महिला प्रोफेसर ने अपने हक की लङाई लङी और उस लङाई मे प्रधामन्त्री को भी शामिल कर लिया

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NOIDA ROHIT SHARMA

 

एक महिला प्रोफेसर ने अपने हक की लङाई लङी और उस लङाई मे प्रधामन्त्री को भी शामिल कर लिया प्रधानमन्त्री ने जब मामले मे दखल दिया तो एमेटी युनिवर्सिटी और लेबर विभाग मे हङकंप मच गया और इस प्रोफेसर को सालो के बाद मिल गया इंसाफ  डा0 कविता सुरभी जो की पेशे से एक प्रोफेसर है कविता ने 2007 से लेकर 2013 तक एमिटी युनिवर्सिटी मे असिस्टेन्ट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थी लेकिन अपनी आगे की पढाई के लिए 2013 मे नौकरी छोङ दी नौकरी छोङने के बाद कविता ने अपनी ग्रेज्युटी फंड के लिए युनिवर्सिटी मे अप्लाई किया लेकिन कालेज प्रशासन ने उनको टहलाना शुरु कर दिया कविता ने लेबर कोर्ट सहित हर उस सन्सथा से मदद मांगी जो की युनिवर्सिटी से उनका फंड दिलवा सकती थी लेकिन उनकी किसी ने मदद नही करी फिर कविता ने प्रधानमन्त्री से मदद मांगी और पीएमओ कार्यालय मे मदद के लिए एक मेल करी यहा से शुरु हुई कविता के लङाई का दुसरा दौर कविता ने पीएमओ को मेल कर सारी जानकारी दी पीएमओ से 1 सप्ताह के बाद कविता के पास मेल आया और उनको मदद का भरोसा दिलाया गया साथ ही लेबर कमिश्नर से मिलने के लिए कहा गया लेकिन कमिश्नर ने भी उनकी एक ना सुनी कविता ने दोबारा पीएम को मेल करी इस बार पीएम नरेन्द्र मोदी ने लेबर कमिश्नर,एमिटी युनिवर्सिटी के मालिक अशोक चौहान को मेल करी पीएमओ से मेल मिलने के बाद दोनो सन्सथाओ मे हंङकप मच गया एमिटी युनिवर्सिटी ने तुरंत कविता को बुलाया और उनको बाकायदा ब्याज समेत 1 लाख 60 हजार का ग्रेज्युटी फंड दिया कविता का फंड 40 हजार था लेकिन पीएम की मदद के बाद उनको उसका ब्याज भी मिला कविता की माने तो अगर नीचे का तन्त्र अपना पुरा काम करे तो सब कुछ संभव है लेकिन इतने छोटे से काम के लिए उनको पीएम को दरवाजा खटखटाना पङा तब जाकर उनको इंसाफ मिला

 

 

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