कैसे मनायें शुभ सुरक्षित पर्यावरण हितैषी दीपावली, ढेरों खुशियों वाली
लेखक: डॉ सुशील द्विवेदी, स्टेट कोअर्डिनेटर ग्रीन ओलंपियाड (टेरी) व अर्थ डे नेटवर्क स्टार 2020 अंतरराष्ट्रीय पुरुस्कार विजेता
दीपावली रोशनी और पवित्रता का त्योहार है यह त्योहार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। कहते हैं भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध भी इसी दिन किया था। लेकिन हर दीपावली के बाद पूरे देश के प्रमुख बड़े बड़े शहरों में 15 से 20 दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक अर्थात एयर क्वालिटी इंडेक्स के खतरनाक स्तर तक बढ़ने धुंध के कारण स्मोग की समस्या आम होती जा रही है इसका कारण नवंबर माह मैं दीपावली आते आते हवा की गुणवत्ता मैं गिरावट से वायु प्रदुषण खतरनाक स्तर तक बढ जाता है जो न केवल बुज़ुर्गों की सेहत को प्रभावित करता है बल्कि इसकी चपेट में अस्थमा पेशेंट, हार्ट पेशेंट और छोटे बच्चे भी आ जाते हैं. प्रदूषण की वजह से आम लोगों को भी आंखों में जलन, खुजली, स्किन रैशेज़, सांस लेने में दिक्कत और गले में खराश सरदर्द एवं नींद न आने की समस्या जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है |
अब समय आ गया है कि पर्यावरण हितैषी जीवनचर्या को अपनाते हुए भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा पूरी तरह से स्वदेशी ढंग से बनाये गए ग्रीन पटाखों के साथ दिवाली मनाई जाये I ये ‘ग्रीन पटाखे भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद अर्थत सीएसआईआर के अंतर्गत’ राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान नागपुर (एनईईआरआई) व केंद्रीय विद्युत रासायनिक अनुसंधान संस्थान (सीईसीआरआई) कराइकुडी, तमिलनाडु की संयुक्त खोज हैं ग्रीन पटाखे सीएसआईआर-राष्ट्रीय इंजीनियरिंग एवं पर्यावरण शोध संस्थान (एनईईआरआई) की मान्यता प्राप्त एनएबीएल प्रयोगशालाओं द्वारा भी पूरी तरह से परखे गए हैं लेकिन देखा जाए तो यह पटाखे केमिकल युक्त पटाखों से थोड़े महंगे होंगे।
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे :
ग्रीन पटाखे दिखने, जलने और आवाज़ में सामान्य पारंपरिक पटाखों पटाखों की तरह ही होते हैं, इन पटाखों में अनार, पेंसिल, चकरी, फुलझड़ी, फ्लावर पॉट,स्काई शॉट और सुतली बम, आदि हैं। अन्य पटाखों की तरह ही ग्रीन पटाखों को माचिस से जलाया जाता है। ऐसा भी नहीं है कि इससे प्रदूषण बिल्कुल भी नहीं होता है. पर हां वायु प्रदूषण की दृष्टि से ये कम हानिकारक पटाखे होते हैं. ये.सामान्य पटाखों की तुलना में 30 से 40 फ़ीसदी तक कम हानिकारण गैस पैदा करते हैं. क्योंकि सामान्य पटाखों में की तुलना मैं ग्रीन पटाखों मैं वायु प्रदूषण फैलाने वाले हानिकारक रसायन जैसे- एल्युमिनियम, बैरियम, पौटेशियम नाइट्रेट कार्बन और,सल्फर कम मात्रा में इस्तेमाल होते हैं ।जिससे इनके जलने पर पर्यावरण प्रदूषण में 30 से 40 फीसदी की कमी आती है अगर ध्वनि प्रदुषण की दृष्टि से भी देखा जाय तो ये कम ध्वनि प्रदुषण फैलाते हैं I
कितने तरह के ग्रीन पटाखे
सी एस आई आर नीरी ने कुछ रासायनिक फार्मूला विकसित किये हैं इसी अनुसार ग्रीन पटाखों में इस्तेमाल होने वाले अलग मसाले बहुत हद तक सामान्य पटाखों से अलग होते हैं., जिससे पटाखे जलने के बाद कम हानिकारक गेसें बनेगी एवं रासायनिक अभिक्रिया से पानी बनेगा जिसमें हानिकारक गेसें घुल जायेंगी I
सीएसआईआर के अंतर्गत’ राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी संस्थान नागपुर (एनईईआरआई) व केंद्रीय विद्युत रासायनिक अनुसंधान संस्थान (सीईसीआरआई) कराइकुडी, तमिलनाडु ने चार प्रकार के पटाखे बनाये हैं |
पानी पैदा करने वाले पटाखे या सेफ वाटर रिलिजर पटाखेः
इन पटाखों के जलने से पानी के कण पैदा होते हैं , जिसमें सल्फ़र और नाइट्रोजन के कण आसानी से घुल जाएंगे। नीरी ने इन्हें सेफ़ वाटर रिलीज़र पटाखे का नाम दिया है।
खुशबु वाले क्रैकर्स अर्थात अरोमा क्रैकर्स:
इन पटाखों को जलाने से न केवल कम हानिकारक गैस पैदा होगी बल्कि बातावरण में बेहतर खुशबू भी बिखरेगी
कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल सेफ़ मिनिमल एल्यूमीनियम क्रैकर्स अर्थात सफल :
इन पटाखे में सामान्य पटाखों की तुलना में 50 से 60 फ़ीसदी तक कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल होता है अर्थात ऐसे ग्रीन पटाखों के जलने से वातावरण में कम एल्यूमीनियम के कण मुक्त होंगे
सल्फ़र और नाइट्रोजन कम पैदा करने वाले स्टार क्रैकर यानी सेफ़ थर्माइट क्रैकर
इन क्रैकर्स में ऑक्सीडाइज़िंग एजेंट का उपयोग होता है जिससे जलने के बाद सल्फ़र और नाइट्रोजन के हानिकारक ऑक्साइड कम मात्रा में पैदा होते हैं. इसके लिए ख़ास तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है.
