नोवरा का आरोप, कहा ‘सीईओ रितु माहेश्वरी सिटीजन चार्टर में फेल’
ABHISHEK SHARMA
Noida (22/09/19) : नोएडा विलेज रेसिडेंट्स एसोसिएशन द्वारा नोएडा प्राधिकरण पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आरोप लगाने के साथ-साथ उन्होंने तथ्य भी पेश किए। इसपर ज़्यादा जानकारी देते हुए नोवरा अध्यक्ष रंजन तोमर का कहना है कि नोएडा प्राधिकरण की सिटीजन चार्टर वेबसाइट पर प्राप्त शिकायतों, उनके समय से निस्तारण , समय के बाहर निस्तारण अथवा निस्तारित होने में देरी की जानकारी किसी भी समयावधि के बीच डालकर प्राप्त की जा सकती है।
उन्होंन बताया कि नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी के आने के दो माह 6 दिन बाद की रिपोर्ट अर्थात 16 जुलाई से 22 सितम्बर 2019 तक की रिपोर्ट एकत्रित की गई, इसके बाद तुलना करने हेतु 10 मई से 15 जुलाई (उतनी ही समयावधि, सीईओ माहेश्वरी से पूर्व) का डाटा एकत्रित किया गया तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आये।
10 मई से 15 जुलाई 2019 अर्थात सीईओ माहेश्वरी के आने तक दो माह में आम जनता से कुल 5703 शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से मात्र 836 का निस्तारण निश्चित समयावधि में किया गया जो कि करीब 14 फीसदी है। समयसीमा से बाहर जिन शिकायतों को प्राधिकरण ने निस्तारित किया उनकी संख्या थी 2827 अर्थात तकरीबन 50 प्रतिशत, इसके आलावा बची हुई शिकायतें समय के बाहर भी निस्तारित नहीं हुई।
वहीं सीईओ रितु माहेश्वरी 16 जुलाई 2019 को नोएडा प्राधिकरण की सीईओ बनी। इसके बाद नोवरा द्वारा एकत्रित जानकारी के अनुसार 16 जुलाई से 22 सितम्बर 2019 तक कुल 6998 शिकायतें आम जनता द्वारा दर्ज़ करवाई गई जिनमें से कुल 954 ही समयावधि के भीतर निस्तारित हुई, अर्थात मात्र 13 प्रतिशत, समयावधि के बाहर 5212 शिकायतों का निस्तारण किया गया जो तकरीबन 74 प्रतिशत है, जिससे कुछ उम्मीद ज़रूर बंधी है।
उन्होंने बताया कि जिस प्रकार समय पर न किया गया न्याय, न्याय नहीं कहलाता उसी प्रकार, समय पर न किया गया कार्य, आम जनता में रोष का कारण बनता है। नोवरा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेषकर किन्तु पूर्ण शहर के लिए सामान्य रूप से कार्य करती है। यदि क्षेत्र की जनता की समस्याओं के लिए बनाया गया यन्त्र ही सही से कार्य नहीं करेगा तो क्या फ़ायदा है ऐसे यंत्र का?
नोवरा की मांग सीईओ से यह है कि या तो इस आम जनता के लिए शक्ति पुंज रुपी सिटीजन चार्टर को बंद कर दिया जाए अथवा चलाया जाए तो सही तरीके से चलाया जाए। आरोप गंभीर हैं, जिनका जवाब जनता को प्राधिकरण द्वारा देना है।