अब अधूरे विकास कार्यों को पूरा करने पर जोर

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ग्रेटर नोएडा। लोकसभा चुनाव सकुशल संपन्न होने के बाद अधिकारियों ने चैन की सांस ली है, लेकिन अब उन पर चुनाव के कारण प्रभावित विकास कार्यों को पूरा करने की टेंशन बढ़ गई है। कई विभागों के विकास कार्य अधूरे हैं, जो चुनावी व्यस्तता के चलते पूरे नहीं हो सके थे। अब अधिकारियों को इन्हें पूरा करने की चुनौती होगी।
ग्राम्य विकास विभाग से जुड़े कई विभागों में प्रदेश सरकार द्वारा जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं के तहत मिले लक्ष्य को 31 मार्च तक पूरा करना था। लेकिन फरवरी में लोकसभा चुनाव आचार संहिता लगने के कारण सभी विकास कार्य बंद कर दिए गए थे। सभी विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों को चुनाव में लगा दिया गया था। गुरूवार को लोकसभा चुनाव सकुशल संपन्न होने के बाद अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। लेकिन अधिकारियों के उपर अधूरे विकास कार्य को पूरा करने की जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। समाज कल्याण विभाग, ग्रामोद्योग विभाग, जिला पंचायती राज विभाग, प्रोबेशन विभाग और डीआरडीए सहित डूडा विभाग में जनकल्याणकारी योजनाएं अधूरी रह गई हैं। लक्ष्य से सबसे अधिक पीछे जिला पंचायती राज विभाग है। विभाग को गांव में शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन चुनाव के चलते नहीं पूरा हो सका था। विभाग को इन्हें पूरा करने का दबाव होगा। अनुसूचित जाति जन जाति वित्त विभाग द्वारा रोजागार के लोन दिए जाते हैं, जो स्वीकृत हैं, लेकिन पैसा जारी नहीं किया गया था। ग्रामोद्योग विभाग द्वारा भी सीएमआरवाई और प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत लाभार्थियों का चयन किया गया है। जिन्हें लघु उद्योग के लिए ऋण दिया जाना है। डीआरडीए विभाग ग्राम इंदिरा आवास बनाया जाना है। जबकि डूडा विभाग आश्रय योजना के तहत आवास बनाया जाना है। मुख्य विकास अधिकारी आर.पी. मिश्र ने बताया कि अधूरे विकास कार्यों को जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
अब तूल पकड़ेगा स्काॅलरशीप मामला
ग्रेटर नोएडा। लोकसभा चुनाव के चलते शांत पड़े स्टूडेंट्स स्काॅलरशीप को लेकर अब धरना प्रदर्शन तेज करेंगे। स्टूडेंट्स को एग्जाम फार्म भरना है, जिससे पहले काॅलेज मैनेजमेंट फीस जमा करने का दबाव बना रहा है। वहीं, डीएम के निर्देश पर गठित कमिटी भी स्काॅलरशीप में फर्जीवाड़े की शिकायत की जांच शुरू कर देगी।
उल्लेखनीय है कि जिला समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को मार्च माह में वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए करीब 100 करोड़ रुपए स्काॅलरशीप और फीस रीफंड के लिए शासन ने दिया था। इस फंड को स्टूडेंट्स के खाते में ट्रांसफर किया जाना था, जिसके लिए समाज कल्याण विभाग ने डीएम से परमिशन मांगी थी। चीफ डिवेलपमेंट आॅफिसर आरपी मिश्र के जरिए फाइल डीएम तक पहुंची थी, लेकिन डीएम ने किसी व्यक्ति द्वारा फर्जी स्टूडेंट्स को लाभांवित किए जाने की शिकायत पर फंड को स्टूडेंट्स के खाते में ट्रांसफर करने की परमिशन नहीं दी थी और फंड को सरेंडर कर दिया गया था। इस घटनाक्रम के बाद स्टूडेंट्स की चिंता बढ़ गई है। इसमें सबसे अधिक अनुसूचित जाति के स्टूडेंट्स को परेशानी