सामान्य वर्ग को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण पर टेन न्यूज़ ने बेनेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुमिता वैद दीक्षित से की ख़ास बातचीत
Abhishek Sharma / Video By Baidyanath Halder
Greater Noida (10/01/19) : सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण को लोकसभा और राजयसभा में बुधवार को मजूरी मिल चुकी है। इसके लिए संविधान में 103वां संशोधन किया गया था। गैर सरकारी संगठन यूथ फॉर इक्वेलिटी और कौशल कांत मिश्रा ने याचिका में इस विधेयक को निरस्त करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि एकमात्र आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता। याचिका में कहा गया है कि इस विधेयक से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है क्योंकि सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही आर्थिक आधार पर आरक्षण सीमित नहीं किया जा सकता है और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती।
बता दें कि सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हो चुका है। मंगलवार को लोकसभा में हुई लंबी बहस के बाद 323 सांसदों ने समर्थन किया था। वहीं, तीन सांसदों ने बिल का विरोध किया था। राज्यसभा में बुधवार को बिल पेश किया गया जिसके बाद पास हुआ। राज्यसभा में बिल के समर्थन में 165 मत पड़े और विरोध में सात वोट पड़े।
टेन न्यूज़ ने सवर्णों को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण को लेकर ग्रेटर नोएडा स्थित एल्डिको ग्रीन मीडोज की सचिव एवं बेनेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सुमिता वैद से ख़ास बातचीत की और इस विषय पर उनकी राय जानी।
सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, इस पर आपकी क्या राय है ?
ये जो सवर्णों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का फैसला लिया है, मेरा मानना है कि ये एक अच्छा फैसला है। अब इस फैसले के पीछे सरकार की क्या सोच है, इसपर काफी लंबी बहस हो सकती है। शयद चुनावों को मद्देनजर रखते हुए ये फैसला लिया गया है या इसके पीछे कोई और वजह है। इस फैसले पर पहले से कोई चर्चा भी नहीं की गई थी। मोदी सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले ने लोगों को काफी आश्चर्यचकित भी किया है। अचानक से ये फैसला लिया गया और इसका विधेयक भी अगले ही दिन लोकसभा में पेश हो गया।
आश्चर्य की बात यह है कि अन्य राजनैतिक दलों ने भी अपनी सहमति जताते हुए इस विधेयक को लेकर दोनों सदनों में अपनी सहमति दर्ज कराई है। विपक्षी दलों के पास सहमति देने के अलावा कोई और चारा भी नहीं था। अभी अन्य राज्यों में चुनाव संपन्न हुए हैं वहां पर बीजेपी को लोगों ने ठुकरा कर कांग्रेस पर विश्वास जताया है। तीन राज्यों में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई है। तो हो सकता है इस हार से सीख लेकर और सवर्णों का वोट अपने पक्ष में करने के लिए ये फैसला लिया गया है।
सरकार को आरक्षण को अलग रखकर देश की शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए जिससे कि लोग पढ़े-लिखें और उन्हें आरक्षण की जरूरत ही न पड़े। उन्होंने बताया कि देश की आजादी के इतने सालों बाद भी देखा जाए तो पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण मिला हुआ है लेकिन वे लोग इसका सही से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। अगर उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाए तो शायद उन्हें समझ आए कि आरक्षण असल में है क्या।