बिसाड़ा कांड और हिन्दू-मुस्लिम रिश्तों की हकीकत बयां करेगी डॉक्यूमेंट्री फिल्म “द ब्रदरहुड”
दादरी के बिसाहड़ा कांड ने पूरी दुनिया के सामने हिन्दू और मुस्लिमों के बीच रिश्तों की काली तस्वीर पेश की। लेकिन हकीकत इससे बिलकुल विपरीत है। ग्रेटर नोएडा में हिन्दू-मुस्लिम एकता और स्थानीय संस्कृति को पेश करती डॉक्यूमेंट्री फिल्म “द ब्रदरहुड” जल्दी रिलीज होने वाली है। डॉक्यूमेंट्री जर्नलिस्ट पंकज पाराशर ने निर्देशित की है। पंकज पाराशर कई मुद्दों पर शार्ट फिल्म और डॉक्यूमेंट्री बना चुके हैं।
करीब 24 मिनट की अवधि वाली डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत दादरी के बिसाहड़ा गांव से होती है। जहां 28 सितम्बर 2015 की रात कुछ उन्मादी युवकों ने गौ हत्या की अफवाह पर अख़लाक़ नाम के व्यक्ति की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी। डॉक्यूमेंट्री दिखाती है कि यह अकेली घटना इस क्षेत्र की वास्तविक तस्वीर नहीं है। भाटी गोत्र के हिंदुओं और मुसलमानों के इतिहास को दिखाने के लिए जैसलमेर, सोमनाथ और ग्रेटर नोएडा के इतिहास का फिल्मांकन किया गया है।
1857 के गदर से जुड़ी कई ऐतिहासिक घटनाएं “द ब्रदरहुड” में देखेंने को मिलेंगी। जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास में बड़ी जगह रखती हैं। जिनसे दोनों समुदायों के बीच ताल्लुक़ातों की गहराई पता चलती है। 1947 में आजादी के बाद बंटवारे का दुखदायी दौर लोगों को झेलना पड़ा। लेकिन भटनेर से कोई मुस्लिम परिवार देश छोड़कर पाकिस्तान नहीं गया था। डॉक्यूमेंट्री में दिखाया गया है कि किस तरह यहां के लोगों ने साथ रहना पसंद किया और मुस्लिम परिवारों को आगे बढ़कर पाकिस्तान जाने से रोक लिया था।
हालिया समय के बारे में जानकारी देने के लिए जेवर के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह का इंटरव्यू है। वह बताते हैं कि करीब 10-12 हजार मुस्लिम वोटरों ने उन्हें इस चुनाव में वोट दिया है। जबकि वह बीजेपी के उम्मीदवार थे। पूरे प्रदेश में हिन्दू और मुस्लिम वोटरों का ध्रुवीकरण हुआ लेकिन यहां भाटी हिन्दू और मुसलमानों की एकता ने उन्हें जिताया है। जेवर विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम वोटरों के इंटरव्यू हैं।
“नफरतों का देखें असर कि गाय हिन्दू हो गई और बकरा मुस्लमान हो गया” इन पंक्तियों के साथ जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह का कहना है कि, हिन्दू और मुस्लमान तो भारत माता की दो भुजाएं हैं। दोनों साथ रहकर ही इस देश का विकास कर सकती हैं। यही वह देश है जहां गौतम बुद्ध ने सबसे पहले शांति का संदेश दिया था। महात्मा गांधी ने उस दर्शन और सन्देश का दुनिया में प्रचार किया। इस सुंदर सन्देश को इस डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से आगे बढ़ाया है।
ग्रेटर नोएडा के घोड़ी बछेड़ा और बुलंदशहर जिले के तिल बेगमपुर गांव के बीच भाईचारे के रिश्तों को शानदार ढंग से पेश किया गया है। घोड़ी बछेड़ा हिन्दू ठाकुरों का गांव है और तिल बेगमपुर मुस्लिम ठाकुरों का गांव है। लेकिन घोड़ी बछेड़ा गांव तिल बेगमपुर गांव को अपना बड़ा भाई मानता है। मतलब, एक हिन्दू गांव का बड़ा भाई मुस्लिम गांव है। दोनों गांवों के बीच सुख और दुख के बेमिसाल रिश्ते कायम हैं।
गौतम बुद्ध नगर के पूर्व जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह का भी डॉक्यूमेंट्री में इंटरव्यू है। नागेंद्र प्रसाद सिंह ने बिसाहड़ा काण्ड के वक्त सकारात्मक भूमिका निभाई थी। उन्हें इसके लिए समाज के हर वर्ग से सराहना मिली थी। वह कहते हैं कि भारत की साझा संस्कृति आधुनिक विकासवाद की नींव है। एनपी सिंह ने आगे कहा, यह डॉक्यूमेंट्री आज के माहौल के लिए बेहद उपयोगी है। मुझे उम्मीद है कि ये शब्द केवल हमारी बातों में सुनने को नहीं मिलेंगे बल्कि हमारे आचरण में भी नजर आएंगे। घोड़ी बछेड़ा और तिल बेगमपुर के रिश्ते देखकर विभाजकारी तत्वों को सबक लेना चाहिए।
दादरी के विधायक तेजपाल सिंह नागर ने कहा, यह एक शानदार और सन्देश वाहक डॉक्यूमेंट्री है। सांस्कृतिक एकता को प्रदर्शित कर रही है। एक दुखद घटना ने इस क्षेत्र की छवि को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी लेकिन धरातल पर हकीकत बिलकुल अलग है। यही द ब्रदरहुड में देखकर अच्छा लगा। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है। हम सब का दायित्व है कि एकता और अखंडता को बनाए रखने में मदद करें। दादरी विधान सभा क्षेत्र में ही बिसाहड़ा गांव है।
बिसाहड़ा काण्ड के बाद सामुदायिक सद्भाव के लिए ग्रेटर नोएडा के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी ने लोगों के बीच काम किया। संस्थान के निदेशक प्रोफ़ेसर एचसी चतुर्वेदी ने कहा, भारतीय संविधान निर्मात्री सभा में 85 फ़ीसदी लोग हिन्दू थे। वे चाहते तो भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बना सकते थे। लेकिन बीआर आंबेडकर साहब की अध्यक्षता वाली उस समीति ने ऐसा नहीं किया। क्योंकि वे भारतीय संस्कृति और समाज की मूल भावना को जानते थे और उसका सम्मान करते थे। इस डॉक्यूमेंट्री की मूल भावना यही है।