होने वाली है। इन स्टूडेंट्स का एडमिशन जीरो बैलेंस पर किया गया है। जबकि अन्य कटेघरी के स्टूडेंट्स ने फीस जमा कर दिया है। चूंकि शासन से 45 दिन के अंदर फीस का पैसा मिलने का प्राविधान है, लेकिन अब यह फंड वापस चले जाने के कारण एससी स्टूडेंट्स को लाभ मिलने में देरी होगी। लिहाजा जनपद में करीब 8 हजार एससी स्टूडेंट्स को अपनी जेब से फीस जमा करने का दबाव काॅलेज मैनेजमेंट द्वारा डाला जाने लगा है। एनुअल एग्जाम के लिए फार्म भी भरे जाने हैं। इसलिए काॅलेज मैनेजमेंट स्टूडेंट्स पर दबाव बनाना शुरू कर दिए हैं। स्टूडेंट्स द्वारा गत दिनों डीएम और समाज कल्याण विभाग को ज्ञापन भी सौंपा गया था। लेकिन चुनाव के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी थी। अब चुनाव संपन्न होने के बाद स्टूडेंट्स अपनी समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन तेज करेंगे। वहीं, सीडीओ आरपी मिश्र ने बताया कि डीएम ने निर्देश पर गठित कमिटी द्वारा जल्द से जल्द जांच पूरी की जाएगी, ताकि स्टूडेंट्स का फंड शासन से मंगाकर उन्हें लाभांवित किया जा सके।

 

परिणाम के लिए एक महीने का इंतजार
-सभी प्रत्याशी खुद को जीता हुआ मान रहे अभी
ग्रेटर नोएडा। गुरूवार को प्रत्याशियों की किस्मत को जनपद के मतदाताओं ने मत पेटिका में कैद कर दिया। अब एक महीने बाद प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा, जब 16 मई को मतगणना होगी। चुनाव कौन जीतेगा, अभी यह कह पाना काफी मुश्किल है, लेकिन अभी सभी प्रत्याशी खुद को जीता हुआ मान रहे हैं।
गुरूवार को जिले में वोटिंग हुई। जिले में 24 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशी रमेश चंद तोमर और पीस पार्टी प्रत्याशी सरफूद्दीन के मैदान से हटने के बाद सिर्फ 22 प्रत्याशी ही मैदान में थे। इसमें भी मुख्य मुकाबला बीजेपी, एसपी और बीएसपी के बीच बताया जा रहा है। गुरूवार को सुबह सात बजे शुरू हुई वोटिंग शाम छह बजे तक चली। जबकि कई मतदान केन्द्रों पर लाइन लगने के कारण आधे घंटा अधिक समय तक वोटिंग हुई। जिले में जिस तरह से वोटिंग हुई है, उससे यह अंदाजा लगाया जाना काफी मुश्किल है कि कौन प्रत्याशी बढ़त में है। हालांकि मतदाताओं से हुई बातचीत के आधार पर एसपी और बीजेपी के बीच ही मुख्य लड़ाई मानी जा रही है। वहीं, शहरी और ठाकुर वोट बीजेपी को अधिक गए हैं। मतदाताओं ने अपना मत देकर मत पेटिका में सभी प्रत्याशियों की किस्मत को कैद कर दिया है। जिसका फैसला आगामी 16 मई को होने वाली मतगणना के बाद होगा। वहीं, सभी प्रत्याशी अभी खुद को जीता हुआ मान रहे हैं। लेकिन उनके दावों में कितनी सच्चाई है यह तो मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा।
प्रत्याशी दिन भर लेते रहे खबर
ग्रेटर नोएडा। गुरूवार की सुबह गौतमबुद्ध नगर संसदीय सीट पर शुरू हुए मतदान के बाद प्रत्याशियों टेंशन बढ़ गई। प्रमुख दलों के प्रत्याशी संसदीय क्षेत्र की स्थिति का पता लगाते रहे। अपने एजेंट के जरिए बूथ पर किसे अधिक वोट पड़ रहे हैं और कोई गड़बड़ तो नहीं हो रही है, आदि की जानकारी जुटाते रहे।
