“सलाम नमस्ते” मंथन अवार्ड 2013 से सम्मानित

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“सलाम नमस्ते” मंथन अवार्ड 2013 से सम्मानित
इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (आई.एम.एस) नोएडा के कम्यूनिटी रेडियो सलाम नमस्ते 90.4 को मंथन अवार्ड 2013 से सम्मानित किया गया। डिजीटल इमपॉवरमेंट फाउंडेशन (डी.आई.एफ) द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में एशिया पैस्फिक रीजन के 36 देशों से आए कम्युनिटी रेडियो के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। यह अवार्ड सलाम नमस्ते को गरीब बच्चों तक शिक्षा की रौशनी पहुंचाने वाले कार्यक्रम “चक दे छोटू” के लिए दिया गया। सलाम नमस्ते को यह पुरस्कार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव सुप्रिया साहू द्वारा मिला। इस अवार्ड समारोह में बतौर मुख्य अतिथि विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद भी उपस्थित थे।

सलाम नमस्ते की स्टेशन हेड वर्षा छबारिया ने बताया कि इससे पहले भी बुजुर्गों द्वारा प्रसारित कार्यक्रम “सेकेंड इनिंग को सलाम” के लिए मंथल अवार्ड 2012 से हम सम्मानित हो चुके हैं। इस बार गरीब एवं संसाधनहीन बच्चों को शिक्षित करने एवं उनके द्वारा प्रसारित कार्यक्रम “चक दे छोटू” के लिए हमें मंथन अवार्ड 2013 से सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि सलाम नमस्ते यह कार्यक्रम दिल्ली एनसीआर के कुछ एनजीओ के साथ मिलकर संचालित करता है। इस कार्यक्रम में संसाधनहीन बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनकी मूलभूत जरूरते जैसे कॉपी, किताब, पेन, कपड़े आदि का भी ख्याल रखते हैं। साथ ही आमलोगों की सहायता से बच्चों का नामांकन अच्छे स्कूल में भी कराया जाता है। 14 वर्षीय रूपा का उदारहण देते हुए उन्होंने कहा कि यह मासूम लड़की पहले घर-घर जाकर अपनी मां के साथ घरेलू काम में हाथ बंटाती थी, लेकिन चक दे छोटू प्रोग्राम के तहत इसे बाल भारती स्कूल में दाखिला दिलाया गया है। अब रूपा पढ़ने-लिखने लगी है।

सलाम नमस्ते की इस सफलता पर आईएमएस के प्रेसिडेंट राजीव कुमार गुप्ता ने सलाम नमस्ते की टीम को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आशा है कि आगे भी हम इसी तरह एकजुट होकर सामाजिक हित में कार्य करते रहेंगे। उल्लेखनीय है कि सलाम नमस्ते चक दे छोटू प्रोग्राम के साथ-साथ सेकेंड इनिंग को सलाम, नोएडा के सारथी, सलाम स्कूल, धूम पिचक धूम, सलाम सेहत और एक पहल जैसे सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दे पर कार्यक्रम प्रसारित करता रहा है। साथ ही सलाम नमस्ते उभरते हुए कलाकारों को भी अपनी सामाजिक कार्यों से जोड़े हुए है, ताकि समाज में संसाधनहीन लोगों तक सुचारू रूप से शिक्षा पहूंचायी जा सकें।

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