“कानूनी शिक्षा में न्यायशास्त्र के महत्व” विषय पर गलगोटियाज विश्वविद्यालय ने आयोजित किया एफडीपी
गलगोटियाज विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ के द्वारा 25 जुलाई से 31 जुलाई, 2021 तक “शिक्षण कानूनों में न्यायशास्त्र के महत्व” पर छठे संकाय विकास कार्यक्रम का आनलाईन आयोजन किया जा रहा है। इस एफडीपी कार्यक्रम का उद्घाटन दिल्ली के उच्च न्यायालय के (सेवानिवृत्त) न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.आर. मिढ्डा ने किया। कार्यक्रम में संसाधन व्यक्तियों, सम्मानित न्यायाधीशों, शिक्षाविदों, प्रशासकों और कॉर्पोरेट के द्वारा अनुसंधान, संवैधानिक कानून, आपराधिक कानून, आईपीआर, एडीआर और कॉर्पोरेट कानून जैसे विषय पर चर्चा होगी।
एफडीपी में वारविक विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. उपेंद्र बक्सी, बेनेट विश्वविद्यालय की डीन प्रो. डॉ. नुज़हत परवीन खान, एडमास यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. डॉ. जे. के. पांडे, और एसीसी लिमिटेड कंपनी के मुख्य कानूनी अधिकारी राजीव चौबे सहित देश भर से बड़ी संख्या में प्रोफेसरों, शोधार्थियों और उद्योगों के व्यक्तियों ने नामांकन किया है। इस अवसर पर गलगोटिया विश्वविद्यालय के सीईओ ध्रुव गलगोटिया और डॉ. प्रीति बजाज कुलपति गलगोटियाज विश्वविद्यालय ने सभी अथितियों एवं वक्ताओं का स्वागत करते हुए ऐसे सामयिक मुद्दे पर संकाय विकास कार्यक्रम आयोजित करने के लिए स्कूल ऑफ लॉ को बधाई दी।
न्यायमूर्ति मिढ्डा ने शिक्षण कानूनों में न्यायशास्त्र के महत्व पर एक विस्तृत व्याख्यान दिया। जस्टिस मिधा ने कानून की शिक्षा में तर्कसंगत सोच को शामिल करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि कानून स्नातकों को अच्छे संचार कौशल, व्यावहारिक और प्रयोगात्मक आधारित शिक्षा के साथ-साथ सलाह भी दी जानी चाहिए ताकि युवा कानून की पेशेवर चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित और तैयार हो सकें।
न्यायमूर्ति मिढ्डा ने कानून स्नातकों को जागरूक जीवन और कानूनी पेशे में संवेदनशील बनाने के महत्व पर भी जोर दिया। इस दौरान गलगोटियाज विश्वविद्यालय की संचालन निदेशक आराधना गलगोटिया ने एफडीपी को संबोधित करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम हमें कानूनी दुनिया की अवधारणाओं और जटिल मुद्दों को समझने और उन्हें सरल करने में मदद करेगा। और कहा कि न्यायशास्त्र न केवल कानून बनाने की सूचना देने की कुंजी है, बल्कि इसकी वैधता और उसमें किसी भी बदलाव का मूल्यांकन भी करता है।
उद्घाटन सत्र का समापन गलगोटिया विश्वविद्यालय के लॉ स्कूल की डीन प्रो. डॉ. नमिता सिंह मलिक द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।