गुरूवार को वोटिंग डे होने के कारण चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी बीती रात सो नहीं सके। रात भर वोट की गणितबाजी चलती रही। अगले दिन जब वोटिंग शुरू हुई, तो प्रत्याशियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी। प्रत्याशियों द्वारा बूथों पर लगाए गए एजेंट के जरिए स्थिति की पल-पल की जानकारी ली जाने लगी। दिन भी प्रत्याशियों के फोन बजते रहे। कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं है। कहां पर फर्जी वोटिंग हो रही है। उनके पक्ष में किन बूथों पर अधिक वोट पड़ रहे हैं, आदि की जानकारी लेने में प्रत्याशी मशगूल रहे। इस दौरान देखा गया कि बीजेपी, एसपी और बीएसपी के प्रत्याशियों का बूथ मैनेजमेंट काफी बेहतर रहा। इसमें सबसे अच्छा मैनेजमेंट वीजेपी ओर बसपा का बताया जा रहा है। इन कार्यकर्ताओं द्वारा वोटर पर नजर रखने के साथ बूथ पर किसके पक्ष में अधिक वोट पड़ रहे हैं आदि की जानकारी अपने नेताओं को दी जा रही थी। बीजेपी ने सभी बूथों पर स्थानीय मतदाताओं को एजेंट बनाने में अधिक विश्वास किया था। यह भी देखा गया कि एजेंट के तौर उस बूथ क्षेत्र में निवास करने वाले मजबूत व्यक्ति को ही एजेंट बनाया गया था। जबकि बीएसपी बूथ मैनेजमेंट भी काफी अच्छा रहा।

सरकारी अस्पताल में इमरजेंसी सुविधा का इंतजार
ग्रेटर नोएडा। कासना स्थित सरकारी अस्पताल में इमरजेंसी सुविधा का क्षेत्रीय लोगों को बेसब्री से इंतजार है। अस्पताल में जनवरी में ही इमरजेंसी सुविधा मुहैया कराने की बात कही जा रही थी, लेकिन अभी तक उपकरण तक नहीं खरीदे जा सके है। वही, लोकसभा चुनाव होने के कारण इमरजेंसी सुविधा मिलने में और देरी हो रही है।
गौतमबुद्व विश्वविद्यालय के समीप 15 एकड़ क्षेत्रफल में मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल बनाया गया है। बीते वर्ष 2 अप्रैल को अस्पताल में ओपीडी शुरू कर दी गई थी। इस अस्पताल में 23 स्पेशियलिटी सहित 500 बिस्तर का आधुनिक सुविधाओं से युक्त मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण कराया जाना है। जानकारी के अनुसार, इस परियोजना पर करीब 760 करोड़ रुपए लागत आई है। इसमे सिविल, विद्युतीकरण एवं उद्यानीकरण पर करीब 533 करोड़ और मेडिकल उपकरणों और फर्नीचर खरीदने में 227 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। अभी तक 98 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। अस्पताल का प्रशासनिक भगव बनकर पूरी तरह से तैयार हो चुका है। उपस्थिति भवन एवं मुख्य अस्पताल भवन के फिनिशिंग का कार्य प्रगति पर है। जनवरी के अंत तक सभी कार्य पूरा कर करने की बात कही गई थी। जिसके बाद मेडिकल उपकरण खरीदने की प्रक्रिया तेज की जानी थी और जनवरी के अंत तक इमरजेंसी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जानी थी। वहीं, अस्पताल में 400 स्टाफों की भर्ती का निर्देश मिल चुका है। इसमे 120 डाॅक्टरों की नियुक्ति की जाएगी, जबकि 50 नर्स नियुक्त होंगी। इसके साथ दो इंजीनियर और अन्य स्टाॅफ होंगे। अस्पताल में 8 आॅपरेशन थिएटर बनाए गए हैं। अभी तक इमरजेंसी सुविधा के लिए उपकरण नहीं खरीदे जा सके हैं। इन उपकरणों को चुनाव बाद खरीदे जाने की उम्मीद की जा रही है। लेकिन जून से पहले इमरजेंसी सुविधा मिलने की कोई संभावना नहीं दिख रही है।
डिपो ने रोडवेज विभाग से मांगी 170 डीजल बसें
ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा डिपो सीएनजी बसों से तौबा करना चाहता है, इसलिए डिपो ने यूपी रोडवेज विभाग को पत्र लिखकर 170 डीजल बसों की मांग की है। डिपो को उम्मीद है कि उसकी मांग पूरी कर दी जाएगी। कुछ महीने में विभाग डिपो की डिमांड पूरी कर देगा। बसों के मिलने के बाद नोएडा-गे्रटर नोएडा के बीच कई नए रूटों पर बसों के फेरे बढ़ जाएंगे और कई नए रूटों पर भी बसें चलने लगेंगी।
