जेपी हॉस्पिटल में ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ ‘कैच देम अरली’ कार्यक्रम का आयोजन
- 25से 35 साल तक की लड़कियों में तेजी से फैल रहा स्तन कैंसर
- छाती में गाँठ स्तन कैंसर का सबसे प्रमुख लक्षण
नोएडा, 3 फरवरी 2017, दिल्ली-एन.सी.आर. में अग्रणी एवं उत्तर भारत में प्रमुख स्थान रखने वाले, नोएडा स्थित मल्टी सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा संस्थान जेपी हॉस्पिटल में ‘कैच देम अरली’ जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ जागरूकता बढ़ाना था ताकि शुरुआती अवस्था में ही कैंसर का पता लग जाए और समय पर मरीज का जीवन सुरक्षित किया जा सके। जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन जेपी हॉस्पिटल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. सुदर्शन डे, मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. मलय नंदी एवं सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. पवन गुप्ता की टीम ने किया। इस कार्यक्रम में देश भर के विभिन्न विभागों के सौ से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सकों सहित सैकड़ों कैंसर विनर ने भी भाग लिया।
‘कैच देम अरली’ सम्मेलन में जेपी हॉस्पिटल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. सुदर्शन डे ने स्तन कैंसर के आंकड़े को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी, “भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है। एक आंकड़े के अनुसार भारत में 25 से35 साल तक की लड़कियों में स्तन कैंसर तेजी से फैल रहा है और ऐसी ही स्थिति रही तो भारत 2020 तक स्तन कैंसर रोगियों का 5वां सबसे अधिक ग्रसित देश होगा। भारत में स्तन कैंसर का दर प्रति 1 लाख औरतों में 10 से बढ़कर 23 तक पहुंच चुकी है। ग्रामीण महिलाओं में बीमारी का स्तर एक जैसा है। आमतौर पर स्तन कैंसर 45-50 साल की उम्र की महिलाओं में होता था। लेकिन अनियमित खानपान और बेढंग दिनचर्या के चलते आज ये उम्र घटकर 25 से 35 हो गई है। हैरानी की बात यह है कि वर्तमान में 17-18 साल की लड़कियों में भी स्तन कैंसर के लक्षण पाए गए हैं।“
इस अवसर पर जेपी हॉस्पिटल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. मलय नंदी ने स्तन कैंसर के लक्षणों की जानकारी दी, “स्तन में गाँठ होना, निप्पल से खून आना, निप्पल में गड्ढा पड़ना, निप्पल में खिंचाव, छाती की रूपरेखा में बदलाव, निप्पल पर रैश आना स्तन कैंसर के लक्षण हैं। सबसे प्रमुख लक्षण छाती में गाँठ आना है। ये बीमारी अनुवांशिक भी हो सकती है। ऐसे में महिलाओं को 50 की उम्र में मेमोग्राफी करवानी चाहिए ताकि स्तन कैंसर के लक्षण का पता लग सके। स्तन कैंसर की सही समय पर जांच हो तो इसका इलाज बहुत जल्द हो सकता है।”
जेपी हॉस्पिटल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. पवन गुप्ता ने भी कहा, “हमारे समाज में जब किसी व्यक्ति को कोई भी बड़ी बीमारी होती है तब वह शुरुआती अवस्था में पकड़ में नहीं आती। इसका कारण यह है कि रोगी को जब बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं तब वह नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लेकर थोड़ी राहत पा लेता है और निश्चिंत हो जाता है। लोगों की इसी सोच से उनकी बीमारी जटिल तथा एडवांस बन जाती है और जिंदगी जोखिम में पड़ जाती है। भारत में कैंसर के भयावह स्थिति तक पहुंचने का यही सबसे बड़ा कारण है।”
सम्मेलन में जेपी हॉस्पिटल विभाग के कैंसर विभाग के तीनों वरिष्ठ चिकित्सकों ने अतिथि चिकित्सकों से आग्रह किया, “जब भी कोई रोगी किसी चिकित्सक के पास पहुंचे तो सभी चिकित्सक कैंसर के शुरुआती लक्षणों का सही अंदाजा लगाएं और मरीज का उचित मार्गदर्शन करें। भारत में कैंसर के प्रसार पर पूरी तरह से नियंत्रण पाने के लिए चिकित्सकों को भी अपनी तरफ से अतिरिक्त पहल करनी होगी।