अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर राजनीति हुई शुरू, संबित पात्रा ने बताया पत्रकारिता के लिए काला दिन

ROHIT SHARMA

नई दिल्ली :– महाराष्ट्र की मुंबई पुलिस ने आज रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी पर कार्रवाई की। अर्नब गोस्‍वामी को एक इंटीरियर डिजाइनर की आत्महत्या से जुड़े दो साल पुराने मामले में गिरफ्तार किया है।

 

 

 

वहीं, अर्नब की गिरफ्तारी के बाद से ही केंद्र में तमाम मंत्री उनके समर्थन में आ गए और महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर लिया। यहां तक की अर्नब की गिरफ्तारी पर गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट किया और कांग्रेस और उसके सहयोगियों को निशाने पर लिया। अब भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मामले को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की।

 

संबित पात्रा ने कहा कि मुसोलिनी के दाहिने हाथ रह चुके पिता की पुत्री आज जिस प्रकार भारत में माफियाराज स्थापित कर रही है ये आप सबके सामने है। उन्होंने कहा, ‘सिर्फ किसी एक चैनल के नहीं, बल्कि सभी चैनलों के अधिकार के लिए आज हम आवाज उठा रहे हैं। मां-बेटे की माफिया सरकार ने सिर्फ प्रेस के ऊपर ही आघात नहीं किया, बल्कि जब इनके पक्ष में फैसला नहीं आता तो ये मुख्य न्यायाधीश को भी नहीं छोड़ते।

 

 

 

उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ सोनिया गांधी लेख लिखती हैं और कहती हैं कि ‘लोकतंत्र की हत्या हो रही है’ और राहुल गांधी लिखते हैं और कहते हैं कि वे ‘प्रेम की राजनीति’ करते हैं। क्या इस मामले में लोकतंत्र की हत्या नहीं की जा रही है? क्या यह प्रेम की राजनीति है?

 

 

 

पात्रा ने कांग्रेस पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि कंधा तो शिवसेना का है, मगर वो बंदूक, बारूद और सारा कुछ, उन मां-बेटे का है जो हिंदुस्तान में लोकतंत्र को समाप्त करने के लिए लड़ रहे हैं।

 

 

 

भाजपा प्रवक्ता ने कहा, कोरोना महामारी के दौरान, जब हम लड़ रहे हैं, हमने महाराष्ट्र में एक ऐसी सरकार बनाई है जो पत्रकारों को गिरफ्तार कर रही है, खासकर उन लोगों को जिन्होंने कोविड महामारी के दौरान महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए थे।

 

 

उन्होंने कहा कि जब राजीव गांधी आईएनएस विराट से लक्षद्वीप की छुट्टी पर गए थे, तब इंडियन एक्सप्रेस ने कहानी छापी थी। तब इंडियन एक्सप्रेस के साथ वैसा ही व्यवहार किया गया जैसा अभी महाराष्ट्र सरकार द्वारा पत्रकारों के साथ किया जा रहा है।

 

 

 

पात्रा बोले, राजीव गांधी ने पीएम के खिलाफ किसी को भी लिखने से रोकने के लिए जुलाई 1988 में एक मानहानि विधेयक पेश किया था। तब मीडिया एकजुट था, बिल के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की थी।

 

 

 

उन्होंने आगे कहा कि अर्नब गोस्वामी के साथ आज जो हुआ है, ये पत्रकारिता जगत के लिए एक काला दिन है। उनके बेटे के ऊपर अटैक करना, उनके घर से उनको घसीट कर ले जाना और वह भी एक ऐसे केस में जो 2018 में बंद हो गया था। अगर आज हम एकजुट नहीं होंगे तो कल बारी हम सबकी है


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