म्यूजिक में ओल्ड इज गोल्ड सुखविंदर सिंह

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आज बालीवुड म्यूजिक में अपना अहम स्थान रखने वाले गायक सुखविंदर सिंह ने मणिरत्नम् की फिल्म ष्दिल सेष् का सुपर.डुपरहिट गीत ष्छैयां.छैयांष्गाकर अलग पहचान बनाई। इस गीत के लिए सुखविंदर को सर्वश्रेष्ठ गायक के फिल्म ष्फेयर अवार्डष्भी मिला था। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक सफलतम गीतों को गाकर उन्होंने श्रोताओं के दिल पर अपनी आवाज़ का नशा चढ़ाया। श्रोताओं ने उनके अलबमों को भी हाथोंहाथ लिया है। म्यूजिक का सरताज बनने के बाद उन्होंने एक्टिंग में भी हाथ आजमाया और वाहवाही पाई। हालांकि वे आज भी म्यूजिक से ही जुड़े हुए हैं। फिलहाल सुखविंदर की चर्चा सुभाष घई की मोस्ट अवेटेड फिल्म ष्कांचीष्के गीतों के कारण हो रही हैए जो म्यूजिक चार्ट पर आजकल टाप पर चल रहा है। पेश हैए सुखविंदर सिंह से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
सबसे पहले ष्कांचीष्के गीत.संगीत के बारे में बताएं।

.इस फिल्म का म्यूजिक हाल ही में रिलीज किया गया हैए जिसे लोगों ने हाथोंहाथ लिया है। दरअसलए इसकी वजह है कि सभी गाने बेहतरीन हैंए इसलिए संगीत व सिनेप्रेमियों को पसंद आ रहे हैं। मैंने ष्कांचीष्में दो गाने गाए हैंए जिनमें से एक फिल्म की शुरुआत मेंए तो दूसरा सबसे अंत में है। यानीए आप कह सकते हैं कि फिल्म में मेरी आवाज शुरू से अंत तक है। इसका टाइटल सान्ग ष्कांची रे कांचीण्ण्ण्ष् को मैंने गाया है। इस गीत को ग्रामीण इलाकों में फिल्माया गया हैए जिसमें फिल्म की नायिका को निडर और खुशहाल बताने की कोशिश की गई है। इरशाद कामिल ने बेहतरीन बोल लिखे हैंए तो गीतकार इस्माइल दरबार का संगीत का लाजवाब है। यह ऐसा गाना हैए जो वह सारी कमियां पूरी करता हैए जो आजकल के गीतों में होती हैं। यह बेहद जोशीला एवं संदेश देने वाला गाना है। मैं वादा कर सकता हूं कि यह गीत अलौकिक है।

ष्कांचीष्फिल्म के बारे में क्या कहना चाहेंगेघ्
.ष्कांचीष्एक ऐसी लड़की की प्रेरणादायक कहानी हैए जो कि करप्शन के खिलाफ सत्ता से टकराती है। दूसरे शब्दों में कहेंए तो ष्कांचीष्की कहानी भारत की एक आम लड़की की कहानी हैए जो महिला की आंतरिक शक्ति को बयां करती है। एक लड़कीए जो बिना बाहरी समर्थन के महिला की आंतरिक शक्ति को दर्शाती है। यह इतनी खूबसूरत फिल्म है और इसका गीत.संगीत इतना मोहक है कि फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होते ही यू.ट्यूब पर धूम मच गई है। केवल पांच दिनों में ही इसे 12 लाख से ज्यादा बार देखा गया। वैसे भी सुभाष घई की फिल्म का म्यूजिक तो सुपरहिट होता ही है। मेरा तो यहां तक मानना है कि बतौर डायरेक्टर ष्युवराजष्के पांच साल बाद इस फिल्म से डायरेक्शन की कमान संभालने वाले सुभाष घई की यह फिल्म भी बालीवुड को एक बेहद शानदार तोहफा साबित होगी। फिल्म में ऋषि कपूरए मिथुन चक्रवर्तीए कार्तिक आर्यनए चंदन रॉय और ऋषभ सिन्हा दिखाई देंगेए जबकि बॉलीवुड में कई स्टार्स को ब्रेक देने वाले सुभाष की इस फिल्म में भी मिष्ठी नामक नया चेहरा लीड रोल में हैं। ष्कांचीष्25 अप्रैल को रिलीज होगी।

