उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से GIMS ग्रेटर नोएडा में सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा की बनी उम्मीद
टेन न्यूज नेटवर्क
ग्रेटर नोएडा (28 मार्च 2022): मई 2008 में ग्रेटर नोएडा एवं आसपास से सटे क्षेत्र के लोगों के लिए विश्वस्तरीय स्वास्थ सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए तात्कालीन मायावती सरकार द्वारा मान्यवर कांशीराम मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल की स्थापना हुई।
जिसके बाद राज्य विधानमंडल में 4 दिसम्बर 2012 को इस अस्पताल को विश्विद्यालय बनाए जाने एवं नाम में परिवर्तन करने का बिल पारित हुआ। जिसके बाद तात्कालीन अखिलेश सरकार द्वारा 2 अप्रैल 2013 को आउट पेशेंट विभाग को शुरू करने हेतु लखनऊ से इसका उद्घाटन किया गया। और 17 डॉक्टरों की टीम को नियुक्ति कर भेजा गया।
जिसके बाद फिर एकबार अस्पताल के विधि व्यवस्था में बदलाव 2016 में हुआ। 15 फरवरी2016 को नाम बदलकर ‘गवर्मेंट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस’ (GIMS) कर दिया गया, जो SGPGI लखनऊ के तर्ज पर समाज के साथ एक स्वायत्त संस्थान के रूप में पंजीकृत है। और 2019 में ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’ द्वारा MBBS के कोर्स को शुरू करने हेतु मान्यता दी गई,अभी वर्तमान में MBBS के छात्रों के लिए 100 सीटें उपलब्ध है, और PG के लिए 15 सीट्स |
वर्तनमान में अस्पताल के निदेशक डॉ (ब्रिगेडियर) राकेश गुप्ता, बीते सालों में अस्पताल एवं यँहा की स्वास्थ्य सुविधाएं कई मायनों में समाज एवं सरकार की कसौटियों पर खड़ी उतरी है, विशेष रूप से कोरोना महामारी के दौरान गौत्तमबुद्ध नगर एवं आसपास के लोगों के लिए कोविड उपचार एवं अन्य स्वास्थ सुविधा मुहैया कराने में अस्पताल द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई, जिसके कारण GIMS को कई अवार्डस भी मिले ।अपने निरीक्षण के दौरान सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी अस्पताल द्वारा किए गए कार्यों की सराहना कर चुके हैं।
लेकिन वहीं इस कामयाबी और शानदार सफलता से इतर दूसरा पक्ष भी है, अस्पताल तक पंहुचने के लिए उपयुक्त यातायात की सुविधा नहीं होने के कारण, आम लोगों एवं मरीजों को वँहा तक पंहुचने में काफी समस्या होती है, इस पर प्रशासन एवं सरकार को ध्यान देना चाहिए।टेन न्यूज की टीम ने अपने भेंट में पाया कि अस्पताल में साफ सफाई सहित सभी अन्य बुनियादी सुविधाएं ठीक ठाक थी, लेकिन वहां के कई वरीय चिकित्सकों ने हमसे नाम ना बताने की शर्त पर बात करते हुए कहा कि “नोएडा प्राधिकरण से अस्पताल के संरचनात्मक विकास, भवन आदि के रखरखाव को लेकर जिस सहयोग की अपेक्षा है वो सहयोग प्राप्त नहीं हो रहा है, सुरक्षा दृष्टिकोण से स्थानीय पुलिस प्रशासन से भी जिस सहयोग की अपेक्षा है वो सहयोग नहीं मिल पा रही है, यदि सहयोग मिले तो अस्पताल की सुविधाएं और भी बेहतर हो सकती है।
वहीं अस्पताल के तमाम गतिविधियों एवं कार्यकलापों में निदेशक डॉ (ब्रिगेडियर) राकेश गुप्ता का महत्वपूर्ण योगदान है, वो एक कुशल चिकित्सक हैं। वहीं चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ सौरव श्रीवास्तव का भी महत्वपूर्ण योगदान है अस्पताल को एक नई ऊंचाई प्रदान करने में।
जब हमारी टीम ने वँहा मौजूद मरीजों एवं उनके परिजनों से बातचीत किया तो मौजूद काफी लोगों ने अस्पताल की विधि व्यवस्था को लेकर अपनी संतुष्टि व्यक्त किया, और कुछ लोगों ने सफाई एवं अन्य व्यवस्था को लेकर अपने सुझाव भी दिए।
वहीं यदि बात अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों की करें तो सोचनीय विषय यह है कि इतनी सुविधाओं से लैश और इतने बड़े पैमाने के अस्पताल में एक भी कार्डियोलोजिस्ट नही है, और ना ही एक भी न्यूरो हैं, इन तमाम मुद्दों पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बनने पर ब्रजेश पाठक से GIMS ग्रेटर नोएडा में सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवा और सुविधाओं की बनी है उम्मीद।।
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