लखनऊ :– उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने ऐसा आदेश पारित किया है, जिसको पढ़कर बहुत से अधिकारियों की चेन की नींद उड़ जाएगी| उत्तर प्रदेश सरकार ने अब नई ट्रांसफर नीति लागू कर दी है।
नई ट्रांसफर नीति से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और युमना प्राधिकरण के ऐसे अधिकारियों, कर्मचारियों का ट्रांसफर होगा, जिन्होंने सोचा नही था। मतलब योगी सरकार की जारी नई ट्रांसफर नीति के मुताबिक समूह ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ व ‘घ’ वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले अब उनके विभागाध्यक्ष अपने मंत्री से अनुमति लेकर 15 जुलाई 2021 तक कर सकेंगे। इसके लिए तीस दिन का वक्त दिया गया है। सचिवालय के कर्मचारी इसके दायरे में नहीं आएंगे।
राज्य सरकार ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए 12 मई 2020 को प्रतिबंधों के साथ सभी प्रकार के तबादलों पर रोक लगा दी थी। इसके चलते पिछले साल तबादले नहीं हो पाए। नए सत्र 2020-21 के लिए विभागाध्यक्षों को 20 मार्च 2018 में निर्धारित नीति के आधार पर तबादला करने का अधिकार दिया गया है।
यूपी में विधानसभा का चुनाव वर्ष 2022 में है। इसलिए सालों से जमे कर्मियों को स्थानांतरित किया जाना भी जरूरी है। इसलिए तबादला नीति जारी होना तय माना जा रहा था। स्थानांतरण रुकवाने के लिए सिफारिश व दबाव डलवाने वाले कर्मियों पर सेवा नियमावली के तहत कार्रवाई की जाएगी।
जिलों में समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के जो अधिकारी तीन साल पूरा कर चुके हैं, उन्हें जिले के बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। मंडल में सात वर्ष की सेवा पूरी करने वाले दूसरे मंडलों में स्थानांतरित किए जाएंगे। मंडलीय व विभागाध्यक्ष कार्यालयों की तैनातियों को इसके दायरे में नहीं माना जाएगा। कार्यालयों में विभागाध्यक्ष को छोड़ कर अन्य अधिकारियों के समकक्ष पद मुख्यालय के बाहर होने पर एक विभाग में तीन साल पूरा करने वालों को स्थानांतरित किया जाएगा। जिले व मंडलों में इनकी तैनाती की अवधि शामिल नहीं की जाएगी। जिलों व मंडलों में तैनाती अवधि व विभागाध्यक्ष कार्यालयों में तैनाती की अवधि को अलग-अलग माना जाएगा।
तबादले 20 प्रतिशत तक ही किए जाएंगे। इस सीमा से अधिक जरूरत होने पर समूह ‘क’ व ‘ख’ के मामले में मुख्यमंत्री और समूह ‘ग’ व ‘घ’ में विभागीय मंत्री से अनुमति ली जाएगी। आय-व्ययक में स्थानांतरण यात्रा व्यय की मद में निर्धारित धनराशि की सीमा के अंतर्गत ही स्थानांतरण किया जाएगा, लेकिन अपरिहार्य कारणों से यदि सीमा से बाहर होने पर विभागीय मंत्री से अनुमोदन लिया जाएगा।
पति-पत्नी दोनों के सरकारी सेवा में होने पर यथासंभव एक ही जिले में तैनाती दी जाएगी। दिव्यांग कर्मी या ऐसे जिनके आश्रित परिवारीजन दिव्यांग है तो वे इस नीति के दायरे में नहीं आएंगे। ऐसे कर्मियों का तबादला गंभीर शिकायत या फिर अपरिहार्य कारणों से ही किया जाएगा। उनके अनुरोध पर पद की उपलब्धता पर उन्हें उनके गृह जिले में तैनात किया जाएगा। समूह ग के कर्मियों का प्रत्येक तीन साल पर पटल परिवर्तन किया जाएगा।