ग्रेटर नोएडा डिपो के पास 78 बसें हैं और सभी बसें सीएनजी से चलती हैं। रोडवेज बसों के लिए सीएनजी अगल तरह की आती है, जिसके लिए मोरना में सीएनजी पम्प हैं। ग्रेटर नोएडा डिपो से निकलने वाली सभी बसों को सीएनजी भरवाने के लिए पहले नोएडा जाना पड़ता है। सीएनजी भरवाने के बाद बसें अपने रूट पर रवाना होती हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए ग्रेटर नोएडा डिपो द्वारा रोडवेज विभाग से 170 डीजल बसों की मांग की गई है। जिससे नोएडा-ग्रेटर नोएडा के लोगों को कई बड़े शहरों के लिए सीधी बस सेवा की सौगात मिल सकती है। रोडवेज डिपो के अधिकारियों ने हेड ऑफिस को डीजल बसों की डिमांड भेजी रखी है। डीजल बसे मिल जाती है तो, फिर दोनों डिपो से बड़े-बड़े शहरों के लिए सीधी बस सेवा शुरू की जाएगी। डीजल बस मांगने का एक कारण सीएनजी गैस के कीमत के लगातार वृद्वि होना भी है। ग्रेनो डिपो के एआरएम सतेन्द्र कुमार वर्मा ने बताया कि कुछ महीने पहले रोडवेज को नोएडा-ग्रेटर नोएडा डिपो के लिए 170 डीजल बसों की डिमांड भेजी गई है। उम्मीद है कि बसें जल्दी मिल जाएंगी। अगर डीजल बसें मिल जाती है तो, दोनों शहर में ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था काफी मजबूत हो जाएगी। उन्होंने बताया कि डीजल बस आने से दूर और बड़े शहरों के लिए सीधी बस सेवा शुरू की जाएगी। साथ ही नोएडा ग्रेटर नोएडा और दिल्ली के बीच कई नए रूटों पर बस सेवा शुरू की जाएगी।
जिले में 60.3 फीसदी हुई वोटिंग
-दादरी में सबसे अधिक 63.37 फीसदी हुई वोटिंग
ग्रेटर नोएडा। गौतमबुद्ध नगर संसदीय सीट पर गुरूवार को मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। जिले में 66.3 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो पिछली लोकसभा चुनाव से करीब 20 फीसदी अधिक है। मतदान के दौरान कहीं पर भी कोई झड़प या विवाद की खबरें नहीं आई है। सकुशल मतदान संपन्न कराने के बाद जिला प्रशासन और पुलिस ने राहत की सांस ली है।
गौतमबुद्धनगर संसदीय क्षेत्र में 453 मतदान केन्द्रों पर मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया। जिले को 19 और 100 सेक्टरों में बांटा गया था। इसके साथ ही 93 स्टेट्रिक मजिस्ट्रेट, 114 माइक्रो आब्जर्वर लगाये गए थे। जिले के 40 मतदान केन्द्रों की वेब कास्टिंग की गई थी। जिले में 90 केन्द्र ऐसे थे जहां पर पीएसी बल तैनात की गई थी। जबकि इंटर स्टेट 19 बार्डर बनाये गये थे, जहां पर पैरामेलिट्री फोर्स तैनात थी। गुरूवार को सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ। इससे पहले राजनीतिक दलों के सामने माॅक पोल किया गया, ताकि वोटिंग में कोई शिकायत न आए। देहात क्षेत्र में सुबह से लम्बी कतारें लगनी शुरू हो गई थी। मतदाताओं में वोट देने को लेकर काफी जोश देखा गया। महिला, युवक, युवतियां और वृद्धों में वोट को लेकर उत्साह देखते ही बन रहा था। दोपहर एक बजे तक गौतमबुद्ध नगर संसदीय सीट पर 47 फीसदी से अधिक मतदान हो चुके थे। इससे ही उम्मीद बढ़ गई थी कि इस बार वोटिंग परसेंटेज बढेगा। पिछले लोकसभा चुनाव में गौतमबुद्ध नगर संसदीय सीट पर मात्र 39.5 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो काफी कम थी। जबकि विधानसभा चुनाव में करीब 58 