दिनांक 27 DECEMBER, 2015 को भारतीय ज्ञान शोध संस्थान द्वारा आयोजित ‘‘स्वराज सभा’’ और पावन चिंतन धारा आश्रम द्वारा आयोजित ‘‘बीज मंत्र’’ विषय पर श्रीगुरु पवन जी द्वारा सत्संग

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विषय- आज दिनांक 27 DECEMBER, 2015 को भारतीय ज्ञान शोध संस्थान द्वारा आयोजित ‘‘स्वराज सभा’’ और पावन चिंतन धारा आश्रम द्वारा आयोजित ‘‘बीज मंत्र’’ विषय पर श्रीगुरु पवन जी द्वारा सत्संग और गप्प चैराहा कार्यक्रम के आयोजन के संबंध में।
महोदय,
हिसाली, मुरादनगर, गाजि़याबाद स्थित पावन चिंतन धारा आश्रम में आज दिनांक 27 DECEMBER, 2015 को आश्रम द्वारा तीन प्रमुख कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें सबसे पहले ‘‘स्वराज सभा’’, ‘बीज मंत्र’ विषय पर सत्संग कार्यक्रम और गप्प चैराहा का आयोजन किया गया।
श्ब्ींससमदहमे जव जीम चमकंहवहल ूपजी ेचमबपंस तममितमदबम जव इमींअपवतंस पेेनमे व िेजनकमदजे ंदक चंतमदजेश् विषय पर आयोजित ‘‘स्वराज सभा’’ का संक्षिप्त विवरण है-
स्वराज सभा कार्यक्रम में श्रीगुरु जी ने विवेक चिंतन सभागार में उपस्थित शिक्षकों, अभिभावकों, प्रधनाचार्यों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि बच्चों से जुड़ी ऐसी अनेक समस्याएं हैं जिनके लिए हमारी शिक्षण पद्धति में आवश्यक बदलाव की ज़्ारूरत है। यह बदलाव लाने की ताकत शिक्षकों में है जिसके लिए उन्हें अभिभावकों, प्रधनाचार्यों और विद्यालय-प्रमुख से सहयोग की आवश्यकता है। शिक्षकों और अभिभावकों को बच्चों के बारे में, उनके स्वास्थ्य, खान-पान, आचरण के बारे में अवलोकन की ज़्ारूरत है। बच्चों में जो दुर्गुण आते हैं वे ज्यादातर अभिभावकों से आते हैं, उनके द्वारा प्रयोग किए जाने वाली अभद्र भाषा के कारण हैं इसलिए बच्चों को बदलने की बजाय माता-पिता को बदलने की ज़्ारूरत है। आश्रम गप्प चैराहा, चैपाल जैसी गतिविधियों का आयोजन करता है जिसमें बच्चों के साथ उद्देश्यपूर्ण बातचीत की जाती है जिसके माध्यम से उनके दुर्गुणों को दूर करने और संस्कार-शिक्षा दी जाती है। ऐसी गतिविधियां हर स्कूल की चर्या का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। इस संदर्भ में उषा शर्मा, एसोसिएट प्रोेफेसर, एनसीईआरटी ने बताया कि हमारी कक्षाओं में तीस बच्चों के साथ तीस तरह की दुनिया आती है। हर बच्चे का समाज-सांस्कृतिक परिवेश, उसके अनुभव अलग हैं, प्रभावी शिक्षण पद्धति वही होती है जो कक्षा में उपस्थिति सभी बच्चों की इन भिन्नताओं को ध्यान में रखकर पूरा करती है।  समाज, परिवार और विद्यालयों की ऐसी नकारात्मक छवि बच्चों के सामने है कि उन्हें यह तय करना कठिन हो जाता है कि सही क्या है और गलत क्या। बच्चों और अभिभावकों के बीच संवादहीनता की स्थिति है जिसके कारण बच्चे अपने मन की बात, उलझनें साझा नहीं कर पाते। उनमें लगातार क्रोध, चिंता, अवसाद, अनिर्णयात्मकता की स्थिति बढ़ती जा रही है। इसके लिए शिक्षकों और अभिभावकों को साथ मिलकर कार्य करना होगा। स्वयं को परिवर्तित करना होगा तभी परिवर्तन आएगा और आश्रम का सूत्र वाक्य है – परिवर्तित हो परिवर्तन करो।
‘‘बीज मंत्र’’ विषय पर श्रीगुरुजी ने उपस्थित साधकों को विशिष्ट बीज मंत्र का अभ्यास कराते हुए उसके अर्थ को समझाते हुए नाद करने का तरीका भी बताया। श्रीगुरु जी ने बताया कि नासा ने इसका बहुत बृहद परीक्षण किया है और इसका वैज्ञानिक प्रभाव भी दिखाया है।  श्रीगुरु जी ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि बीज मंत्रों का नियमित अभ्यास आपके शरीर, मन व मस्तिष्क को सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है। आश्रम परिवास के सदस्यों और अन्य अतिथियों ने श्रीगुरु जी के साथ ‘‘एं ह्रीं क्लीं नमश्चण्डिकायै’’ मंत्र का अभ्यास किया।
‘‘गप्प चैराहा’’ कार्यक्रम में बच्चों को ‘‘ब्वउउनदपबंजपवद ैापसस’’ पर ज्ञानपरक जानकारी दी गई। साथ ही प्रेरणादायी कहानियों के माध्यम से उनका जीवन जीने के अनेक महत्वपूर्ण बातें बतायी गई।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि इन कायक्रमों को अपने समाचार पत्र में स्थान देकर आश्रम की विचार धारा को जन-जन तक पहुंचाने की कृपा करें।
धन्यवाद!

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