आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने ढूंढ निकालें 400 करोड़ के लापता प्लॉट

ग्रेटर नोएडा। तकनीक का इस्तेमाल किस तरह से फायदेमंद साबित हो सकती है, इसका ताजा उदाहरण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में देखने को मिला है। प्राधिकरण ने वन मैप ग्रेटर नोएडा के जरिए इंडस्ट्री के 138 लापता (नॉट नोन) प्लॉट ढूंढ़ निकाले, जिनकी कीमत 400 करोड़ रुपये से भी अधिक होने का अनुमान है। इन भूखंडों के आवंटन से 1500 करोड़ रुपये के निवेश और 4000 से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलने का अनुमान है।

प्रदेश में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पहला प्राधिकरण है, जिसने वन मैप तैयार कराया है। सिंगापुर की तर्ज पर बने इस वन मैप में ग्रेटर नोएडा से जुड़ी हर एक जानकारी दी गई है। प्राधिकरण ने ट्रायल के रूप में इसका बीटा वर्जन शुरू कर दिया है, ताकि आम जन का फीडबैक मिल सके। इसका औपचारिक शुभारंभ बाद में मुख्यमंत्री के हाथों होना है, लेकिन ट्रायल में ही इसके खुशनुमा परिणाम आने लगे हैं। वन मैप के जरिए प्राधिकरण को सेक्टर ईटोकेट 6 व 11 में करीब 138 (54 प्लॉट पहले और 84 अब) औद्योगिक लापता भूखंड मिले हैं, जिनकी कीमत 400 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। इस उपलब्धि से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी गदगद हैं। प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने उद्योगों के साथ ही संस्थागत, आईटी, रिहायश और वाणिज्यिक विभागों को वन मैप के जरिए भूखंडों की छानबीन करने के निर्देश दिए हैं।

ऐसे छूट गए ये लापता प्लॉट

वन मैप ग्रेटर नोएडा के जरिए जिन लापता भूखंडों का पता चला है, माना जा रहा है कि ये वे प्लॉट हैं, जो किसी स्कीम में शामिल किए गए होंगे, लेकिन वे उस स्कीम से आवंटित नहीं हुए। वे प्लॉट बच गए। ऐसे प्लॉटों को किसी दूसरी स्कीम में शामिल किया जाना चाहिए था, लेकिन संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के चले जाने से ये प्लॉट छूट गए। अब वन मैप के जरिए प्राधिकरण को ये प्लॉट मिल रहे हैं।

कोविड के दौरान तैयार हुआ वन मैप ग्रेटर नोएडा

ग्रेनो प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने ग्रेटर नोएडा से जुड़ी हर जानकारी को आम पब्लिक तक पहुंचाने के लिए वन मैप तैयार कराने का निर्णय लिया। इसकी शुरुआत करीब डेढ़ साल पहले हुई। इसे प्राधिकरण की टीम और एनआईसी ने तैयार किया है। इसे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की वेबसाइट www.greaternoidaauthority.in से लिंक किया गया है। उस पर क्लिक करते ही सारी जानकारी आपके सामने आ जाएगी। मसलन, सिटीजन कॉलम पर क्लिक करने से ग्रेटर नोएडा में स्थित बस स्टॉप और पुलिस स्टेशन, पोस्ट ऑफिस, सार्वजनिक शौचालय कहां हैं, यह सब पता चल जाएगा। ग्रेटर नोएडा के बुक मार्क जैसे कि परी चौक, जेपी ग्रींस, इंडिया एक्सपो मार्ट, सिटी पार्क आदि कहां हैं। सेक्टर में स्थित एक-एक प्लॉट और उसके आवंटी का ब्योरा भी आप वन मैप से देख सकते हैं। आवासीय, इंडस्ट्री, संस्थागत, वाणिज्यिक, आईटी आदि  के कितने भूखंड खाली हैं, इसे भी आप यहां देख सकते हैं और अपनी जरूरत के हिसाब से स्कीम के जरिए आवेदन कर प्लॉट भी पा सकते हैं।

सिंगल प्वाइंट डाटा कलेक्शन पर काम करता है वन मैप

वन मैप ग्रेटर नोएडा सिंगल प्वाइंट डाटा कलेक्शन पर काम करता है। वन मैप ने सभी विभागों का डाटा एक जगह कर दिया है। प्राधिकरण के प्लानिंग सेल से ले आउट लेकर ड्रोन से मिले डाटा पर प्रोजेक्ट कर दिया जाता है। वन मैप, ले आउट और एमआईएस (मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम) के डाटा से मिलान करता है, जिन भूखंडों का मिलान नहीं हो पाता उनको खाली भूखंडों की सूची में डाल देता है, जिससे प्राधिकरण को आसानी से खाली प्लॉटों के बारे में पता चल जाता है। सीईओ या अन्य सीनियर अफसर जब चाहें (24 घंटे सातों दिन) इसे देख सकते हैं। प्राधिकरण सैटेलाइट के साथ ही ड्रोन के जरिए शहर के इमेज व डाटा स्टोर कर चुका है।

खजाने से कम नहीं ये प्लॉट, कर्ज घटाने में मिलेगी मदद

बीते कुछ वर्षों में ग्रेटर नोएडा में निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ा है। उद्यमी, संस्थागत, रिहायश, सभी तरह की संपत्ति में लोग निवेश करना चाहते हैं। प्राधिकरण इनके लिए जमीन जुटाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में इन खाली भूखंडों के हाथ लगने से बहुत मदद मिलेगी। ये किसी खजाने से कम नहीं हैं। प्राधिकरण को इन भूखंडों के आवंटन से होने वाली आमदनी के जरिए अपने कर्ज को और कम करने में मदद मिलेगी।


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