बाल पर्वतारोही अंगद भारद्वाज और उनके पिता ने टेन न्यूज पर साझा की दो विश्व कीर्तिमानों की कहानी

ABHISHEK SHARMA

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Noida (09/08/20) : वैश्विक महामारी कोरोना से आज के समय में पूरा विश्व जूझ रहा है। सभी लोग इससे निजात पाने के लिए उपाय खोज रहे हैं। भारत में कोरोना के मरीजों की संख्या 20 लाख के पार पहुंच गई है, स्थिति वाकई चिंताजनक बनती जा रही है। ऐसे में टेन न्यूज़ लगातार अपने दर्शकों को इसके प्रति जागरूक कर रहा है और ऑनलाइन वेबीनार के माध्यम से प्रतिदिन नई-नई हस्तियों को जनता से रूबरू कराते हैं।

इसी कड़ी में टेन न्यूज़ के लाइव कार्यक्रम में बाल पर्वतारोही अंगद भारद्वाज एवं उनके पिता सिक्स सिगमा हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर प्रोफेसर विवेक श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने अपने अनुभव के जरिए बाल पर्वतारोही अंगद भारद्वाज की अब तक की सफल यात्रा से लोगों को रूबरू कराया।

आपको बता दें कि अंगद भारद्वाज के नाम दो विश्व कीर्तिमान हैं। बाल पर्वतारोही अंगद भारद्वाज ने 10 वर्ष की उम्र में दो अदभुत विश्व कीर्तिमान बनाकर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया। अंगद ने पहला रिकॉर्ड सबसे छोटी उम्र में भारतीय सेना प्रमुख के हाथों सम्मानित होने तथा दूसरा रिकॉर्ड भारतीय वायु सेना से प्रशिक्षित होने का बनाया है।

सिक्स सिग्मा हाई ऐल्टिटूड मेडिकल सर्विस के निदेशक डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने इस दौरान कहा कि बच्चे ऊर्जा का भण्डार होते हैं, जिन्हें सही दिशा में लगाना माता-पिता का फ़र्ज़ होता है। स्कूल से गर्मी व सर्दी की छुट्टियां होने पर हम लोग अंगद को ऊंची पहाड़ी इलाक़ों में सेवा के लिए ले जाते थे। इस प्रकार अंगद भी रुचि लेने लग गया। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों को सही दिशा-निर्देश मिले तो दुनिया का कठिन से कठिन कार्य कार्य करने से भी पीछे नहीं हटते। उनके द्वारा किए गए कार्य दूसरों बच्चों के लिए प्ररेणा श्रोत बन जाते हैं। देश को आगे ले जाने और साहसिक कार्यों के लिए अंगद को मेरा पूर्ण समर्थन रहेगा। नन्हा पर्वतारोही अंगद देश के बच्चों के लिए शानदार उदाहरण है।

डॉ. भारद्वाज ने बताया कि अंगद ने पहाड़ों में अत्यंत जोखिम भरे क्षेत्रों अमरनाथ और केदारनाथ में नि:स्वार्थ सामाजिक सेवा प्रदान कर राष्ट्र का गौरव बढ़ाया है। उसमें अदम्य साहस, बहादुरी, निडरता और देश भक्ति जैसे गुण कूट-कूट कर भरे हुए हैं। उनका कहधा है कि अंगद भारद्वाज ‘ट्रेन हार्ड एंड फाइट इजी’ सिद्धांत में विश्वास रखता है, उसने सिक्स सिग्मा पर्वतारोहण दल के साथ भारतीय वायु सेना के गरुड़ कमांडो और आईटीबीपी औली में रैपलिंग, फिसलना, पर्वतारोहण और शून्य से कम तापमान में कार्य करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है जो दूसरे बच्चों को पर्वतारोहण की ओर ले जाने की प्रेरणा देगा।

उन्होंने बताया कि अंगद भारद्वाज ने 12000 फीट ऊंचाई पर रहकर निस्वार्थ भाव से सामाजिक सेवा की है। इतनी ऊंचाई पर तापमान शुन्य डिग्री से भी कम होता है, जहां लोग सही से सांस नहीं ले पाते हैं, वहां अंगद ने 2 महीने सामाजिक सेवा में बिताए हैं। उसको यहां तक पहुंचाने में उसका दृढ़ संकल्प और एक अभिभावक के तौर पर मेरा डबल सपोर्ट निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

