जनाब ! मॉब लिंचिंग पर राजनैतिक चश्मा उतारिए
अनिल निगम
-मॉब लिंचिंग की होने वाली विभिन्न घटनाओं के पीछे अलग-अलग कारण
-मॉब लिंचिंग पर विपक्षी नेता सेंक रहे सियासी रोटियां
–अफवाहों के सनसनीखेज फैलाव के कारण भी हिंसक वारदात हुई
-मॉब लिंचिंग पर राजनीति देशहित के खिलाफ
अखबारों और टीवी चैनलों में चलने वाली खबरों को पढ़ और देखकर ऐसा आभास होता है कि गौ रक्षकों ने एक संप्रदाय विशेष के लोगों पर चौतफा ताबड़तोड़ हमले कर दिए हैं। यही नहीं, देश के विभिन्न हिस्सों में अन्य कारणों से होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाओं के कारणों को सही स्वरूप में पेश नहीं किया जा रहा। गो तस्करी के आरोप में राजस्थान के अलवर में पुलिस हिरासत में अकबर खान की मौत और वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश के दादरी में भीड़ के हमले में अखलाक की मौत के बाद विपक्षी नेता हर मॉब लिंचिंग की हर घटना को राजनैतिक चश्मे से देख रहे हैं।
ध्यान देने की बात यह है कि मॉब लिंचिंग की होने वाली विभिन्न घटनाओं के पीछे अलग-अलग कारण रहे हैं। अफवाहों और पशु प्रेमियों पर पिछले कुछ समय में मीट माफिया की गुंडागर्दी और हमले बढ़े हैं। इसके अलावा अफवाहों के सनसनीखेज फैलाव के कारण भी हिंसक वारदात हुई हैं। सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि मॉब लिंचिंग जैसे मुद्दे पर विपक्षी नेता राजनीति कर रहे हैं।
अहम सवाल है कि ऐसी घटनाएं को कौन से असामाजिक तत्व हवा दे रहे हैं और क्या ऐसी वारदात से हमारा सामाजिक तानाबाना कमजोर नहीं हो रहा ? क्या विपक्षी नेता राहुल गांधी और असम में बांगलादेशी घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता देने की हिमाकत करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मुदृदे पर अपने पूर्वग्रह को त्याग कर सचाई का साथ देंगे?
वास्तविकता तो यह है कि गौ रक्षा के नाम पर या किसी अन्य वजह से किसी को भी काननू को हाथ में लेने और हिंसा करने की इजाजत नहीं है। हिंसा का सहारा लेने वालों की सार्वजनिक तौर पर न केवल कड़ी निंदा की जानी चाहिए बल्कि उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। दूसरी ओर, जहां भी गौ तस्कर और मीट माफिया या गुंडे, पशु प्रेमी और आम लोगों पर हमला कर रहे हैं, उन घटनाओं को भी गंभीरता से लेकर दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। लेकिन अफसोस की बात यह है कि सभी मामलों में ऐसा नहीं हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के नूरपुर गांव में जब पशु प्रेमियों ने गायों से लदे एक वाहन को रोकने का प्रयास किया तो वाहन में सवार बदमाशों ने ग्रामीणों पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। कर्नाटक से लेकर यूपी और ओडिसा इत्यादि स्थानों पर मीट तस्करों द्वारा पशु प्रेमियों के साथ ही आम लोगों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं। गौर करने की बात यह है कि देश में अनेक घटनाएं ऐसी घटीं हैं जिनमें सिर्फ अफवाहों के कारण भीड़ ने निर्दोष लोगों की हत्याएं कर दीं। निस्संदेह, वे घटनाएं पूरे देश को झकझोरने वाली हैं। लेकिन हमारे विपक्षी नेता ऐसी वारदातों को गंभीरता से लेकर उनका समाधान खोजने की जगह अपनी सियासी रोटियां सेंकने में लग गए हैं।
त्रणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आरोप है कि मॉब लिंचिंग की सभी वारदात के लिए जिम्मेदार भाजपा और उसके नेता हैं, जो देश में नफरत फैलाने का कार्य कर रहे हैं। सरकार सिर्फ इसकी निंदा कर रही है, उसे नियंत्रत नहीं कर रही। हाल ही में सुश्री ममता ने तो यह हास्यास्पद बयान दे दिया कि असम में घुसपैठियों को नागरिकता न दिए जाने पर देश में गृह युद्ध छिड़ जाएगा। हालांकि उनके इस बयान की देश भर में कड़ी आलोचना हुई है और इस मुद्दे पर वह अपनी पार्टी के अंदर ही बुरी तरह से घिर चुकी हैं।
इसी तरह से राहुल गांधी ने भी अलवर में अकबर की मौत पर ट्वीट कर कहा कि यह मोदी का ब्रूटल न्यू इंडिया है। हालांकि लोकसभा में विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस पर जवाब दिया कि आप भाजपा के कार्यकाल में मॉब लिंचिंग की बात करते हैं, लेकिन क्या विपक्ष इस बात का जवाब देगा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान 1984 में देश भर में हुई हिंसक घटनाएं मॉब लिंचिंग नहीं तो क्या थीं?
यहां पर मैं एक बात स्पष्ट तौर पर कहना चाहता हूं कि मॉब लिचिंग को किसी भी कीमत पर उचित नहीं ठहराया जा सकता। इस तरह की हर वारदात की कड़ी आलोचना जानी चाहिए। साथ ही ऐसी घटनाओं को राजनैतिक चश्मे से देखने की जगह मानवीयता के नजरिये से देखना चाहिए। अगर विपक्षी दल ऐसी वारदात को इसी नजरिया से देखते रहे तो हमारे देश में सामाजिक समरसता का माहौल बनने की जगह असहिष्णुता और द्वेष की भावना अपनी जड़ें जमा लेंगी। ऐसा होना देशहित और राष्ट्रहित के खिलाफ होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।)
मॉब लिंचिंग या पशु प्रेमियों पर हमले एक नजर में
-1 जुलाई, 2018: महाराष्ट्र के धुले जिले में बच्चा चोरी के संदेह में पांच लोगों को भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया।
-29 जून, 2018 को एक उत्तर प्रदेश के एक हॉकर की भीड़ ने बुरी तरह से पीटकर मार डाला।
-28 जून, 2018 को त्रिपुरा में एक ही दिन में तीन लोगों की हत्या कर दी गई। इसमें अफवाहों को दूर करने की बाबत लगाया गया एक सरकारी मुलाजिम भी शामिल था।
-27 जून, 2018 को मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में बच्चा उठाने के संदेह पर एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया गया।
-23 जून को गुजरात प्रदेश के अहमदाबाद शहर में एक भिखारी महिला की हत्या कर दी गई।
-23 जून को पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर में एक को मार दिया।
-13 जून को पश्चिम बंगाल के माल्टा में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई।
-8 जून को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में दो को मार दिया गया जबकि असर में भी दो लोगों की हत्या कर दी।
-28 मई को आंध्र प्रदेश में उन्मादियों ने एक किन्नर का मार दिया।
-25 मई को कर्नाटक में एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई।
-23 मई को बंगलूरू में एक व्यक्ति की हत्या कर दी
-22 मई को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अलग अलग वारदात में 6 लोगों को मार दिया गया।
-10 मई को भीड़ ने दो लोगों को मार डाला
-10 जुलाई 2017को हरियाणा के रेवाड़ी जिले में पशुओं की तस्करी कर ले जा रहे माफिया को चेक पोस्ट पर रोके जाने पर पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी।