नगर निगम बनवाने के लिए नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा के वासियो की तरफ से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा गया ज्ञापन
ROHIT SHARMA / TALIB KHAN
नॉएडा (29/01/19) :– नॉएडा और ग्रेटर नॉएडा में जिस गति से औधोगिक विकास हो रहा है, उसी गति से शहरी निवासियों की संख्या भी बढ़ रही है।
यह एक बड़ी समस्या का विषय है की इस बढ़ती आबादी के साथ शहर का कूड़ा और साथ ही औधोगिक कूड़ा भी बहुत तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं। जिससे कई तरह की बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं।
दिल्ली से सटे होने के कारण शहर में प्रदुषण की समस्या भी बढ़ रही है। इन विषयों पर समुचित कार्यवाही के लिएनॉएडा वासी अपने हक़ की मांग करते हुए नॉएडा प्रशासन और सरकार से एक नगर निगम बनवाने की गुहार लगा रहे हैं जिससे की उनकी स्थानीय समस्याओ का हल हो सके।
17 दिसंबर, 2018 को बिमटेक ग्रेटर नोएडा और टेन न्यूज़ डॉट इन द्वारा संयुक्त रूप से “नोएडा क्षेत्र के लिए नगर पालिका विकल्प” विषय पर एक नागरिक राउंडटेबल का भी आयोजन किया गया था। इस आयोजन में सरकार, सामाजिक संगठन, संवैधानिक पदों पर आसीन गणमान्य व्यक्ति, विशेषज्ञ, उद्योग, मीडिया से जुड़े 50 गणमान्य व्यक्ति और उनके प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
जिसमे कई नागरिक वैचारिक मंथन उभरे थे। उन्ही विषयों का एक ज्ञापन बनाकर मुख्यमंत्री को इस बार उनके नोएडा दौरे के समय सौंपा गया।
इस ज्ञापन में क्षेत्र से जुड़ी विशेषताओं को उठाते हुए बताया गया की नोएडा-ग्रेटर नोएडा अपने आर्थिक महत्व विशेष रूप से शिक्षा, आईटी, आईटीईएस और ऑटोमोबाइल उद्योग के क्षेत्रों में विशेष उपलब्धियों के लिए जाना जाता है। यहां आठ विश्वविद्यालय, 100 से अधिक कॉलेज और कई उच्च संस्थान हैं। यह बेंगलुरु, पुणे और गुरुग्राम के साथ आईटी उद्योग में भी शीर्ष स्थान पर हैं। दोनों शहर दुनिया की छठी सबसे तेजी से बढ़ती मेट्रो अर्थव्यवस्था हैं। इसके अलावा, जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से शहर वैश्विक मानचित्र पर आ कर खड़ा हो जाएगा। इससे विस्तार और विकास के अपार अवसर प्राप्त होंगे। यहां दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल रेलवे कॉरिडॉर का गाजियाबाद-नोएडा-दादरी निवेश क्षेत्र भी है। जो भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी आर्थिक परियोजना है।
अनेकों लोगों का मानना है की एक विश्वस्तरीय शहर के रूप में नोएडा-ग्रेटर नोएडा को संचालित करने के लिए स्थानीय स्वशासन प्रणाली की आवश्यकता है। निम्नलिखित कारण स्पष्ट करते हैं कि स्थानीय स्वशासन की क्यों आवश्यकता है:-
1. नोएडा-ग्रेटर नोएडा (एनजीएन) पूरे दिल्ली-एनसीआर के मध्य एकमात्र शहर है जिसमें स्थानीय निकाय का अभाव है।
2. इस तरह से देखा जाए तो एनजीएन के निवासी स्थानीय लोकतंत्र के अपने मौलिक अधिकार से वंचित हैं।
3. एनजीएन देश में ऐसी आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें बुनियादी सेवाओं में स्थानीय जवाबदेही की कमी है।
4. नागरिक सेवाओं के मानक और गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है।
