कोरोना विश्लेषण: दूसरी लहर में कैसे उजागर हुई अनेकों विफलताएं, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टेस्टिंग पर किया जवाब तलब

Ten News Network

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश के अनेकों भूभागों में हाहाकार मचा रखा है। ऑक्सीजन, दवाइयों और अस्पतालों में सुविधाओं की कमी से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स भरे पड़े हैं। हर रोज हजारों लोग इस महामारी के कारण काल के गर्त में समा रहे हैं। पर इसका जिम्मेदार कौन है। क्या ये कहना गलत होगा कि हम इस आपदा के लिए बिल्कुल भी तैयार नही थे।

जानकारों के अनुसार, राज्य और जिला प्रशासन को आपदाओं से निपटने का अनुभव तो था, लेकिन इस तरह की महामारी से कैसे निपटा जाए इसे नहीं समझ पाए। इसका भी असर तैयारियों पर पड़ा। अब जबकि दुनियाभर की खबरें नीचे तक पहुंची तब जाकर प्रशासन चेता और अब सख्ती के साथ कुछ कड़े कदम उठा कर सुधार की तैयारियों पर अमल किया जा रहा है।

अगर उत्तर प्रदेश की ही बात की जाए तो जमीनी हकीकत सरकारी दावों से काफी अलग जान पड़ती है। कोरोना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और उनकी पत्नी को भी चपेट में ले लिया था। हालांकि, सीएम योगी के साथ डिप्टी सीएम और उनकी पत्नी कोरोना को हराने में सफल रहे। लेकिन पिछले 15 दिनों में भाजपा के चार विधायक कोरोना से जिंदगी की जंग हार गए।

प्रदेश में लालफीताशाही की लचरता का अंदाज़ा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि जब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार को सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाने को कहा तो सरकार मुकर गई परन्तु धीरे-धीरे तीन दिन, फिर पांच दिन और अब आठ दिन का सम्पूर्ण लॉकडाउन पूरे प्रदेश में सिलसिले वार तरीके से लगाया गया है।

कई विधायकों, सांसदों तक ने चिट्ठी लिख कर प्रदेश के हालातों ओर चिंता व्यक्त करी है। कानपुर से भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी ने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पत्र लिखकर जिला प्रशासन तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर पहले से ही तैयारी करने के निर्देश देने का आग्रह किया है।

सांसद ने कानपुर में कोविड-19 के मरीजों को ठीक से इलाज न मिलने का जिक्र करते हुए कहा कि रोगियों को समय से उपचार नहीं मिल पा रहा है और वह अपने घर, एंबुलेंस या अस्पतालों के बाहर दम तोड़ रहे हैं। कहा कि कोविड-19 महामारी की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में ज्यादा लोगों की मौत हो रही है।

दूसरी ओर कोर्ट अभी भी सरकारी व्यस्थाओं से संतुष्ट नजर नही आ रहा है। हाल ही में हाई कोर्ट ने सरकार से टेस्टिंग ओर जवाब तलब किया है। आरोप है कि उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में कोरोना रिपोर्ट (RT-PCR TEST) आने में चार-पांच दिन से लेकर एक हफ्ते तक का समय लग रहा है। इससे कोरोना मरीज समय पर अपना उचित इलाज शुरू नहीं कर पा रहे हैं और जिसके कारण उनकी स्थिति बेहद गंभीर हो रही है। जांच रिपोर्ट आने तक वे अनजाने में ही अन्य लोगों को संक्रमित भी कर रहे हैं। एक लॉ स्टूडेंट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सरकार से कोरोना रिपोर्ट देने के लिए 24 घंटे अधिकतम समय सीमा तय कराने की मांग की है। इसके लिए यदि आवश्यक हो तो सभी जिलों में टेस्टिंग सुविधाएं बढ़ाने का अनुरोध भी किया गया है।

कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने नोटिस जारी कर उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले पर अपना पक्ष रखने को कहा है।


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