क्या स्तन कैंसर दोबारा भी हो सकता है

 डॉ. पवन गुप्ता, एडिशनल डायरेक्टर, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, जेपी हॉस्पिटल, नोएडा क्या स्तन कैंसर दोबारा भी हो सकता है? भारत में हर 28 महिलाओं में से एक महिला को स्तन कैंसर होता है। स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएं जिन्होंने अपने जीवन में एक बार कैंसर को हरा दिया है, वे प्रायः चिंतित रहती हैं कि क्या यह बीमारी उनको दोबारा भी हो सकती है। चिकित्सकीय आंकड़ों की सच्चाई यह है कि उन महिलाओं में से 7 से 10 प्रतिशत महिलाओं को दोबारा स्तन कैंसर होने की संभावना होती है। चिकित्सकीय संस्थान द्वारा ईलाज में बरती गई लापरवाही या मरीज की लापरवाही के कारण यह बीमारी दोबारा हो सकती है। विश्व स्तन कैंसर माह के अवसर पर ये महत्वपूर्ण बातें जेपी हॉस्पिटल के सर्जिकल आनकोलॉजी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. पवन गुप्ता ने कही।डॉ. पवन गुप्ता के अनुसार, “अधिकांश महिलाएं जिनको यह बीमारी हुई है उनके परिवार में इससे जुड़ा कोई इतिहास नहीं देखा गया। परिवार की किसी महिला सदस्य को स्तन कैंसर है तो इसका मतलब यह नहीं है कि अन्य महिला सदस्यों को भी यह बीमारी हो सकती है। कुछ ऐसे जीन हैं जो स्तन कैंसर के खतरे को बढ़ाने का काम करते हैं उनमेंBRCA 1 एवं BRCA 2 प्रमुख हैं। स्तन कैंसर से पीड़ित सिर्फ दस फीसदी महिलाओं में ऐसे जीन पाए जाते हैं। आमतौर पर इस जीन के कारण महिलाओं एवं परिवार की महिला सदस्यों को युवा काल में स्तन कैंसर या गर्भाश्य कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। शरीर में हार्मोनल अंसतुनल के कारण भी स्तन कैंसर होता है।”जेपी हॉस्पिटल के कैंसर चिकित्सक डॉ. गुप्ता ने कहा, “पीड़िता ने किसी स्वास्थ्य संस्थान में स्तन कैंसर का ईलाज कराया, ईलाज प्रक्रिया के दौरान चिकित्सक कैंसर के फैलाव का सही अनुमान लगाने में सफल नहीं हो पाए अथवा सर्जरी द्वारा बीमारी को पूरी तरह ठीक नहीं किया गया तो यह बीमारी दोबारा भी हो सकती है। इसी तरह कीमोथेरेपी, रेडियोलॉजी द्वारा मरीज का ईलाज तो किया गया लेकिन बीमारी पूर्ण रूप से ठीक नहीं हुई तो यह दोबारा हो सकती है। इसके साथ ही मोटापा, तनावपूर्ण जीवनशैली, हार्मोनल अंसुतलन, तंबाकू, एल्कोहल, आदि के सेवन से भी यह बीमारी हो सकती है। चिकित्सकीय वैज्ञानिक इस बात पर भी एकमत हैं कि लापरवाह जीवनशैली, उच्च रक्तचाप, शारिरिक शिथिलता, विटामिन-डी की कमी, हेपेटाइटिस वायरस एवं 3,6,7 स्तरीय प्लास्टिक का उपयोग करने के कारण स्तन या अन्य कैंसर हो सकते हैं।”डॉ. पवन गुप्ता ने यह भी बताया, “एक सत्य यह भी है कि 30 वर्ष से अधिक उम्र की वे महिलाएं जो किसी कारणवश मां नहीं बन पाती हैं अथवा वे महिलाएं जो शिशु को स्तन पान नहीं कराती हैं उनको इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है। जिन युवतियों को माहवारी 12 वर्ष की उम्र से पहले या जिन महिलाओं को रजोनिवृत्ति 55 वर्ष से अधिक की उम्र में होती है उनको स्तन कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। स्तन में गांठ, बगलों में गांठ, स्तन की त्वचा का मोटा होना, स्तन में सूजन, स्तन की त्वचा का लाल होना, स्तन में खून या पानी/मवाद जैसे तरल पदार्थ का रिसना स्तन कैंसर के लक्षण हैं।”जेपी हॉस्पिटल के कैंसर विशेषज्ञ डॉ. गुप्ता ने आगे बताया, “वर्तमान में स्तन कैंसर के ईलाज की कई उन्नत पद्धति है जिसके द्वारा कैंसर के प्रसार का सही पता लगाया जा सकता है और कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सकता है। ऐसी ही एक प्रसिद्ध पद्धति है मोलिक्युलर पद्धति, जिससे चिकित्सक यह पता लगाने में पूर्णतः सफल होते हैं कि दोबारा स्तन कैंसर होने की कितनी उम्मीद है। जेपी हॉस्पिटल में इस पद्धति द्वारा अब तक अनेकों मरीजों की जिंदगी बचाई गई है।डॉ. पवन गुप्ता ने यह भी कहा कि यह गंभीर बीमारी न हो इसके लिए महिलाओं को पूरी तरह सचेत होकर ऊपर लिखी बातों का ध्यान रखना चाहिए एवं किसी भी तरह के लक्षण की अवस्था में तुरंत चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।

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