तीन तलाक विधेयक पर नॉएडा-ग्रेटर नॉएडा की जनता की बेबाक राय, महिलाओं के हक़ पर सभी दिखे सहमत !
Ashish Kedia
(29/12/2017) नॉएडा
कल संसद के लोकसभा द्वारा पास किये गए तीन तलाक विधयक पर आज टेन न्यूज़ द्वारा नॉएडा – ग्रेटर नॉएडा के संभ्रांत जनों के विचार जानने के प्रयास किये गए। जहाँ अधिकतम लोग इस विधयक के पक्ष में नजर आए वहीं सभी ने यह भी स्वीकारा की तीन तलाक कानून के लागू होने के बाद तीन तलाक के मामलों में भरी कमी आएगी और समाज में महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिलने में सहायता होगी।
सैक्टर-34 निवासी धर्मेन्द्र शर्मा ने इस निर्णय को बेहद क्रन्तिकारी फैसला बताते हुए इस विधयक को पास कराने के लिए सभी राजनितिक दलों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा , “कल हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी पंचायत ने तीन तलाक रोकने सम्बंधी बिल पास करके मुस्लिम महिलाओं के हक में क्रान्तिकारी निर्णय लिया है जिसके लिए माननीय प्रधान-मंत्री,केंद्रीय कानून मन्त्री के साथ-साथ बिल का समर्थन करने वाली सभी पार्टियों का धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ। तीन तलाक के वजह से मुस्लिम महिलाओं को डर डर के रहना पड़ता था, क्योंकि यह तीन शब्द उनकी जिंदगी बर्बाद करते रहे हैं | यह मानवीय हकों का उल्लंघन है, भारतीय कानून के हिसाब से स्त्री और पुरुष को दोनों को समान हक होते हैं| पर तीन तलाक के मामले में महिलाओं पर यह एक प्रकार से अन्याय होता रहा है “|
बुद्धिजीवी प्रोफेसर ए एस आर्या ने कहा ” महिलाओं को अप्रत्याशित और असहनीय कष्ट से बचाने के लिए यह एक सराहनीय कदम है “.
ग्रेटर नॉएडा निवासी रूपा गुप्ता ने विस्तृत रूप से अपने विचार रखते हुए कहा की, “बहुत ही नायाब क्रान्तिकारी कदम उठाया गया है अभी तक पिछली सरकारो को लगता था कि महिलाये पति की मर्जी से ही वोट देंगी इसलिए उनहां महिलाओ की दयनीय स्थित से कोई सरोकार नही था। लेकिन अब महिलाओ ने संगठित होकर आवाज उठाई और अपना अस्तित्व पाया।
कुछ मौलवी टीवी पर दलील देते है कि प्राचीन काल मे एक साथ तीन तलाक देने पर 60 कोड़े मारने की सजा सुनाई । तो भाई वही साठ कोड़ों की सजा तो जरूरी है जिससे कोई और न वैसा करे।आजकल तो 60 मे इन्सान मर जायेगा इसलिए 3 साल की सजा का प्रावधान किया है हालांकि एक झटके मे किसी का पूरा जीवन बर्बाद करने के लिए यह भी कम है। “
साथ ही उन्होंने विरोधियों द्वारा उठाए जा रहे मुद्दे का जवाब देते हुए कहा, “आज जो लोग चीख रहे हैं कि जेल जाने पर गुजारा भत्ता कैसे देगा ? ऐसा लगता है पहले तो तीन तलाक देने के बाद भत्ता लेकर आगे पीछे घूमते थे कि भत्ता लेकर एहसान करो।
शाहबानो केस मे तो गुजारा भत्ते सुप्रीम कोर्ट का आदेश तक राजीव गांधी ने पलट कर उस महिला के असहाय होने की फिकर नही की जो कितनी मुश्किल से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ पाई होगी। शर्म आनी चाहिए ऐसे तर्को पर ।अरे जेल जाने का डर होगा तो कोई भी अपराध करेगा ही कयों? जेल जाने का डर तो अपराध करने बाले को होना चाहिए यहां उसके चाचाजान फिक्र कर रहे है
आज जो कह रहे है कि यह बिल महिलाओ की मददगार नही उनपर अत्याचार करने वाला है तो सदियों से कहां सो रहे थे जब सड़क पर बच्चे को टायलेट आने पर तीन तलाक । रोटी जलने पर तीन तलाक, फेसबुक व्हाटस एप पर, तब बहुत भला होता था महिलाओ का।
सभी मुस्लिम बहनो को बहुत बहुत हार्दिक बधाई और 20% वोट बैंक के डर से बाहर आकर भले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही सही बिल लाने के लिए सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद ” .
