दुनिया की सबसे ऊंचीं बर्फीली चोटियों पर प्रशिक्षण लेंगे सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के माउंटेन वॉरियर, जाने किन चुनौतियों का करना पड़ेगा सामना

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हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में मेडिकल सेवा देने के लिए प्रसिद्ध सिक्स सिग्मा हाई ऑल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस के वॉलंटियर्स के लिए नव वर्ष में हाई ऑल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग में सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करने के मौका मिलने वाला है। इस ट्रेनिंग सत्र में सिक्स सिग्मा माउंटेन वॉरियर्स को कठिन परिस्तिथियों में बैटल फील्‍ड व एवलांच रेस्क्यू में बेहद कठिन प्रशिक्षण दिया जाएगा | हिमस्खलन में रेस्क्यू करने वाली टीम होती है बेहद खास, एक ट्रेनी पर खर्च होते हैं लाखों रुपये | जहां जिंदा रहने के कम साधन होते हैं, परिस्थितियों में मुकाबला करने के लिए ट्रेनीज़ को विशेष ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। इसे सर्वाइवल ट्रेनिंग कहा जाता है। इस दौरान हड्डियां गला देने वाली ठंड में अपने बचाव का तरीका भी बताया जाता है।

सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज ने हाई ऑल्टीट्यूड ट्रेनिंग के विषय में बताया कि दुनिया के सबसे ऊंचे इंडियन आर्मी हाई ऑल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग में मेडिकल स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिलवाने का मुख्य उद्देश्य उनमें क्षमता का विकास कराना है। जिससे वे पर्वतीय क्षेत्रों की कठिन परिस्तिथियों और वातावरण में होने वाले परिवर्तन से अवगत होकर सुचारू रूप से मेडिकल सेवाओं को दे सकें। हाई ऑल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल गुलमर्ग से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रशिक्षुओं को माउंटेन वॉरियर्स या व्हाइट डेविल्स भी कहा जाता है। गुलमर्ग में यह ट्रेनिंग 15 दिनों तक चलेगी व उसके पश्चात सभी प्रशिक्षुओं को सर्टीफिकेट प्रदान किए जाएंगे।

डॉ. भारद्वाज ने बताया कि इस ट्रेनिंग कोर्स में वॉलंटियर्स को सर्वाइवल ट्रेनिंग इन माउंटेन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिसमें एक ट्रेनी को इग्लो (बर्फ से बना घर) में रहना पड़ता हैं। जहां उसका खाना-पीना सब बर्फ में ही बनता है और इसी में रहना पड़ता है। इसके अलावा प्रशिक्षु को बर्फ से ढकी ऊंची पर्वत चोटियों पर स्कीइंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। वहीं, हिमस्खलन के दौरान लोगों को त्वरित सहायता पहंचाने के लिए रेस्क्यू के विभिन्न आयामों के साथ साथ लोगों को बचाने और उनके लिए अस्थाई शेल्टर के निर्माण और उन्हें दी जाने वाली मेडिकल सहायता के बारे में विस्तार से बताया जाएगा। यहाँ हिम्मत बताई नहीं, दिखाई जाती है और जो कुछ भी करो एक जूनुन के साथ करो वरना मत करो |

सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के सीईओ ने बताया कि ट्रेनिंग में प्रशिक्षुओं को स्कीइंग, स्नो शूज, शॉवेल, व्हाइट स्पेशल ड्रेस, ऑक्सीजन सिलेंडर, एडीवी ( एवलांच विक्टिम डिटेक्टर), वॉकी टॉकी, एवलांच सर्वाइवल बॉल जैसे उपकरणों का उपयोग करना सिखाया जाएगा। उक्त प्रशिक्षण एक प्रशिक्षु को माइनस 60 डिग्री तापमान और 35 फीट बर्फ में रहने के लिए सक्षम बना देती है। जो सिक्स सिग्मा की कार्यर्शली, किसी भी समय, कहीं भी, किसी भी वातावरण में और कितनी भी ऊंचाई पर वाले कथन को सुदृढता प्रदान करेगी।

बता दें कि इससे पहले भी भारतीय सेना के अर्द्ध सैनिक बल सिक्स सिग्मा हाई ऑल्टीटयूड मेडिकल सर्विस टीम को माउंटेन रेस्क्यू का प्रशिक्षण दे चुका है। गत वर्ष सिक्स सिग्मा हाई ऑल्टीटयूड मेडिकल सर्विस द्वारा श्री केदारनाथ धाम में सबसे लंबी मेडिकल सर्विस प्रदान की जो छह महीने तक चली। इस दौरान के सिक्स सिग्मा के चिकित्सकों द्वारा 15,000 (पंद्रह हजार ) तीर्थयात्रियों को मेडिकल सेवा दी।

आशीष शर्मा, सीन्यर अधिकारी – सिक्स सिग्मा ने बताया की, अगर ना संघर्ष न तकलीफ तो क्या मज़ा है जीने में, बड़े बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में | सिक्स सिग्मा का तो काम ही है ख़तरों से खेलना | जाते जाते जनरल रावत सर मुझे अच्छी निशानी दे गए है और मैं उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गए| हर सांस देश के नाम करने वाले वीर जनरल रावत ने हमें राह दिखाई है, अब उनकी दी हुई विरासत को हम आगे बढ़ाएंगे |

ट्रेनिंग कोम्मोंडोर भारत शर्मा ने कहा की, इजरायल की तर्ज पर भारत में “जांबाज जरनल रावत का यह क्रांतिकारी कदम है, जिन्होंने लीग से हटकर…देश में पहली बार सिक्स सिग्मा के सिविलीयन डॉक्टरों को मिलिट्री- ट्रेनिंग देने की अनूठी पहल की थी | आज सिक्स सिग्मा टीम को ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ करवाने के लिए जरनल साहिब को कोटि -कोटि नमन करते हैं |

सिक्स सिग्मा हाई ऑल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस देश की एकमात्र ऐसी सस्था है, जो सरकार और किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई आर्थिक सहायता नहीं लेती है। संस्था द्वारा संचालित मेडिकल सर्विस अब तक विभिन्न मेडिकल कैम्पों में 68,370 पीड़ितों का इलाज किया जा चुका है। संस्थान की हाई ऑल्टीट्यूड सर्विस टीम ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान सिक्किम के डोल्मा पास में 19,500 फीट की ऊंचाई पर चिकित्सा शिविर लगाया था, जिसमें संस्थान की टीम ने 750 से अधिक पीड़ितों को चिकित्सा सहायता दी थी। इसके अलावा 2015 में नेपाल में आए भीषण विनाशकारी भूकंप में गोरखा जिले में सिक्स सिग्मा हाई ऑल्टीट्यूड मेडिकल सर्विस टीम ने सबसे पहले पहुंचकर आपदा से पीड़ित 1700 से अधिक लोगों की सहायता की थी। इसके अलावा 2014 में श्री अमरनाथ यात्रा के दौरान 11,290 श्रद्धालुओं को चिकित्सा सेवा देकर उनको नवजीवन प्रदान किया था।

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