5. नगर निकाय नहीं होने के कारण यहां के नागरिकों को स्मार्ट सिटी, प्रधानमंत्री आवास योजना, शहरी क्षेत्रों के कायाकल्प के लिए अटल मिशन और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
6. दोनों शहरों में नियमित रूप से पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता, कूड़ा निस्तारण, सीवेज ट्रीटमेंट, पथ प्रकाश, सड़क, फुटपाथ, सिटी ट्रांसपोर्ट आदि नागरिक सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को बनाए रखने के लिए उपयुक्त योजना नहीं है।
7. शहर की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बजट नंत्री से रा के फार्मूलेशन नहीं है।
8. हालिया व्यवस्था केवल अस्थायी है और आपात प्रबंधन के लिए ‘जब होगा, तब देखा जाएगा’ की नीति अपनाई जा रही है।
9. दोनों शहरों को 11वें राष्ट्रीय एवं राज्य वित्त आयोग से कोई मदद नहीं मिल रही है।
जिस तरह 74वा संविधान संशोधन स्थानीय स्वशासन की भावना परिलक्षित करता है, उसी को हम इस पत्र के माध्यम से आपके समक्ष रख रहे हैं। (समय-समय पर यथा संशोधित उत्तर प्रदेश प्रबंधन संवैधानिक अधिनियम 1996 का विधान)
इस ज्ञापन के द्वारा मुख्यमंत्री से कुछ सिफारिशें भी की गयी,जो इस प्रकार हैं ,
1. संविधान के अनुच्छेद 243 (क्यू) के अनुसार नोएडा-ग्रेटर नोएडा को अधिसूचित किया जाए।
यथा महानगरपालिका (नगर निगम) अधिनयम-1959
2. अधिनियम की धारा-1 खंड (ग) के अनुसार प्रशासक नियुक्त करें।
3. अनुसूची 12 के सूचीबद्ध कार्य भूमि, आपदा प्रबंधन आदि जीएनजी नगर निगम को सौंपे जाएं।
4. विशेष रूप से स्थानीय निकाय को जलवायु परिवर्तन और परिवहन से जुड़े कार्य दिए जाएं।
5. राजकोषीय विचलन, एनएफसी और एसएफसी की सिफारिशें लागू हों।
6. वार्ड और जोन बनाएं।
7. एक नियोजन विभाग बनाएं। स्थानीय योजना, आंचलिक योजना और शहरी विकास योजनाओं के बंगलूरू की तर्ज पर माइक्रो-प्लान तैयार करें।
8. परिवर्तनकाल में नोएडा विकास प्राधिकरण कार्यशील रह सकता है। बाद में उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन और विकास अधिनियम-1973 के अनुसार विकास प्राधिकरण कार्यरत रह सकता है।
9. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के क्षेत्र का पूर्ण विकास होने तक प्राधिकरण के रूप में जारी रह सकता है। विकसित हो चुके हिस्से नगर निगम का भाग बन जाएंगे।
10. इसके बाद विकसित/कब्जे वाले क्षेत्रों को समय-समय पर जोड़ा जा सकता है।
11. परिवर्तनकाल काल के दौरान नोएडा और ग्रेटर नोएडा को चाहिएt
ए. विकास प्राधिकरण, नगर पालिका को स्थानांतरित करने के लिए बुनियादी ढांचे, सेवाओं और परिसंपत्तियों की सूची तैयार करें।
बी. प्राधिकरण द्वारा उठाए गए कदमों की कमी सूची तैयार करें।
सी. वित्तीय निहितार्थ का आकलन करें।
12. दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग और 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार नोएडा और ग्रेटर नोएडा के राजस्व से धन का एक कोष विकसित किया जाए।
मुख्यमंत्री को यह ज्ञापन एनपी सिंह अध्यक्ष फ़ोनारवा, एच. चतुर्वेदी, डायरेक्टर, बिमटेक, आदित्य घिल्डियाल, उपाध्यक्ष, अग्रि , एडवोकेट पीएस जैन, अध्यक्ष, कोनर्वा, गजानन माली, संस्थापक, टेन न्यूज़ , रंजन तोमर, वकील, दिल्ली हाई कोर्ट एवं मंजुला मिश्रा, अध्यक्ष, भारतीय उद्योगों संघ, नॉएडा द्वारा सौंपा गया और उनसे शीघ्र कार्यवाही की विनती की गई।