फीसदी वोटिंग हुई थी। लेकिन इस बार जिले में वोट प्रतिशत बढ़ कर 60.3 तक पहुंचा, जिसमें नोएडा विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 55.34 फीसदी मतदान हुआ है। जबकि यहां बीते विधानसभा चुनाव में 48.97 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस बार भी लोग घरों से निकलने में कंजूसी किए हैं। हालांकि वोट प्रतिशत के मामले में नोएडा में भी काफी सुधार हुआ है। जबकि दादरी में 62.37 फीसदी मतदान हुआ है। यहां पर पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान 58 फीसदी से अधिक वोट पड़े थे। इस लिहाज से इस बार यहां पर चार फीसदी अधिक वोटिंग हुई है। वहीं, जेवर विधानसभा क्षेत्र में 61.66 फीसदी वोटिंग हुई है। जो जिले में दूसरे नम्बर है। जेवर विधानसभा क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान 62 फीसदी मतदान हुआ था। वहीं, खुर्जा विधानसभा क्षेत्र में 59 फीसदी वोट पड़े हैं, जबकि यहां पर पिछले विधानसभा चुनाव में 64 फीसदी वोट पड़े थे। वहीं, सिकंद्राबाद विधानसभा में इस बार 61 फीसदी वोट पड़े हैं। जबकि यहां पर पिछले विधानसभा चुनाव में 60 फीसदी वोट पड़े थे। जिले में स्थित तीनों विधानसभा क्षेत्रों में शांतिपूर्वक मतदान संपन्न हो गया। जिससे पुलिस और प्रशासन ने राहत की सांस ली है।
वोटर अवेयनेस का दिखा असर
ग्रेटर नोएडा;सतेन्द्र सिंहद्ध इस बार लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। चुनाव आयोग के प्रयासों और निजी संस्थाओं की मदद के बूते ही जिले में वोट प्रतिशत में करीब 20 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह एक शुभ संकेत माने जा रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले आम चुनावों में वोट प्रतिशत काफी कम रहा है। चुनाव आयोग वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए कई तरह से प्रयास किया था। आयोग द्वारा स्वीप प्रेक्षक की जनपदों में तैनाती की गई थी, जो स्कूलों, सरकारी संस्थाओं और प्राइवेट संस्थाओं में जाकर वोटरों को अवेयर किया था। इसके साथ ही आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन विभाग द्वारा भी वोट वोट प्रतिशत को बढ़ावा देने के लिए काफी प्रयास किया था। ग्रेटर नोएडा, नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण द्वारा भी अपने क्षेत्र में वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए आरडब्ल्यूए के साथ बैठक की थी। सेक्टर में वोटर अवेयरनेस के लिए होर्डिंग्स आदि लगाए गए थे। मतदाताओं को टीवी और अखबार के माध्यम से भी मतदाताओं को जागरूक किया गया था। इस बार देश में विकास का मुद्दा भी हावी था और लोगों में महंगाई और भ्रष्टाचार के प्रति नाराजगी थी। इन सभी का परिणाम यह रहा कि इस बार वोट प्रतिशत में काफी सुधार आया है। पिछले लोकसभा चुनाव में जिले में वोट प्रतिशत 39.5 फीसदी था, जो बढ़ कर 60.3 फीसदी हो गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। अपर जिलाधिकारी चंद्रशेखर का कहना है कि वोटर अवेयरनेस कार्यक्रम को चलाने के कारण वोट प्रतिशत में बढोत्तरी हुई है। चुनाव आयोग के साथ जिला प्रशासन द्वारा किया गया प्रयास था, जो सफल रहा। उन्होंन संतोष जाहिर करते हुए कहा कि वोट प्रतिशत बढ़ने से तय है कि इस बार देश में अच्छी सरकार बनने जा रही है।

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