नई दिल्ली:- 29 नवम्बर 2021 को डॉ भीमराव अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र , जनपथ नई दिल्ली में सिविल सेवा परीक्षा 2021 में सफल अभ्यर्थियों के सम्मान का कार्यक्रम बैंक ओफ़ महाराष्ट्र द्वारा आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. भागवत कराड, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री , विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. ज्ञानेश्वर मुले , सदस्य राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग , विशेष अतिथि के रूप में श्री हेमंत टम्टा ,कार्यकारी निदेशक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और साथ ही चित्रा दातार महाप्रबंधक और जोनल हेड , बैंक ऑफ महाराष्ट्र दिल्ली जोन’ उपस्थित रहीं हैं।
इस सिविल सेवा परीक्षा 2021 कार्यक्रम में सभी सफल महाराष्ट्रीयन IAS और IPS अधिकारियों को पुष्पगुच्छ और भेंटवस्तु देकर सम्मानित किया गया और साथ ही कार्यक्रम में उपस्थित सभी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में सफल हुए सभी IAS और IPS अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे IAS और IPS की तैयारी कर रहे अन्य महाराष्ट्रीयन छात्र – छात्रों का परीक्षा के लिए मार्गदर्शन करें ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्र – छात्राएं परीक्षा में सफल हो सके और महाराष्ट्र का नाम ओर आगे बढ़ा सके।
पासपोर्ट मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाने वाले डॉक्टर ज्ञानेश्वर मुले ने सिविल सेवा परीक्षा 2021 में सफल अभ्यर्थियों के सम्मान में अभिनंदन कार्यक्रम में कहा कि IAS और IPS की परीक्षा में दस लाख से ज्यादा छात्र – छात्राएं परीक्षा देते हैं और दस लाख में से सिर्फ एक हजार अलग अलग सेवाओं के लिए उनका चयन होता है और इस एक हजार में IAS के लिए 100 – 50 सीटें मिलती है और पर इसबार पहली बार 180 सीटें मिली है। और अन्य सेवाओं को रेलवे , पुलिस सेवाओं को चली जाती है और दस लाख में से केवल एक दशांयक ही नियुक्त होते हैं और हमारे महाराष्ट्र के लिए यह बहुत खुशी और गर्व की बात है कि और इस .1% में 70 लोग महाराष्ट्र से आए हैं।
और साथ ही कहा कि 15 -20 साल पहले महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व सिविल सेवाओं ( IAS और IPS ) में बहुत कम होता था और मैं पहली बार दिल्ली आया तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि यहां की किसी भी मंत्रालय में कोई भी मराठी दिखाई नहीं दे रहा था तब मैंने सोचा कि यह चित्र बदलना बहुत ही जरूरी है क्योंकि महाराष्ट्र ने देश को बहुत बड़ा योगदान दिया है चाहे वह विचारिक योगदान , संस्कृति योगदान , भौतिक योगदान, आर्थिक योगदान हो। और महाराष्ट्र एक नवंबर एक स्टेंट रहा है और इस नवंबर एक स्टेट की जो सोच है इसके पीछे की शिवाजी महाराज जिस तरह से है , महात्मा पुले है , अम्बेडकर जी है इन सब की विचारधारा बहुत बड़ी है और जो हमारी विरासत है और मुझे हमेशा से ही लगता रहा है कि महाराष्ट्र की इस विरासत को जिस प्रकार से लोगों तक पहुंचाना चाहिए वह उस तरह से नहीं पहुंच पा रही हैं और इस कार्यक्रम के माध्यम से हमारी यही कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा महाराष्ट्रीयन लोग सिविल सेवा में आए और एक-दूसरे से जुड़े और महाराष्ट्र की विचारधारा को पूरे देश में फैलाए ।
और अन्त में डाॅ ज्ञानेश्वर मुले ने कहा कि एक दिन अवश्य ही महाराष्ट्र के परिवर्तन की गूंज हमें पूरे विश्व व देश में सुनाई देगी।