डॉ प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि हम 2013 से फ्री मेडिकल सर्विस दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमने केदारनाथ में हॉस्पिटल बना रखा है, अमरनाथ में टेंट लगाकर लोगों को मेडिकल सुविधा प्रदान करते हैं, कैलाश मानसरोवर यात्रा में भी मेडिकल सुविधा लोगों को देते आ रहे हैं। उनका कहना है कि जब बच्चों के स्कूल की छुट्टियां होती हैं तो बच्चे अपने नानी नाना के घर जाते हैं। लेकिन अंगद छुट्टियों में हमारे साथ दो 2 महीने माइनस डिग्री तापमान में रहते थे। इन्होंने बचपन से ही सेवा भाव को देखा है। उन्होंने बताया कि जब अंगद 2 साल का था तब पहली बार केदारनाथ गया था। बच्चे अभिभावकों को देखकर काफी कुछ सीखते हैं। इसी प्रकार अंगद ने शुरू से ही यह सब देखा है और उसी तरफ कदम बढा रहा है।

उन्होंने बताया कि अंगद भारद्वाज की इस तरह पहली सीढी चांदीपुर में चढी, जहां इन्होंने इंडियन एयर फोर्स की ट्रेनिंग की, अंगद के कोच एयर मार्शल पवन कुमार थे। इस दौरान इन्होंने सब तकनीक सीखी कि किस तरह से हेलीकॉप्टर से नीचे आते हैं किस तरह से रैपलिंग करते हैं और हमने अंगद की प्रैक्टिस में पूरा साथ दिया। एयर फोर्स के जवानों ने भी नन्हे बच्चे का जज्बा देखकर कहा कि अंगद वाकई बहुत अच्छा कर सकता है, आप इसको और आगे बढ़ाओ।

उन्होने बताया कि इसके बाद हम इसे 2018-2019 में केदारनाथ लेकर गए। वहां पर अंगद ने कहा कि यात्रियों को केदारनाथ से भैरव घाटी मैं लेकर जाऊंगा। इस दौरान अंगद रोजाना यात्रियों को 500 फीट ट्रैक करा कर ले जाता था। एक छोटा सा बच्चा 50 साल के लोगों को अपने पीछे लेकर चल रहा है। उनको 500 फीट पर ले जाकर भैरव मंदिर के दर्शन कराता था। लोग अंगद के जज्बे को देखकर हैरान रह जाते थे कि इतना सा बच्चा इतना बड़ा काम कैसे कर पा रहा है।

इस दौरान खुद अंगद भारद्वाज ने प्रोफेसर विवेक कुमार के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि शुरू से ही उन्होंने अपने माता-पिता को देखकर सीखा है। उन्होंने कहा कि मैं दवाइयों के नाम सीखता हूं और प्रैक्टिस के दौरान रेपलिंग व ट्रैकिंग करता हूं। उन्होंने बताया कि केदारनाथ से ऊपर भैरव मंदिर जाने के लिए ट्रेकिंग करके भी जा सकते हैं और एक रास्ता है जिस पर पैदल चढ़ाई करके जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इतनी ऊंचाई पर जाकर मुझे डर नहीं लगता बल्कि सीखने को मिलता है और आईटीबीपी के जवानों के साथ रहकर भी काफी कुछ सीखने को मिलता है। अंगद भारद्वाज ने कहा कि पढ़ाई में उनको साइंस पसंद है। वहीं उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में जाकर देश की सेवा करना उनका लक्ष्य है।

डॉ प्रदीप भारद्वाज ने अपनी कंपनी के बारे में बताते हुए कहा कि सिक्स सिग्मा पहाड़ी क्षेत्रों पर यात्रियों की सेवा करने के लिए बनाया गया है। देश के 350 हॉस्पिटल के ऑपरेशन मैनेजमेंट में हमारे डॉक्टर हैं और जो भी हमारी कमाई होती है वह हम फ्री ऑफ कॉस्ट लोगों के लिए सामाजिक सेवा में लगाते हैं। उनका मानना है कि माउंटेन मेडिसिंस के लिए कोई कोर्स नहीं था, इसके बाद हमने माउंटेन मेडिसिंस का डिप्लोमा स्टार्ट किया।

उन्होने बताया कि अभी तक हम आइटीबीपी और बीएसएफ के साथ ट्रेनिंग कर रहे थे लेकिन भविष्य में बड़ा माउंटेन मेडिसिन इंस्टिट्यूट स्थापित करने का हमारा लक्ष्य है। पहाड़ों से लोगों का पलायन बड़ी मात्रा में हो रहा है क्योंकि वहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। हमारा लक्ष्य है कि वहां के लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार मुहैया कराया जाए। हम चाहते हैं कि वहां के लोग वहीं पर रहे और पहाड़ों में ही पढ़े और बढें।

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