कमजोर बच्चों के आगे न बढ़ पाने के लिए हम लोग जिम्मेदार- मनीष सिसोदिया
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने 2 जनवरी, 2014 को उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की और विभाग की दयनीय स्थिति पर चिंता जताते हुए सख्त तेवर दिखाए।
बैठक के दौरान उन्हें पता चला कि दिल्ली सरकार कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए एक स्कॉलरशिप देती है। इसके तहत ट्यूशन फीस की आधी रकम दी जाती है। पर, इस योजना की बदहाली का आलम यह है कि पिछले साल केवल 7 बच्चों को इसका लाभ मिला। दरअसल, बैठक की शुरुआत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने विभाग के संगठन, कामकाज, उपलब्धियों और चुनौतियों से संबंधित एक प्रेजेंटेशन दिखाना शुरू किया। उस प्रेजेंटेशन में न तो सूचनाएं पर्याप्त थीं और न ही स्पष्ट।
मनीष सिसोदिया ने प्रेजेंटेशन आधार पर सवाल दागने शुरू किए तो अधिकारियों के पास इनका कोई सीधा जवाब नहीं था।
इसके अलावा दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग की तरफ से दिए जाने वाले कुछ अवार्ड, सम्मान आदि के बारे में भी अधिकारी स्पष्ट जवाब और अपडेट आंकड़े नहीं दे पाए।
विभाग की इस दयनीय हालत और अधिकारियों के टाल-मटोल के रवैये से नाराज मनीष सिसोदिया ने अधिकारियों को एक-दो दिन के भीतर विभाग से जुड़ी अपडेट जानकारियां देने के लिए कहा।
बैठक के दौरान पता चला कि दिल्ली में हर साल 10+2 से तकरीबन 2 लाख 65 हजार बच्चे उत्तीर्ण होते हैं। पर, आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली में केवल तकरीबन 90 हजार को ही दाखिला मिल पाता है। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में तकरीबन 70 हजार बच्चों को प्रवेश मिल जाता है। वहीं, 20 हजार बच्चे दिल्ली विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों में प्रवेश पाने में कामयाब हो जाते हैं।
इस बैठक में शामिल एक अधिकारी का तर्क था कि उत्तीर्ण होने वाले स्टूडेंट्स में से पढ़ाई में कमजोर बच्चे आगे दूसरे तरह के कामों में लग जाते हैं। इस पर मनीष सिसोदिया ने कहा, उन्हें लगता है कि पढ़ाई में कमजोर उन बच्चों की स्थिति के लिए हम लोग ही जिम्मेदार हैं। पढ़ाई में अच्छे बच्चों को तो हमें बेहतर बनाना ही है, पर असली काम तो उन बच्चों को आगे बढ़ाने का है जो कमजोर हैं।