जहां कुछ विकसित देशों में बड़ी संख्या में रोजगार के निर्माण में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान है, वहीं भारत के कृषि-से-गैर-कृषि-रोजगारों की ओर बदलाव को आगे बढ़ाने की क्षमता सेल्स में है। 10 नियामक सुधार के साथ सेल्स क्षेत्र में इतनी क्षमता आ जाएगी कि वह दिल्ली-एनसीआर में करीब 7 लाख और देशभर में 1 करोड़ रोजगार पैदा कर सकें। इन आवश्यक नियामक सुधारों में 44 केंद्रीय श्रम कानूनों का 4 श्रम कोड में एकीकरण करना, यूनिक एंटरप्राइज नंबर (यूईएन) का प्रावधान, कर्मचारी की तनख्वाह की पसंद का प्रावधान, पीपीसी के अनुरूप पोर्टल, फैक्ट्रीज संशोधन विधेयक 2016, लघु कारखाना अधिनियम, ठेका श्रमिक संशोधन और नियामक विधेयक 1970, औद्योगिक विकास विधेयक 1947 में संशोधन, ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 संशोधन विधेयक और मॉडल शॉप्स एंड इस्टेब्लिशमेंट एक्ट को अपनाना शामिल है। इन सुधारों के बिना भी यह क्षेत्र अगले 3 साल में सेल्स के क्षेत्र में कम से कम 1,75,000 नई नौकरियों का सृजन करेगा।
इसके साथ ही यदि सभी क्षेत्रों में नौकरियों में लोगों की नियुक्ति की बात करें, तो शहर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ता नजर आता है। आगामी वित्त वर्ष में शहर में रोजगार के नजरिए से 17 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। दिलचस्प बात यह है कि नौकरी की तलाश कर रहे 32 फीसदी लोग अपना कॅरियर शुरू करने के लिए दिल्ली को सबसे बेहतर जगह मानते हैं।
विश्लेषण के अनुसार गहराई से किए गए अध्ययन से पता चलता है कि इस समय दिल्ली में सभी क्षेत्रों में 3,43,000 सेल्स प्रफेशनल हैं। यह देश में कुल 1.5 मिलियन सेल प्रोफाइल्स का 33 प्रतिशत है, लेकिन मैक्रो इकनॉमिक, रणनीतिक और तकनीकी कारकों जैसे जीएसटी, एफडीआई, डिजिटाइजेशन और कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) के संयोजन से इस प्रोफाइल में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। रिटेल स्टोर की जगह 5 मिलियन वर्ग फीट बढ़ने के साथ ही दिल्ली के रिटेल सेक्टर में सेल्स के क्षेत्र में प्रतिभाशाली कर्मचारियों की काफी मांग होगी। दूसरे सेक्टर, जैसे हाॅस्पिटैलिटी और प्रॉपर्टी से संबंधित क्षेत्रों में सेल्स पर्सनल की काफी मांग देखी जायेगी।
अगर नियोक्ताओं के नजरिए से देखा जाए तो नियोक्ता संभावित सेल्स कर्मचारी से बहुत जल्दी सीखने, हर हालात में अपने को ढालने, पारस्परिक कौशल, भावनात्मक बौद्धिकता, विवादों और झगड़ों के समाधान की क्षमता और आत्मदृढ़ता जैसे कौशल और गुणों की अपेक्षा करते हैं।
साथ ही इस विश्लेषण पर प्रतिक्रिया करते हुए टीम लीज कंपनी के हेड ऑफ नॉर्थ बिजनेस मयूर सारस्वत ने कहा, “शहर में इस समय काफी उत्साहजनक माहौल है क्योंकि सभी क्षेत्रों में विकास काफी तेजी से हो रहा है। दिल्ली में नियोक्ता अन्य शहरों की अपेक्षा सेल्स प्रफेशनल्स को कम से कम 30 फीसदी प्रीमियम ज्यादा देते हैं, जिससे दिल्ली सेल्स के क्षेत्र में नौकरी चाहने वालेवालों की पहली पसंद बनता जा रहा है। कंपनी की इस मौके से लाभ उठाने की क्षमता सेल्स कर्मचारियों की ज्यादा प्रॉडक्ट्स की बेहतर और तेजी से बिक्री करने की क्षमता पर निर्भर रहती है, जिससे किसी उत्पाद की डिमांड बढ़ती है। इससे सेल्स अनिवार्य रूप से बेहतर और ज्यादा शक्तिशाली प्रोफाइल बनता है।“
वही उनका कहना है की इंडस्ट्री में तेजी से हो रहे बदलाव, मार्केट के विस्तार, उपभोक्ता विकास, उपभोक्ताओं तक पहुंच और राजस्व में बढ़ोतरी से बिजनेस मॉडल काफी तेजी से उभर रहे है। इसके साथ ही विभिन्न सेक्टरों में सेल्स की भूमिका भी बढ़ती जा रही है। वर्ष 2025 तक भारत विश्व का पांचवा सबसे बड़ा उपभोक्ता उत्पादों का बाजार बनने के लिए तैयार है। इसी के अनुरूप बिजनेस मॉडल पर इसका असर पड़ेगा। अप्रैल 2000 और मार्च 2017 में 77 हजार करोड़ के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के साथ एफडीआई के प्रवाह के परिणामस्वरूप अगले 3 सालों में धीरे-धीरे 200 हजार नौकरियों का सृजन होगा। इसी तरह रिटेल और कॉमर्स सेक्टर में अगले 3 सालों में धीरे-धीरे 350 हजार नौकरियां उत्पन्न होगी। एफएमसीजी सेक्टर में जिन प्रोफाइल की सबसे ज्यादा मांग रहेगी, उसमें सेल्स रिप्रेजेंटेटिव, बिजनेस डिवेलपमेंट ऑफिसर, सेल्स कार्डिनेटर, टेरिटरी सेल्स इंचार्ज शामिल है। इससे धीरे-धीरे 71.7 हजार नौकरियां बढ़ेंगी। हालांकि एफएससीडी में 60.6 हजार धीरे-धीरे विकसित होने वाली नौकरियों में क्लस्टर मैनेजर, ट्रेड सेल्स मैनेजर, इनसाइड सेल्स, सेल ट्रेनर्स, कैटिगिरी मैनेजर जैसे प्रोफाइल्स की काफी डिमांड रहेगी। रिटेल सेक्टर में धीरे-धीरे स्टोर मैनेजर, चैनल सेल्स स्पेशलिस्ट, रिलेशनशिप मैनेजर, सेल्स एक्जिक्यूटिव और प्रमोटर जैसे प्रोफाइल के लिए 69 हजार नौकरियों का सृजन होगा।