नॉएडा निवासी योगेश शर्मा ने अपना मत देते हुए कहा, “माननीय सुप्रीम कोर्ट को ह्रदय से आभार ! जिसने मुस्लिम महिलाओं के हित से जुड़े तीन तलाक जैसे अति संवेदनशील मुद्दे पर कानून बनाने के लिए केंद्र सरकार को बाध्य किया। कल केंद्र सरकार ने संज्ञान लेते हुए लोकसभा में तीन तलाक कानून के बिल पेश कर पास कराया। अब ये बिल राज्यसभा में जाएगा अगर ये बिल राज्यसभा में पास हो जाता है तभी ये बिल कानून की शक्ल ले पाएगा “।
रामवीर शर्मा ने भी तीन तलाक कानून बनाने की वकालत की और इसका बेजा इस्तेमाल करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की सरहाना की। उन्होंने कहा, “तीन तलाक देने वाले उन लोगों के खिलाफ कठोर न्यायपूर्ण कार्यवाही होनी चाहिए । किसी की बेटी की आवाज केवल इसलिए नही सुनी जाए क्योंकि वो किसी धर्म विशेष से ताल्लुक रखे, उचित नही है। इस कष्ट को वही महसूस कर सकता है जिसकी बेटी या बहिन के साथ अत्यचार होता है। जैसी भूखे व्यक्ति को पेट भरने के लिए किसी धर्म की दरकार नही होती वैसे ही अत्याचार सहने वाला किसी धर्म को नही मानता। वह तो केवल एक ही धर्म को मानता है, वह है मानवता और केवल मानवता”।
नॉएडा निवासी आर एन श्रीवास्तव ने कहा , “बदलती वैश्विक परिस्थितियों में तीन तलाक पर रोक मुस्लिम समुदाय को स्वयं ही लगानी चाहिए थी कि इससे किसी इस्लामिक कानून का उल्लंघन नहीं हो रहा था बल्कि इस्लाम में महिलाओं को दिए गए सम्मान व सुरक्षा के अधिकार का उल्लंघन था। सरकार ने तीन तलाक के विरूद्ध बिल पास कर महिलाओं की सुरक्षा व आत्मसम्मान सुनिश्चित किया है। इसका विरोध किया जाने का मुख्य कारण बी जे पी की सरकार द्वारा किया जाना है। अनेक मुस्लिम देशों में तीन तलाक प्रथा बैन की जा चुकी है लेकिन भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए तथाकथित धर्म निरपेक्षता के नाम पर अनेक दल विरोध कर रहे हैं। आज का पढ़ा लिखा मुस्लिम समाज भी सरकार की इस पहल के साथ है। खुलकर सामने न आने की वजह सब जानते हैं। इस निर्णय से सभी महिलाओं को बल मिलेगा। सर्वथा स्वागत योग्य निर्णय लिया गया है”।
संदीप ओहरी ने भी इस फैसले की सरहाना करते हुए कहा, ” बहुत ही सराहनीय कदम। पता नहीं अभी तक ६० साल से जयादा शासन करने वाली कागरेस सरकार ने कयों लागू नहीं किया एवम् मुस्लिम बहनों को जिललत की जिदंगी जीने को मजबूर किया। आशा करता हूँ बहुत जल्द – हम दो हमारे दो को भी लागू किया जायेगा समपूर्ण भारत में एक समान रूप से…..बिना किसी जाति, धर्म, रग इत्यादि के भेदभाव के ” .
मोटे तौर पर कहा जाए तो नॉएडा – ग्रेटर नॉएडा के अधिकांशतः निवासी इस तीन तलाक कानून के पक्ष में दिखे और सभी ने इसे मुस्लिम महिलाओं की बेहतरी के लिए एक आवश्यक कदम बताते हुए इसकी सराहना की।