जेपी हॉस्पिटल में अलीगढ़ निवासी गर्भवती हिमांशी की गंभीर बीमारी से बची जान, 10 हफ्ते पूर्व ही कराया गया महिला का प्रसव

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GREATER NOIDA TENNEWS REPORTER LOKESH GOSWAMI 

सिर के दाईं तरफ जमा था खून का थक्का, ब्रेन हेमरेज हो चुका था नोएडा सेक्टर 128 स्थित मल्टी सुपर स्पेशियलिटी जेपी हॉस्पिटल के चिकित्सकों की दो टीमों ने अपने व्यापक अनुभव से दो लोगों के जीवन कोबचाने में सफलता पाई। न्यूरोसर्जरी एवं प्रसूति विभाग के चिकित्सकों ने अलीगढ़ निवासी गर्भवती हिमांशी की अति गंभीर बीमारी से जान तो बचाईही साथ ही निर्धारित समय से काफी पहले जन्म लिए शिशु को भी सुरक्षित बचा लिया। यह कामयाबी जेपी हॉस्पिटल के न्यूरो सर्जरी विभाग केवरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विशाल जैन और प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की चिकित्सक डॉ. संदीप चढ्ढा की टीम को मिली।जेपी हॉस्पिटल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की चिकित्सक डॉ. संदीप चढ्ढा ने हिमांशी के बारे में बताया, “23 वर्षीय गर्भवती हिमांशी अग्रवालअलीगढ़ में चिकित्सकों से परामर्श ले रही थी। एक दिन अचानक हिमांशी को उल्टी होने लगी और सिर में दर्द हुआ तो उसने स्थानीय डॉक्टर सेसम्पर्क किया। सी.टी.स्कैन जांच के बाद हिमांशी के सिर के अंदर ब्लीडिंग होने का पता चला और बीमारी की अग्रिम जांच एवं उचित ईलाज केलिए महिला को तुरंत जेपी हॉस्पिटल जाने की सलाह दी गई।”न्यूरोसर्जरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विशाल जैन के अनुसार, “वास्तव में चिकित्सकों को पहले हिमांशी के गर्भवती होने की जानकारी नहींथी क्योंकि वह जेपी हॉस्पिटल में सिर्फ अपनी मस्तिष्क संबंधी बीमारी की जांच व ईलाज कराने आई थी। यहां जब उसकी अग्रिम जांच की गई तोपता चला कि उसे INTRA CRANIAL HEMATOMA (BLEED) नामक बहुत गंभीर बीमारी थी। इस बीमारी में मस्तिष्क के अंदर खून काथक्का जम जाता है जो ब्रेन हेमरेज और फिर मृत्यु का कारण बन सकता है। परिजनों को जब इस बात का पता चला तब उन्होंने ईलाज कराने कानिर्णय किया और इसके बाद चिकित्सकों को हिमांशी के गर्भवती होने की जानकारी दी गई।”डॉ. संदीप चढ्ढा ने आगे बताया, “आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं का ब्लडप्रेशर काफी बढ़ जाता है। जो प्रसव के बाद ही सामान्यअवस्था में आता है। यही स्थिति इस मरीज के साथ भी थी। इस बीमारी को PRE-ECLAMPSIA कहते हैं। यदि इसी स्थिति में मरीज का ईलाजकिया जाता तो दोबारा मस्तिष्क में खून का थक्का जम सकता था जिससे मरीज सहित गर्भस्थ शिशु के जीवन को जोखिम हो सकता था। इसलिएन्यूरोसर्जरी एवं हमारी टीम के चिकित्सकों ने एक साथ दो ऑपरेशन करने की योजना बनाई। पहली योजना बनी कि निर्धारित समय से करीब10 हफ्ते पहले ही प्रसव कराया जाएगा और फिर बाद में मस्तिष्क संबंधी बीमारी का ईलाज किया जाएगा। समय से पूर्व प्रसव कराना हमेशा सेजोखिम भरा काम होता है इसलिए करीब 12 घंटों तक गर्भस्थ शिशु को दवाओं द्वारा प्रसव के अनुकूल अवस्था में लाया गया और फिर एक हीऑपरेशन कक्ष में बारी-बारी से दोनों सर्जरी की गई। जब शिशु का जन्म हुआ तो उसका वजन 1.2 किलो था। जिसे कुछ दिनों के लिए चिकित्सकीयदेख-रेख (C.P.A.P.) में रखा गया। अब वह स्वस्थ है।”डॉ. विशाल जैन ने भी कहा, “खून का थक्का हिमांशी के सिर के दाईं तरफ था। इसके लिए CRANIOTOMY AND EVACUATION OF HEMATOMA (BLEED) सर्जरी की गई। न्यूरो सर्जरी में 1 से 2 घंटे और कुल ऑपरेशन में करीब 4 घंटों का समय लगा। आखिरकार सर्जरीसफल हुई। सर्जरी के बाद हिमांशी को एक दिन वेंटिलेटर पर रखा गया फिर वेंटिलेटर हटाने के दो दिन बाद वार्ड में शिफ्ट किया गया।”इस ऑपरेशन में जेपी हॉस्पिटल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की डॉ. ज्योति खत्री के साथ क्रिटिकल केयर विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शैलेन्द्रगोयल, शिशु रोग विभाग के डॉ. विक्रम कुमार एवं डॉ. निधि गुप्ता तथा न्यूरो एनेस्थेटिस्ट डॉ. किरण रेड्डी ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।गौरतलब है कि हर महीने विश्व के अनेक देश जैसे- यमन, नाइजीरिया, ओमान, ईराक, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ्रीकी देशों से सैकड़ों रोगी अपनीगंभीर एवं जटिल बीमारियों का इलाज कराने जेपी हॉस्पिटल आते हैं। इस सर्जरी की सफलता ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि जेपी हॉस्पिटल नेउन मरीजों का भरोसा कायम रखने में एक बार फिर सफलता पाई है।

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