नोएडा में सालों से रह रहा इंजीनियरिंग छात्र निकला 4 हत्या में वांछित नक्सली कमांडर, पढ़े चौंकाने वाला खुलासा :

ROHIT SHARMA / ASHISH KEDIA

(27/03/18) नोएडा :–

उत्तर प्रदेश में पिछले 48 घण्टों से मानो बदमाशों की शामत आयी हुई है | जिससे लगता है की नोएडा पुलिस का एक्शन मोड अब रुकने वाला नहीं है । गौतम बुद्ध नगर में आए नए एस. एस. पी. अजय पाल शर्मा ने अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं कि या तो बदमाश गौतमबुद्ध नगर छोड़ दें या फिर उनका यही अंजाम किया जाएगा इसी कड़ी में आज बड़ी कार्यवाही करते हुए एक कुख्यात नक्सली कमांडर को गिरफ्तार किया है ।

तस्वीरों में आप जिस व्यक्ति को देख रहे हैं ये बिहार का नक्सल एरिया का कुख्यात नक्सली सुधीर भगत है जो बिहार के मुजफ्फरनगर इलाके का रहने वाला है । बिहार पुलिस द्वारा 50000 का इनामी सुधीर पर दर्जनों मामले चल रहे थे । वांछित बिहार में नरसंहार का आरोपी है । सुधीर दिल्ली से सटे गौतम बुद्ध नगर में फर्जी ID के जरिए नोएडा के हरौला में लंबे समय से रह रहा था ।

वहीँ नोएडा के एस. एस. पी. अजय पाल शर्मा ने कहा कि अभी आरोपी से पूछताछ की जा रही है ।4 हत्या और 6 नरसंहार का आरोपी सुधीर भगत नॉएडा में सेक्टर 5 हरौला में 2015 से फर्जी ID पर रह रहा था । वहीँ बिहार में एक फैक्ट्री को बम से उड़ाने और कई हत्याओं का भी आरोप है ।वहीँ पूछताछ में सुधीर ने बताया कि वह मोदीनगर के दिव्यज्योति कॉलेज से बी टेक की पढ़ाई कर रहा था ।

पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान :

वही दूसरी तरफ इस मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े हो चुके है | 2015 से अगर इस तरह का कुख्यात अपराधी फर्जी आईडी बना कर नॉएडा में आम लोगों के बीच रह रहा था तो थाने की पुलिस को अपनी पीठ ठोकने के बजाए अपने ख़ुफ़िया नेटवर्क के नट कसने की आवश्यकता है।

नोएडा में बहुत लोग किराए पर रहते हैं, फर्जी आईडी पर ऐसे रहना कभी भी नेशनल सिक्योरिटी इश्यू साबित हो सकता है। तीन साल तक इंजीनियरिंग छात्र के रूप में इतने बड़े अपराधी का नॉएडा में छिपे रहना, स्थानीय पुलिस की छवि पर एक बहुत बड़ा सवालिया निशान उठाता है।
पिछले साल महागुन मेड कांड में भी बांग्लादेशी मूल के लोगों का फर्जी आइडी बना कर रहने का मुद्दा जोरो शोरो से उठा था।  उस सुबह की आक्रोशित भीड़ की उन तस्वीरों ने नॉएडा के लोगों को अंदर तक झकझोर दिया था परन्तु पुलिस उस मामले के बाद भी खानापूर्ति के सिवा कुछ ख़ास करती नहीं दिखी।  हालंकि इन सबमे एक अच्छी उम्मीद की किरण यह जरूर है की देर से ही सही, कार्यवाही शुरू तो हुई।
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