अब आप एक्टर भी बन गए हैं। सिंगिंग में ज्यादा मजा आता है या एक्टिंग में ज्यादा मजा आयाघ्
.मुझे अभिनय में भी उतना ही मजा आयाए जितना गायन में आता है। अभिनय के क्षेत्र में कदम रखना मेरा सोचा.समझा फैसला नहीं था। मैं कहना चाहूंगा कि गायन मेरी मां हैए तो अभिनय मेरा पिता और हमें तो मां.बाप दोनों की ही जरूरत होती है। वैसे भी अभिनय और संगीत एक दूसरे से बहुत अलग नहीं हैं।

क्या आपने सोचा था कि एक दिन फिल्मों में अभिनय भी करेंगेघ्
.मैंने कभी नहीं सोचा था। लोग तो बचपन में स्कूल और कॉलेज में कभी.कभार अभिनय किए होते हैंए मैंने वह भी नहीं किया था। मैं हमेशा से सिंगर बनना चाहता था। वैसेए मेरा मानना है कि हर इंसान के अंदर एक्टर छुपा होता है। हम घर में कभी.कभी ऐसे मेहमान की सेवा कर रहे होते हैंए जो हमें पसंद नहीं होते। नाखुश होते हुए भी हम उसके सामने खुश होने का दिखावा करते हैं। वह एक्टिंग ही है।

आज चल रहे म्यूजिक रियलिटी शोज के बारे में क्या कहेंगेघ्
.यह महज एक मृगतृष्णा है। इसमें भागीदारी करके बॉलीवुड में पैर जमाने का सपना देखने वालों को आमतौर पर निराशा ही हाथ लगती हैए क्योंकि रियलिटी शोज के अधिकांश विजेताओं के पास कोई काम नहीं है। हालांकि टीवी रियलिटी शोज में भाग लेने वालों को नाम और धन मिलने की बात की जाती हैए लेकिन हमेशा उनके सपने सच नहीं होते।

लेकिन ऐसे शोज ने म्यूजिक इंडस्ट्री को कई टैलेंटेड सिंगर दिए हैंघ्
.मैं इस बात से इनकार नहीं करता कि आजकल टैलेंट हंट के माध्यम से बहुत सारी प्रतिभाएं संगीत क्षेत्र में आ रही हैंए लेकिन हमें यह देखना होगा कि उनमें से कितने आज सफल हैं। दरअसलए ऐसे शोज का कान्सेप्ट बहुत ही अच्छा हैए लेकिन हर चीज की एक सीमा होती है। जब उसकी अति होने लगेए तो उसमें थोड़ी समस्याएं सामने आती हैं। हमारे देश में चाहे खेल होंए वाद.विवाद प्रतियोगिताए अभिनयए गीत.संगीत या अन्यए यहां प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं हैं। जरूरत हैए तो बस सही प्लेटफार्म व अनुकूल माहौल प्रदान करने कीए जिसमें विभिन्न टैलेंट हंट शानदार भूमिका निभा रहे हैं। प्रतिभागियों के केवल भी यह प्रतियोगिता जीतने से ही काम नहीं चलेगाए बल्कि संगीत इंडस्ट्री में आने के बाद श्रोताओं की उनसे आशा कहीं अधिक बढ़ जाती है। जो व्यक्ति मेहनतए लगन व दृढ़ता के साथ अपने काम को अंजाम देता हैए उसके लिए काम की कमी नहीं। अब यह उन्हीं पर निर्भर है कि जितना रियाज़ व मेहनत करेंगेए उतनी सफलता प्राप्त करेंगे।

