कोरोना वायरस ने उद्योग व कोरोबार जगत में मचाया हडकंप, गौतम बुद्ध नगर के कारोबारियों, उद्योगपतियों की यह मांग
Abhishek Sharma /Lokesh Goswami Tennews
चीन से महामारी की शक्ल लेकर पूरे विश्व में फैल चुके कोरोना वायरस से भारत में भी हड़कंप का माहौल है भारत में भी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात 8:00 बजे अगले 21 दिन तक देश को लॉक डाउन करने की भी घोषणा कर दी है। ऐसे में व्यापारियों कारोबारियों के माथे पर बल पड़ रहे हैं। भारतीय कारोबार-उद्योग जगत तक इसका असर पहुंच गया है।
चीन में उत्पादन में आई कमी का असर भारत से व्यापार पर भी पड़ा है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को क़रीब 34.8 करोड़ डॉलर तक का नुक़सान उठाना पड़ सकता है। ओईसीडी ने पहले अनुमान लगाया था कि भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.2 प्रतिशत रहेगी लेकिन अब उसने इसे कम करके 5.1 प्रतिशत कर दिया है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस महामारी का आने वाले समय में अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को महसूस किया जाएगा।’’ उन्होंने उद्योगपतियों से मानवीय रुख अपनाने और कोविड 19 के नकारात्मक प्रभाव के बावजूद कार्यबल में कटौती नहीं करने को कहा।
वही उत्तर प्रदेश के ‘शो विंडो’ कहे जाने वाले नोएडा में भी व्यापारियों और कारोबारियों की स्थिति भी बेहद नाजुक है। गौतम बुध नगर में 21 दिन के लॉक डाउन का व्यापार और कारोबार पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके लिए टेन न्यूज ने यहां के व्यापारियों एवं कारोबारियों से काम पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी ली।
ग्रेटर नोएडा में रहने वाले इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव एसपी शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि लॉकडाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था पर पडेगा। एक महीने उत्पादन बंद, धंधे मे भी कर्मचारियों की सैलरी, न्यूनतम बिजली बिल, जी एस टी आयकर, कंपनी की सुरक्षा पर अतिरिक्त खर्चा, सबसे महत्त्वपूर्ण बैक लोन की किस्त व भविष्य मे खाते का NPA होनी, ESI /PF व आने वाले एक माह बाद काम की स्थिति क्या होगी? बाजार की क्या मांग होगी, कच्चा माल की कीमते, इन सभी का आर्थिक बोझ उद्योगों पर ही पडेगा। पिछले एक वर्ष से उद्योगों की आर्थिक स्थिति रस ताल मे थी अभी लगभग 1 महीने की बंदी जो संमभवत आगे भी बढ सकती है।
उन्होंने कहा कि मेरी सरकार से कुछ मांगे हैं। वित्त मंत्री से निवेदन है कि बंदी के दिनों मे लेबर की सेलरी ESI /PF का सरकार द्वारा भुगतान किया जाए। बंदी के बाद एक वर्ष तक लोन के ब्याज की माफी व पुर्णभुगतान का समय प्रदान किया जाए। सूक्ष्म , लघु व मध्यम प्रकार के उद्योगों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज का प्रावधान किया जाए। उनका कहना है कि देशबंदी के उपरांत कच्चे माल की कीमत निश्चित रूप से प्रभावित होगी। ऐसे मे सरकारी आर्डर व अन्य अनुबंधित आर्डरों की दर को वर्तमान समय के अनुसार पुनः निर्धारित किया जाए।
उन्होंने कहा अधिकांश कर्मचारी अपने गांव को प्रस्थान कर चुके हे ऐसे मे पूर्व अनुबंधित आर्डरो को पूरा करने मे अतिरिक्त समय प्रदान किया जाए। वहीं उनका कहना है कि देश बंदी के दौरान औद्योगिक यूनिट बंद है, ऐसे समय मे वित्तीय व व्यापारिक लेन देन भी परस्पर बंद है, इस समय के लिए कुछ राहत कोष कर्मचारियों की सैलरी के लिए दिया जाए। विभिन्न प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध व दंड जो व्यापारियों पर कई कर नही चुकाने के लिए प्रत्यारोपित किये जाते है व एक वर्ष के लिए स्थगित किये जाए।
वही इस बारे में एसोसिएशन ऑफ ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष आदित्य घिल्डियाल ने कहा कि माल की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लग गई है। पार्ट्स का आयात-निर्यात भी नहीं हो पा रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर की हालत पिछले 6 माह से खराब चल रही थी। ,अब कोरोनावायरस के चलते हुए लाकडाउन के बाद इसकी हालत और बदतर होने वाली है।
