ग्रेनो प्राधिकरण के 30 फीसदी औद्योगिक भूखंडों की नहीं हुई रजिस्ट्री

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ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा उद्यमियों को औद्योगिक भूखंडों का आवंटन भारी पड़ने लगा है। अभी तक करीब 2250 औद्योगिक भूखंडों में मात्र 1600 भूखंडों की ही अब तक रजिस्ट्री हो सकी है। शेष भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं होने के कारण आवंटियों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। कई आवंटियों पर लाखों रुपये का जुर्माना है, जो जमीन की कीमत के बराबर हो चुका है, लिहाजा वह भूखंड को सरेंडर करना ही बेहतर मान रहे हैं।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा क्षेत्र में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर औद्योगिक भूखंडों की योजना लाई गई है। मगर इसका रिस्पांस बेहतर नहीं रहा है। प्राधिकरण द्वारा अब तक करीब 2250 औद्योगिक भूखंडों को प्राधिकरण द्वारा आवंटित किया गया है। आवंटियों को तीन या चार साल की मोहलत दी जाती है, जिसमे वह भूखंड की रजिस्ट्री कराने के साथ पॅजेशन लेते हैं और इंडस्ट्री को शुरू करते हैं। मगर ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में आवंटित इन भूखंडों की स्थिति काफी दयनीय है। प्राधिकरण के इंडस्ट्री विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, 2250 भूखंडों में से करीब 1600 भूखंडों की रजिस्ट्री की गई है। जबकि 650 भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं हो सकी है। इसमे करीब 60 फीसदी ऐसे भूखंड हैं, जो प्राधिकरण से प्राप्त मोहलत को पार कर चुके हैं और उन पर प्रतिमाह जुर्माना लग रहा है। इनमे कई ऐसे भूखंड हैं, जिन पर जुर्माने की राशि आवंटन राशि के बराबर हो चुका है। चूंकि यहां पर औद्योगिक भूखंडों की कीमत भी अधिक नहीं है और खरीददार भी नहीं हैं। इसलिए आवंटी इन्हें बेच भी नहीं पा रहे हैं। दूसरी तरफ, जो 1600 भूखंड रजिस्टर्ड हैं, उनमे से बामुश्किल 1100 पर भी इंडस्ट्री लग सकी हैं। सूत्रों की माने तो इसमे भी करीब 300 भूखंडों में लगी इंडस्ट्री मृत हो चुकी हैं। इस तरह प्राधिकरण द्वारा विकसित औद्योगिक क्षेत्र में तकरीबन 800 इंडस्ट्री ही चल रही हैं। प्राधिकरण के एसीईओ हरीश कुमार वर्मा का कहना है कि आवंटियों को नोटिस जारी करके रजिस्ट्री के लिए दबाव बनाया जा रहा है। साथ जुर्माना भी वसूला जाएगा। जो आवंटी रजिस्ट्री के लिए तैयार नहीं हैं, उनका आवंटन रद्द भी कर दिया जा रहा है।

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