सूर्याशा पाॅलिटेक्निक की शाखा खुली

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सूर्या संस्थान, नोएडा द्वारा संस्थान के स्थापना दिवस के उपलक्ष में संचालित सूर्यांषा पाॅलिटेक्निक, नोएडा द्वारा अफजलपुर निस्तौली-‘फर्रुखनगर’ (साहिबाबाद) में श्री रामप्रकार मावी, अध्यक्ष, लैंडमार्क एजूकेषन सोसायटी के माध्यम से जरूरतमंद महिलाओं के लिए एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की गई। जिसमें प्रारंभिक रूप से छः माह एवं एक वर्श के कंप्यूटर के प्रषिक्षण की नाममात्र के षुल्क पर व्यवस्था की गई है। तत्पष्चात् सिलाई-कटाई के भी प्रषिक्षण की सुविधा प्रदान की जायेगी।
सूर्यांषा पाॅलिटेक्निक की इस षाखा का उद्घाटन दिनांक अप्रैल, 2014 को साथी (सोषल एक्षन थू्र इंटिग्रेटेड), नई दिल्ली की अध्यक्ष एवं केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती मृदुला सिन्हा ने किया। उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आज की बदलती हुई सामाजिक परिस्थितियों में लड़कियों को विभिन्न प्रकार के कार्यों में से कोई न कोई प्रषिक्षण अवष्य आना चाहिए ताकि वे अपने परिवार को कुछ न कुछ आर्थिक सहयोग दे सकें। क्योंकि लड़कियाँ माता-पिता के साथ और उनके सहयोग से जो कुछ सीख लेती हैं आगे जाकर वह उनके काम आता है। परंतु इसके साथ ही उन्हें यह षिक्षा देने की भी आवष्यकता है कि विवाह के बाद उन्हें अपने परिवार में पति ननद, सास-ससुर, जेठानी-देवरानी तथा अन्य संबंधियों के साथ कैसा व्यवहार करना है। पहले लड़कियों को माँ-दादी, नानी आदि से पारिवारिक षिक्षा दी जाती थी जिससे वे नये परिवार में जाकर सहज रूप से सामंजस्य कर लेती थीं। परंतु आज इस ओर हमारा कोई ध्यान नहीं जा रहा। इस कारण से भी परिवार मेें अनेक समस्याओं और बुराईयों का जन्म हो रहा है जिसकी पीड़ा लड़कियों और महिलाओं को ही अधिक सहन करनी पड़ती है।
उन्होंने कहा कि परिवार में बच्चों को अच्छे संस्कारों और व्यवहार की षिक्षा उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने की षिक्षा के साथ दी जाय तो बच्चे जीवन जीने की अच्छा कला सीख जायेंगे। अर्थ जीवन के लिए होता है, परंतु आज हम जीवन अर्थ के लिए लगाकर सामाजिक और पारिवारिक समरसता को खंडित कर रहे हैं। आज के युवाओं को विशेषरूप से लड़कियो को परिवार की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। परिवार की उपेक्षा करके उन्हें धन से सुविधाएं तो प्राप्त हो जायेगी, परंतु वे जीवन के आत्मसुख से वंचित रह जायेंगे। उन्होंने सूर्या संस्थान की प्रषंसा करते हुए कहा कि यह संस्थान जरूरतमंद लड़कियों और महिलाओं की विभिन्न उद्योगों में व्यावसायिक प्रशिक्षण देते हुए उन्हें संस्कारों और जीवन मूल्यों को भी षिक्षा प्रदान कर रहा है जोकि आज की एक आवष्यक माँग है। सूर्या संस्थान द्वारा समय-समय पर आयोजित वैचारिक संगोश्ठियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से वे यह लाभ प्राप्त कर ही रही हैं।
सूर्या संस्थान के न्यासी डाॅ. रामषरण गौड़ ने लैंडमार्क एजूकेषन सोसायटी के अध्यक्ष श्री रामप्रकाष मावी एवं उनके सहयोगियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में परोपकार को परम धर्म कहा गया है। परोपकारियों के धन के बल से समाज-सेवी संस्थाएं जरूरतमंद लोगों का उपकार कर पाती हैं। धन तो बहुत से लोगों के पास है, भृश्टाचार के माध्यम से आज भ्रश्ट लोग करोड़ो अरबों रुपये इक्ट्टठे कर रहे हैं परन्तु परोपकार से कोसो दूर हैं। समाज सेवा से ही समाज और देष में परिवर्तन लाया जा सकता है। इसीलिए साथी संस्था ने समाज सेवा को पाँचवा स्तंभ कहा है। श्री भावी द्वारा ‘फर्रूखनगर’ के क्षेत्र में जरूरतमंद बालिकाओं और महिलाओं के व्यावसायिक प्रषिक्षण दिये जाने का उठाया गया कदम निश्चित रूप से प्रषंसनीय है।
इस अवसर पर सूर्या संस्थान के मंत्री श्री देवेन्द्र मित्तल, श्रीमती कुसुम जोषी, डाॅ. षोभा भारद्वाज, अंजना भागी, श्री आर.सी. गुप्ता, श्री विनय गुप्ता, श्री के.बी. पावा श्री ष्याम सिंह, श्री अषोक कुमार मावी, श्री आजाद सिंह , श्री मुकेष प्रधान सहित अफजलपुर निस्तौली के ग्रामीण क्षेत्र के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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