13/09/20) : इस संपूर्ण विश्व और भारत देश मे बहुत से ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने परिश्रम और सकरात्मक सोच के साथ बडे से बडे मुकाम हासिल किए है। जिनको गुरु मानकर नई पीढ़ी आगे बढ़ने की सोच रखती है, साथ ही उनके दिखाए गये मार्गदर्शन पर चलते हैं।

महान व्यक्तियों को सुनने के लिए लोग भारी मात्रा में इक्कठे होते है , साथ ही ध्यान से सुनते है कि आखिर उन्होंने क्या महत्वपूर्ण बातें कही। जिसे वो अपने जीवन मे अमल करके भविष्य को मजबूत बना सके।

वही ऐसे महान व्यक्तियो से रूबरू कराने के लिए टेन न्यूज़ नेटवर्क ने एक नई पहल शुरू की है। टेन न्यूज़ नेटवर्क ने ‘एक मुलाकात’ कार्यक्रम शुरू किया है। जिसमें देश भर से ऐसी महान शख्सियतों से हम हम अपने दर्शकों को रूबरू कराते हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत बडा मुकाम हासिल किया है, और वे समाज की बेहतरी के लिए भी लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ रहे हैं।

इस कार्यक्रम का संचालन दीपक श्रीवास्तव ने किया, जो कि एक अभियंता, उद्घोषक, रचनाकार, शास्त्रीय गायक व संगीतकार हैं। उन्होंने जीवन को उत्सव बनाने के लिए कई उदाहरण पेश किए।

वहीं इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर महेश कुमार सेठ रहे, जो कि दूर संचार विभाग के भारतवर्ष के मुख्य महाप्रबंधक हैं। इसी के साथ वह यूएनओआईटीयू सीईओ फाॅर एशिया पैसिफिक कंट्रीज इन लेटेस्ट टैक्नाॅलॉजी, एएलटी सेंटर गाजियाबाद, एवं आंतरिक व बाहरी विज्ञान, तनाव रहित जीवन, जीवन एक उत्सव, योग और अध्यात्म गुरू एवं कवि, लेखक व समाजसेवक भी हैं।

यह कार्यक्रम टेन न्यूज़ डिजिटल स्टूडियो से टेन न्यूज़ नेटवर्क के 2 प्लाट्फ़ोर्मस फेसबुक और यूट्यूब पर लाइव प्रसारित किया गया।

पूरे देश में कोरोना महामारी का दौर चल रहा है, जिसके चलते देश में लॉकडाउन लगाया गया। इस दौरान हजारों लाखों लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा। वहीं लोगों को रोजगार नहीं मिल रहे हैं, जिसके चलते हुए मनुष्य के जीवन में मानसिक तनाव काफी अधिक हो गया है। आजकल देखा जाता है कि किशोरावस्था में ही लोग अवसाद के शिकार हो जाते हैं।

जीवन को उत्सव कैसे बनाएं?

महेश कुमार सेठ ने कहा कि जीवन में लोग सफलता को स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन असफलता मिलने पर उसको स्वीकार नहीं कर पाते हैं। लोगों में आज के समय में विभिन्न प्रकार की मानसिक बीमारियां देखने को मिल रही हैं, जो हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए बेहद चिंता का सवाब बन सकती है।

महेश कुमार सेठ ने कहा कि जीवन एक उत्सव है और उसे उत्सव की तरह मनाया जाना चाहिए। इंसान के अंदर उत्सव को देखने की दृष्टि होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब एक बच्चे का जन्म होता है तो वह शुरुआती 5 सालों में इतना सीख लेता है जितना कि वह 500 वर्षों में भी नहीं सोच सकता। जीवन काल के प्रथम 5 वर्ष एक व्यक्ति का आधार बनाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

उन्होंने कहा कि इसके ऊपर वैज्ञानिकों ने रिसर्च भी किया है। बच्चा शुरू के 5 वर्षों में जिस और डाला जाता है उसी तरफ उस की दिशा तय होती है। बच्चे में गिरने संभलने की कला भी 5 साल में ही विकसित होती है। जब एक बच्चा पैदा होता है, तो वह शुरू में लेटता है, फिर धीरे-धीरे बैठने की कोशिश करता है, बैठने के बाद वह खड़ा होकर चलने का प्रयास करता है। इस दौरान बच्चा हजारों बार गिरता है लेकिन एक बार खड़ा जरूर होता है।