उनका कहना है कि पिछले कुछ समय से ग्लोबल इकोनामी डाउन चल रही है। ऊपर से अब कोरोनावायरस का प्रकोप पूरे विश्व में फैल गया है। उद्योग एवं कारोबार जगत शायद ही इसकी भरपाई कर पाएगा। कोरोनावायरस वैश्विक महामारी है, इसलिए देश बंदी पर कुछ कह भी नहीं सकते। उन्होंने कहा कि गौतम बुध नगर में पहले से ही काफी कंपनियां नुकसान में चल रही थी। कंपनियों ने 6 माह पहले अपने वर्करों को निकालना शुरू कर दिया था। ऐसे में तमाम व्यापारियों और कारोबारियों को उम्मीद है कि जल्द ही देश इस महामारी से जीत जाएगा। उन्होंने मांग की है कि कुरान वायरस खत्म होने के बाद फ्री फ्लो बिजनेस पर रोक न लगाई जाए। सरकार द्वारा उद्योग एवं कारोबार जगत के लिए इमरजेंसी पैकेज के नाम पर कोई ना कोई घोषणा जरूर होनी चाहिए।
वहीं परम डेयरी संचालक राजीव अग्रवाल का कहना है कि कोरोना वायरस के इस माहौल में स्टाफ की सैलरी निकालने भी बहुत मुश्किल हो रही है सभी के काम धंधे बंद हैं ऐसे में उद्योगपति एवं कारोबारियों का सब कुछ जाना है आना कुछ नहीं है उन्होंने कहा की नुकसान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए।
नोएडा सेक्टर 18 मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के दिल्ली-एनसीआर संयोजक सुशील कुमार जैन ने कहा कि कोरोना वायरस देश की इकोनॉमी को नीचे ला देगा। रोजाना करीब 15000 करोड का नुकसान उद्योग एवं कारोबार जगत को हो रहा है। अगर 21 दिन तक का आंकड़ा निकाला जाए तो लगभग 3 लाख 15 हजार करोड रुपए का नुकसान होने वाला है। इसकी भरपाई कई सालों तक नहीं की जा सकती है। उनका कहना है कि देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यहां की इकोनामी 20 परसेंट डाउन होने की उम्मीद है।
सुशील कुमार जैन ने कहा कि देश भर में 7 करोड़ व्यापारी बेहद उत्सुकता से सरकार द्वारा घोषित होने वाले आर्थिक पैकेज की प्रतिसजहा कर रहे हैं। कैट ने वित्त मंत्री वर्तमान वित्तीय वर्ष को से 31 मार्च बजाय 30 जून तक आगे बढ़ाने का आग्रह किया। अगले वित्तीय वर्ष को नौ महीने के लिए किया जाए। बैंक ऋणों की वापसी, ईएमआई और अन्य बैंकिंग दायित्वों को 30 सितंबर तक बढ़ाया जाना चाहिए और विस्तारित अवधि पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं वसूला जाना चाहिए। बिजली, पानी, संपत्ति कर जैसे सभी सरकारी बिलों का भुगतान 30 सितंबर, 2020 तक स्थगित कर दिया जाना चाहिए और सेवाओं के ऐसे बिल में 50% का डिस्काउंट दिया जाए।
उनका कहना है कि कर्मचारियों की भविष्य निधि में उनके 50 प्रतिशत हिस्से को आगामी छह महीने के लिए सरकार द्वारा वाहन किया जाए। देश की सप्लाई चेन को सुचारू रूप से चलाने के लिए व्यापारियों को रियायती ब्याज दर पर कोरोना कैश लोन दिया जाए। नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन को आर्थिक रूप से मजबूत व्यापारियों को रियायती दर पर ऋण देने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। किसी भी व्यापारी के खाते को एनपीए घोषित नहीं किया जाए।
वहीं ग्रेटर नोएडा में रहने वाले इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सदस्य जितेंद्र पारिख ने कहा कि कोरोना वायरस के चलते देश को कई मायनों में बड़ा नुकसान हो रहा है। इसका सबसे ज्यादा फर्क उद्योग एवं कारोबार जगत पर पड़ रहा है। लोग करोड़ों का नुकसान झेल रहे हैं। ऐसे में सरकार ने यह भी कहा है कि उद्योग बंद होने के बाद भी कर्मचारियों को सैलरी दी जाए। ऐसे में कंपनी मालिकों का उद्योग चौपट हुआ पड़ा है, कर्मचारियों को सैलरी कहां से दें। वहीं उन्होंने सरकार से मांग की है कि आने वाले समय में बैंक लोन की किस्तों में छूट दी जाए या माफ की जाएं।
वही नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा कि कोरोनावायरस का प्रकोप इस वक्त पूरे देश में हैं सभी लोगों के काम धंधे बंद पड़े हैं। उद्योग एवं कारोबार जगत को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। कोरोना वायरस का खतरा खत्म होने के बाद सरकार को कारोबारियों, उद्योगपतियों के हित में फैसले लेने पडेंगे।