नोएडा-दिल्ली बॉर्डर बंद करके प्रशासन कर रहा नौकरीपेशा लोगों पर अत्याचार, लोगों ने दी राय
Abhishek Sharma
नोएडा – दिल्ली बॉर्डर आज के समय में एनसीआर क्षेत्र के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग लगातार इसको खोलने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि एनसीआर की सभी कंपनियां और फैक्ट्रियां खोल दी गई हैं। ऐसे में नोएडा दिल्ली बॉर्डर बंद होने के कारण कर्मचारी अपनी नौकरी पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। रोजाना यहां जाम की स्थिति बन रही है।
इस बारे में ग्रेटर नोएडा के रहने वाले संदीप भवाल का कहना है कि जब सरकार ने रेलगाड़ी और घरेलु हवाई विमान चलाना शुरू कर दिया, लाखो श्रमिकों को बसों और ट्रेन से इधर से उधर लगातार भेजे जा रहें हैं, ऐसे हालात मे दिल्ली – नोएडा – गाजियाबाद बॉर्डर को सील करके रखने का कोई औचित्य नहीं रहा। शहर के अंदर लोग कहीं से कहीं जा सकते है पर केवल इन राज्यों के बॉर्डर पार करने से ही क्या देश मे कोरोना संक्रमण बढ जाएगा?
उन्होंने आगे कहा कि सारे विश्व के हालत को देखते हुए अब यह जाहिर है कि अब लॉक डाउन कोरोना संक्रमण का समाधान नहीं है। अब हमे कोरोना संक्रमण के साथ जीना सीखना पड़ेगा और उसके लिए हमे अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर, मास्क पहनकर, अपने आप को सैनिटाईज करके और लोगों से शारीरिक दूरी बनाकर रोजमर्रा के काम करने होंगे।
अब अधिकारियों को ये सब चीजे लोगों से कैसे कार्यकारी तरीके से पालन कराया जाए वो देखना चाहिए न कि बॉर्डर सील करके अपना और लोगों का समय और पैसा बर्बाद करके।
प्रधानमंत्री मोदी के ‘जान भी जहान भी’ आह्वान के अंतर्गत 33% कर्माचारियों के साथ औद्योगिक संस्थान और निजी क्षेत्र के दफ्तर चालू करने का अनुमती होने के बावजूद केवल अपने अपने प्रदेशों का रिपोर्टें कार्ड अच्छा दिखाने के लिए ईन चार शहरों का राजनैतिक विभाजन करके यहां पर रहने वाले लोगों को बॉर्डर पर रोक कर उनको काम पर जाने से वंचित रखने का क्या मतलब?
लोग नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद को दिल्ली का एक बृहत्तर शहर मानते हुए यहां रहते और व्यावसाय करते हैं। बॉर्डर सील किए हुए दो महीने से ज्यादा हो गए है, आज भी बॉर्डर के सील रहने से आज के परिपेक्ष्य मे यहां रहने वाले लोग गैरजरूरी निर्णय का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
ईशान आयुर्वेद इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डाॅ डी के गर्ग का कहना है कि नोएडा दिल्ली बॉर्डर को खोल देना चाहिए। दिल्ली के लोग नोएडा में नौकरी करते हैं, वहीं नोएडा – ग्रेटर नोएडा के लोग दिल्ली व गुड़गांव जाते हैं। ऐसे में जब कंपनियां खोलने के आदेश सरकार द्वारा दे दिए गए हैं और कर्मचारी कंपनी तक नहीं पहुंच पा रहा है तो फिर ऐसे आदेश का क्या फायदा है। नोएडा दिल्ली बॉर्डर को बंद करने का मतलब लोगों पर अत्याचार करने जैसा है। इस को जल्द से जल्द खोल देना चाहिए ताकि लोगों को हो रही असुविधा का सामना ना करना पड़े।