उसी प्रकार मनुष्य को जीवन में प्रयास करते रहना चाहिए। हर छोटी से छोटी खुशियां मनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य गिरता है, वही उठने की कोशिश करता है और इस कोशिश में है शिखर तक पहुंचता है।

वहीं उन्होंने कहा कि 10-11 वर्ष की उम्र तक बच्चा जीवन काल का लगभग 90% सीख लेता है। उसी के आधार पर उसका भविष्य तय होता है। हमें जीवन की आधारशिला पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वहीं उन्होंने कहा कि इंसान को जीवन में हमेशा सीखते रहना चाहिए, सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। जो इंसान सीखना छोड़ देता है, वह जीवन में एक जगह ठहर जाता है। सीखने की कला शुरुआती दौर में ही एक बच्चे को सिखानी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि इंसान को प्रकृति से जुड़े रहना चाहिए। जो इंसान प्रकृति से जुड़ेगा, उसको शारिरिक, मानसिक व बौद्धिक समस्या कभी नहीं आ सकती। प्रकृति हमें शुद्ध वायु, जल व कई अन्य प्रकार के तत्व प्रदान करती है, जो हमें जीवन में आगे बढ़ाने में भी बेहद सहायक होते हैं। इंसान को प्रतिदिन प्रकृति का शुक्रिया अदा करना चाहिए। जीवन में महान वही मनुष्य बन सकता है, जो अपने सैद्धांतिक मूल्यों और हमारे देश की संस्कृति और प्रकृति से जुड़कर रहेगा।

7-14 वर्ष की उम्र में बच्चों के लिए क्या है जरूरी?

संचार रत्न महेश कुमार सेठ ने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च में यह सामने आया है कि 7 से 14 वर्ष की उम्र में बच्चों को कुछ भी सिखाए, उन्हें खाली ना रहने दें। यह उम्र ‘फन एंड प्ले’ की बताई गई है। इस उम्र में बच्चों को अपनी अच्छी गतिविधियों के बारे में बताएं। उन्हें बताएं कि आज पूरे दिन में उन्होंने यह यह किया। जिनमें से अच्छी बातें निकल कर आएंगी, वे बच्चे को काफी हद तक प्रभावित करेंगी।

अभिभावकों को बच्चों को खुद सिखाना है, तो इस उम्र में फन एंड प्ले के जरिए सिखाने की कोशिश करें। इससे बच्चे का मनोरंजन भी होगा और खेल खेल में जीवन को महान बनाने की कला आ जाएगी। इस तरह से बच्चा 1 महीने में वह सब सीख जाएगा, जो वह 3 सालों में नहीं सीख सकता। बच्चों को ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिकल के जरिए सिखाया जाए, उसके बाद थ्योरी पर भी थोड़ा बहुत ध्यान दें।

महेश कुमाथ सेठ ने आगे कहा कि कहानियां हमें काफी कुछ सीखाती हैं। अगर हम जिंदगी की किसी मुसीबत में फंस जाते हैं तो कई बार कहानियां हमें इनसे निकलने की सीख देती हैं। कई बार हम सोचते हैं कि अगर हम अपने घर की जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएं तो जीवन में जल्दी प्रगति कर लेंगे लेकिन ऐसा नहीं होता है। हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारे जीवन में घर और परिवार की क्या अहमियत है।

उन्होंने कहा कि हम सकारात्मक चिंतन वाली राह के राही बनें, पॉजिटिव सोच अपनाएं। सत्य से मुंह न फेरें, इसके सम्मुख जाएं। प्रेम से विमुख नहीं होना है, करुणा से भी नहीं। इनके समीप जाना है। हम पर संकट और कोई आपदा आने से पहले इनका समाधान भी सुनिश्चित हो जाता है। ये पक्का भरोसा रखिए। यही सीख रामायण हमें देती है। और हम, समस्या के दस्तक देते ही समाधान की खोज में दौड़ पड़ते हैं।

