श्री राम के हाथों वध से पहले रावण झेल रहा जीएसटी की मार, देखें दिल्ली के पुतला कारीगरों पर स्पेशल रिपोर्ट

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Lokesh Goswami | Rohit Sharma New Delhi :

रावण के पुतलों का बाज़ार भी इस बार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की मार से बच नहीं पाया है | पुतला बनाने में काम आने वाली तमाम सामग्रियों के दाम बढ़ चुके हैं, जिससे पिछले साल की तुलना में लागत में काफी इज़ाफ़ा हुआ है |
कारीगर आज़म अली का कहना है कि लागत बढ़ने की वजह से इस बार छोटे पुतलों के आॅर्डर आ रहे हैं, वहीं कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की मांग न के बराबर रह गई है | रावण के पुतलों की मूंछ बड़ी रखी जाती है. जब कुंभकर्ण या मेघनाद के पुतलों का आॅर्डर आता है तो छोटी मूंछ के पुतले बनाए जाते हैं |

उन्होंने बताया, ‘बांस की एक कौड़ी (20 बांस) का दाम इस साल 1,000 से 1,200 रुपये हो गया है | पिछले साल इसका दाम 700-800 रुपये कौड़ी था. इसी तरह पुतलों को बांधने के लिए इस्तेमाल होने वाले तार का दाम भी 40-50 रुपये किलो तक चला गया है | कागज़ 25 रुपये किलोग्राम पर पहुंच गया है | इस बार पुतलों का दाम 300 से 350 रुपये फुट पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह 250 रुपये फुट था |

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