बॉलीवुड और हॉलीवुड में मिली सफलताओं का श्रेय किसे देना चाहेंगेघ्
.बेशकए संगीतकार एण्आरण् रहमान कोए क्योंकि रहमान का मेरी सफलता में बड़ा योगदान है। इसकी वजह यह है कि जब मैंने ष्थैयां थैयांष्गायाए तो सब ने मेरा मजाक उड़ायाए लेकिन वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति थेए जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया। बाद में इस गीत में कुछ बदलाव कर पुनः ष्छैयां छैयांष्के रूप में तैयार किया गया और यह मेरे जीवन का पहला सफल गीत रहा। हालांकि मैंने वर्ष 1996 में प्रदर्शित फिल्म ष्कर्माष्से ही प्लेबैक में कदम रख दिया थाए लेकिन बड़ी सफलता वर्ष 1998 में आई फिल्म दिल से के गीत ष्छैयां छैयांष्से ही मिली थी। उसके बाद तो रहमान के साथ मेरी ष्रमता जोगीष्;तालद्धए ष्कम बख्त इश्कष्;प्यार तूने क्या कियाद्धए ष्चक देष्;चक दे! इंडियाद्धए ष्हौले हौलेष्;रब ने बना दी जोड़ीद्ध जैसे गीत काफी लोकप्रिय हुए। ष्स्लमडॉग करोड़पतिष्में ष्जय होष्ने तो इंटरनेशनल पापुलरिटी दे दी। यहां तक कि मैंने स्टीवेन स्पीलबर्ग की फिल्म ष्डेंजेल वाशिंगटनष्में भी रहमान के म्यूजिक डायरेक्शन में एक लोकगीत गया है। हाल ही में रहमान के साथ वल्र्ड म्यूजिक टूर से लौटा हूं।

आज का संगीत पसंद है या पुराना म्यूजिकघ्
.मैं ष्ओल्ड इज़ गोल्डष्की कहावत को अमर मानता हूं। जिस तरह शराब जितनी पुरानी होती हैए उसका नशा उतना ही अधिक व मदमस्त कर देने वाला होता हैए ठीक उसी तरह पुराने संगीत का नशा हैए जो पुराना होने के साथ.साथ और नशीलाए मधुर व मंत्र.मुग्ध कर देने वाला हो जाता है। समय के साथ श्रोताओं की पसंद में जबरदस्त बदलाव आया हैए तभी आज के श्रोताओं पर पश्चिमी सभ्यता का अधिक प्रभाव देखने को मिलता है। इसी के चलते उनकी मांग रिमिक्सए हिप.हापए राकए जैज व तेज तर्रार संगीत की हो गई है और हमारा उद्देश्य उनकी पसंद को ध्यान में रखकर मनोरंजन प्रदान करने का हैए इसलिए ऐसा संगीत तैयार करना लाजमी है। हमारा संगीत कानफोड़ू न कभी था और न कभी होगाए चाहे फिल्में होंए पाप एलबम हो या अन्य श्रेणी का गीत.संगीत आज भी सभी वर्ग के श्रोताओं के लिए हर तरह का गीत.संगीत बाजार में उपलब्ध है। बसए जरूरत हैए तो थोड़ी मेहनत करके अच्छा गीत.संगीत तलाशने की।

और किन फिल्मों में आपको सुनने का मौका मिलेगाघ्
.डायरेक्टर चंद्रप्रकाश की फिल्म ष्जेड प्लसष्के सभी गाने न केवल मैंने गाए हैंए बल्कि सारे गाने मुझ पर ही शूट भी किए गए हैं। दूसरी फिल्म है गुलजार साहब की ष्क्या दिल्लीए क्या लाहौरष्। विशाल भारद्वाज की ष्शाहिदष्के लिए भी गाया है। एक अलबम पर भी काम चल रहा है। अगर सब कुछ ठीक रहाए तो दो माह के बाद ही वह आप लोगों के सामने होगा। इस अलबम में कुल चार गाने हैं और चारों गानों का वीडियो भी बनाया गया है।

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