आप यह मान सकें कि जीवन का हर क्षण एक उत्सव है। जीवन में आने वाले परिवर्तन, हार-जीत और बाकी समस्याओं को यदि सकारात्मक नजरिये से देखा जाए, तो वे भी उत्सव का ही रूप हैं। इनको उत्सव की तरह समझ जाए, तो ये बोझ नहीं लगते, बल्कि जीवन की चुनौतियों और नई राह को तराशने में निर्णायक साबित होते हैं।

महेश कुमार सेठ ने आगे कहा कि ‘उत्सव व्यक्ति को अपने जीवन के मूल्यांकन का अवसर देते हैं।’ उत्सव हमारे मन की कीमिया है, ये उन हॉर्मोन्स का चमत्कार हैं, जो हमारी धमनियों और शिराओं के रक्त बहाव में आ जाते हैं। उत्सव का एहसास व्यक्ति को चंचल बना देता है और उसमें ऊर्जा व स्फूर्ति का संचार करता है।

उत्सव को व्यक्ति किसी भी रूप में देख सकता है। जल प्रपात को देखते रहना एक उत्सव है, पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूमना उत्सव है, धूप और हर तरफ खिली हरियाली भी उत्सव है और परिवार के साथ केवल खुशी के पल बिताना ही नहीं, बल्कि उनके साथ दुख व परेशानी के क्षण गुजारना भी उत्सव है।

एक अच्छा और सफल आदमी होने का मतलब दुसरो के लिए कुछ करने से कई गुना अच्छा होता है पर अच्छा और सफल आदमी बनने के लिए भी हम में कुछ गुण, खासियत होनी चाहिए। जो गुण ज्यादा लोगो में नहीं होते पर बहुत से लोग ऐसे भी होते है जिनमे वो गुण है जिन गुणों से वो एक सफल आदमी बन सकते है पर वो अपने गुणों को जान नहीं पाते

सकारात्मक सोच बनाकर रखें

संचार रत्न महेश सेठ ने कहा कि अपने आप को एक अच्छा और सफल आदमी बनाने के लिए ये एक सबसे बड़ा रास्ता है। सकारात्मक को अर्थ सही और अच्छी सोच। अगर आप एक सफल और सबकी पसंद का आदमी बनना चाहते है तो सबसे पहले अपनी सोच सकारात्मक बनाए।

अगर आप किसी के बारे में या उसके काम करने के तरीके या उसके व्यवहार के बारे में बुरा सोचते है तो वो अच्छा ही क्यू न हो आपको बुरा ही लगेगा और अगर आप किसी को अच्छी नजर से देखोगे तो वो बुरा ही क्यू न हो आपके लिए अच्छा बन जायेगा।

विश्वास बनाकर रखें

उन्होंने आगे कहा कि विश्वास एक ऐसी चीज है जिससे आप सारी दुनिया जीत सकते हो और अगर आप सफल बनना चाहते है तो अपने दोस्तों कि बजाए अपने सबसे बुरे दुश्मन पर भी विश्वास करो। ऐसा करने से आपको दौखे मिलेंगे पर एक दिन ऐसा भी आयेगा जब दुनिया का हर आदमी आप पर जान के लिए विश्वास करने लग जायेगा। सोचो” बस आप एक है जो ऐसा कर सकत हैं।

इंतजार करना सीखिए

उन्होंने कहा कि जिस तरह मौत हमारा सालो तक इंतजार करती है उसी तरह आप भी उस अवसर का इंतजार कीजिए जो आपको एक सफल और अच्छा आदमी बना सकता हैं। हर चीज में वक्त लगता है और अगर आप किसी चीज के लिए इंतजार कर रहे है तो वो आपको मिलेगी चाहे उस आपको कोई भी दे। अगर किसी को कुछ दे रहे है तो इंतजार कीजिए वो भी आपको कुछ जरुर देगा।

मेरे कहने का अर्थ है जल्दबाजी मत कीजिए कही ऐसा न हो सफलता रास्ते में आपके लिए आ रही हो और आप उसके आने से पहले ही वो रास्ता छोड़ कर कोई और रास्ता अपना लो।

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