ग्रीन पटाखे कहाँ से खरीदें:
आप कहीं भी पटाखों की दुकानों से इन्हें खरीद सकते हैं. आजकल ऑनलाइन ढंग से भी अलग अलग प्लेटफॉर्म से खरीद सकते हैं I अलबत्ता पटाखे खरीदते समय एक बार दुकानदार से ये कन्फर्म जरूर कर लें कि ये ग्रीन पटाखे हैं या नहीं या ग्रीन पटाखों की पैकिंग के ऊपर अलग से लगे होलोग्राम या लेबल को देखकर आप सुनिश्चित कर सकते हैं I ये पटाखे सामान्य पटाखों से थोड़े महंगे जरूर है लेकिन पर्यावरण हितैषी हैं ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल दुनिया के किसी देश में नहीं होता है. यह आइडिया पुर्णतः भारतीय वैज्ञानिकों का है और हम भारत में ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करके पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दुनिया को एक नई दिशा देकर भारत का पर्यावरण संरक्षण मैं हो रहे योगदान को दिखा सकते हैं |
सेहत पर वायु प्रदूषण के असर को कम करने के लिए घर के अंदर अर्थात इंडोर प्रदूषण को कम करने हेतु व हवा से जहरीले प्रदूषकों को सोखने हेतु कुछ महत्वपूर्ण इंडोर पौधे जैसे 1. नाग पौधा 2. ऐरेका पाम 3. सिंगोनियम 4. क्रोटोन 5. मनी प्लांट 6. चायनीज़ एवरग्रीन्स 7.ड्रेकेना फ्रेग्रेंस 8. स्पाइडर प्लांट 9. एलोवेरा 10. इंग्लिश इवी 11-लेडी पाम 12.पाथीफाइलम (पीस लिली ) 13. बोस्टन फर्न 14. वीपिंग फिग आपके घर की हवा को शुद्ध करने में काफी मदद कर सकते हैं |
पटाखों को जलाते समय क्या क्या रखें सावधानियां
1. हमेशा अच्छे ब्रैंड वाले कम ज्वलनशील लेवल के वाले पर्यावरण हितैषी ग्रीन पटाखे ही खरीदे
2. पटाखे हमेशा खुली और पर्याप्त हवादार जगह पर पास मैं पानी की बाल्टी रखकर ही छुड़ायें और ध्यान रखें कि आपके आसपास पेट्रोल, डीजल, केरोसिन या एल पी जी गैस सिलिंडर जैसी ज्वलनशील चीजें न रखीं हों।
3. फुस्स हुए पटाखों से दूर रहें। उनको दुबारा जलाने के चक्कर में न पड़ें। ये पटाखे कभी भी छूट सकते हैं। और आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं
4. पटाखे छुड़ाते समय हो सके तो कॉटन के सही फिटिंग के कपड़े पहनें। पुरुष व महिलायें घेरदार ढीले ढाले सिंथेटिक पॉलिएस्टर युक्त कपडे पहनने से बचें, क्योंकि इन कपड़ों में आग लगने की संभावना बहुत अधिक रहती है।
5. पटाखे छुड़ाते समय लम्बी लकड़ी में मोमबत्ती लगाकर पर्याप्त दूरी से पटाखे छुड़ायें, ताकि आप दुर्घटना से बच सकें।
6. एक साथ कई पटाखे न छुडाएं क्योंकि इससे आपका ध्यान भटकता है और आप दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं।
7. पटाखों से जल जाने पर जले हुए हिस्से को तुरंत पानी में डुबोये रहे और तब तक ये करते हैं जब तक जलन कम न हो जाय । उसके बाद जले स्थान पर मलहम लगाएं।
8. ह्रदय के रोगियों व उच्च रक्त चाप अर्थात हाइपरटेंशन के रोगियों को पटाखों के प्रदूषण और शोर से बचना चाहिए और घर पर ही रहकर आराम करना चाहिए।
9. सांस के रोगियों को पटाखों के धुएं से बचना चाहिए वो वायु प्रदूषण के असर को कुछ कम करने के लिए यूकेलिप्टस यानी नीलगिरि ऑयल की मदद ले सकते हैं. इसके लिए यूकेलिप्टस ऑयल की कुछ बूंदों को गर्म पानी में डालें, फिर इस पानी से कुछ मिनट स्टीम लें. ये लंग्स के लिए नेचुरल प्यूरीफायर के तौर पर आपकी मदद करेगा |
10. पटाखा छुड़ाते समय आंखों में चश्मा ,शरीर पर पूरे कपड़े और पैरों मैं जूते का प्रयोग करके आप शुभ व सुरक्षित दीवाली मना सकते हैं ।