स्काॅलरशीप के फंड सरेंडर पर होने लगी राजनीतिक.

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समाज कल्याण विभाग को मिले स्काॅलरशीप के फंड को सरेंडर किए जाने का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। विभाग पर लगे फर्जीवाड़े के आरोप और उसके बाद फंड को सरेंडर किए जाने के पीछे राजनीतिक कारण होने का आरोप लगाए जा रहे हैं। जदयू के किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने जिला प्रशासन को सरकार के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि 31 मार्च को जिला प्रशासन ने स्काॅलरशीप के फंड को सरेंडर कर दिया था। यह पहला मौका है, जब स्काॅलरशीप का फंड फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने के बाद सरेंडर किया गया है। जबकि इस तरह की शिकायत अन्य जनपदों में भी की गई थी, लेकिन वहां पर फंड सरेंडर नहीं किया गया है। फंड को सरेंडर किए जाने के बाद से काॅलेजों द्वारा विद्यार्थियों को लगातार परेशान किया जा रहा है और कुछ काॅलेज तो परीक्षा में बैठने से भी रोक रहे हैं। बुधवार को जनता दल यूनाइटेड के किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनवीर तेवतिया ने बुधवार को जिलाधिकारी को एक पत्र लिखा है। जिसमें स्काॅलरशीप और फीस रीअम्बर्समेंट का फंड वापस किए जाने के पीछे राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया है। मनवीर तेवतिया का कहना है कि बीते दिनों जिलाधिकारी से शाहजहांपुर से एसपी सांसद मिथिलेश कुमार के लेटर हेड से समाज कल्याण अधिकारी कृष्णा प्रसाद पर स्काॅलरशीप के वितरण में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई थी। लेकिन सांसद द्वारा इस तरह की किसी भी शिकायत से इनकार किया गया है। सांसद मिथिलेश कुमार ने 21 अप्रैल को एक पत्र समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा है। जिसमें कहा गया है कि उनके कार्यालय द्वारा लोकसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद से अब तक एक भी लेटर जारी नहीं हुआ है। सांसद का आरोप है कि अज्ञात व्यक्ति द्वारा समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ षड़यंत्र करके उनके लेटर हैड का दुरूपयोग किया गया है और उस पर हस्ताक्षर भी जाली किए गए हैं। सांसद ने इस शिकायत की भी जिलाधिकारी से जांच करके अवगत कराने को कहा है। वहीं, मनवीर तेवतिया का कहना है कि उर्मिला और रीता कुमारी निवासी नोएडा द्वारा ई-मेल से फर्जीवाड़े की शिकायत की गई है। यह शिकायत फर्जी है। ई-मेल पर दिए गए पते पर दोनों में से कोई नहीं रहता है, जिसकी प्रशासन ने जांच करने की आवश्यकता नहीं समझी। जबकि बीजेपी प्रत्याशी डाॅ. महेश शर्मा के चुनाव अधिकारी द्वारा 28 मार्च को शिकायत की गई है। ऐसी शिकायत पर जांच बैठाई जानी चाहिए थी। फंड को सरेंडर किए जाने का कोई औचित्य नहीं था। प्रशासन की लापरवाही से करीब 35 हजार स्टूडेंट्स परेशान हैं और यदि स्टूडेंट्स कोई बड़ा हंगामा करते हैं, तो उससे प्रदेश सरकार की छवि खराब होगी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा राजनीतिक से प्रेरित होकर यह सब किया गया है, ताकि उसका राजनीतिक लाभ दिलाया जा सके। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी की जाएगी।
विभाग के सारे प्रयार रहे विफल
शासन से फंड मिलने के बाद समाज कल्याण विभाग ने डिस्ट्रिक्ट कमिटी के पास फंड को स्टूडेंट्स के अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए काफी प्रयास किया था। इसकी फाइल को जिलाधिकारी द्वारा कई बार कोई न कोई कारण बताते हुए वापस भेजी गई। जिसके बाद विभाग ने गाजियाबाद, बागपत सहित प्रदेश के अन्य जनपदों में फंड का यूज किए जाने का हवाला भी दिया और इन जनपदों के डीएम द्वारा फंड के यूज करने को लेकर जारी किया गया लेटर भी संलग्न किया गया था। जिसके आधार पर चीफ डिवेलपमेंट आॅफिसर आर.पी. मिश्र ने फाइल को स्वीकृत भी कर दी थी, लेकिन डीएम ने शिकायतों का हवाला देते हुए फंड को सरेंडर करने का फैसला लिया।



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