मंदी की मार, बंद हो सकती है ग्रेटर नोएडा की होंडा कंपनी, यह है वजह

ABHISHEK SHARMA

Greater Noida (26/10/19) : ऑटोमोबाइल उद्योग में मंदी जंगल की आग की तरह फैल रही है। वाहन निर्माता पिछले 11 महीनों में इस तरह के परिदृश्य का अनुभव कर रहे हैं और भविष्य भी उतना उज्ज्वल नहीं लगता है। कई वाहन निर्माताओं ने आगे के उत्पादन पर ब्रेक लगा दिया और कुछ दिनों के लिए संयंत्रों को बंद कर दिया है ताकि जमा स्टॉक को कम किया जा सके।

होंडा कार्स इंडिया भी इनसे अलग नहीं है। पिछले चार वर्षों में HCIL की बिक्री लगभग आधी हो गई है। प्रमुख बिजनस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स ने अब रिपोर्ट दी है कि कंपनी अपने विनिर्माण परिचालन और लागत में कटौती के पुनर्गठन पर विचार कर रही है। जिसका मतलब उसके दो संयंत्रों में से एक को बंद करना भी हो सकता है।  होंडा कार्स के भारत में दो विनिर्माण संयंत्र हैं। एक यूपी के ग्रेटर नोएडा में स्थित है, जबकि दूसरा राजस्थान के टपुकरा में है।



ग्रेटर नोएडा संयंत्र होंडा का भारत मे पहला उद्योग है, जबकि दूसरा नया है। एक साथ दोनों संयंत्रों की उत्पादन क्षमता 2.8 लाख सालाना कारों की है। अगस्त 2019 में होंडा ने एक साल पहले बेची गई 17,020 की तुलना में 8,291 कारें बेची हैं। घरेलू बिक्री में 51.28 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। अप्रैल से सितंबर तक 6 महीने की अवधि में बिक्री में 35 प्रतिशत की गिरावट के साथ लगभग 60,000 यूनिट्स की गिरावट देखी गई। पिछले चार वर्षों में बिक्री में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट आई है।

इसके अलावा कंपनी अब सरकार से कर छूट का दावा नहीं कर सकती है क्योंकि वे एक दशक से अधिक समय से इस स्थान पर हैं। इतना ही नहीं कम्पनी प्रबन्धन का मानना है कि ग्रेटर नोएडा अब एक आवासीय शहर बन रहा है। इससे संयंत्र के अंदर और बाहर इन्वेंट्री और कच्चे माल की आवाजाही मुश्किल हो जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, होंडा की योजना में अपने ग्रेटर नोएडा प्लांट से राजस्थान प्लांट में उत्पादन को शिफ्ट करना शामिल हो सकता है। जहां वे जरूरत पड़ने पर उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

कंपनी कुछ साल पहले गुजरात में अधिग्रहित की गई जमीन को भी बेच सकती है, क्योंकि तीसरा संयंत्र लगाने की तत्काल आवश्यकता नहीं है। ग्रेटर नोएडा में संयंत्र का उपयोग विशेष रूप से अनुसंधान और विकास के लिए किया जा सकता है। इस संयंत्र की वार्षिक उत्पादन क्षमता 1.2 लाख इकाइयों की है, जो पिछले महीने महज 2,500 कार पर आ गई है। कम्पनी ने उत्पादन 40 प्रतिशत तक घटाया है।

अपने जवाब में कंपनी ने कहा है कि बिक्री में भारी गिरावट आई है। बिक्री की स्थिति से सामंजस्य बनाने के लिए दोनों संयंत्रों के बीच उत्पादन मात्रा का अनुकूलन किया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा संयंत्र को पूरी तरह से बंद करने की योजना नहीं है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों से तपुकरा में उत्पादन को स्थानांतरित करने की योजना नियोजित चरणों में चल रही है।


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