नई दिल्ली :– दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आज अणुव्रत संस्था ने अपने 73वें स्थापना दिवस पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया । इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कि अणुव्रत संस्था द्वारा किए कार्यो के बारे में मीडिया को अवगत कराना ।
वही इस कार्यक्रम को लेकर अणुव्रत विश्व भारती के अध्यक्ष संजय जैन ने कहा कि भारत की आजादी के मात्र 18 माह बाद 1 मार्च 1949 को आचार्य तुलसी ने असली आजादी अपनाओ के उद्घोष के साथ अणुव्रत आंदोलन का प्रवर्तन किया था । आचार्य तुलसी का मानना था कि जब तक भारत का नागरिक अनैतिकता, हिंसा, संप्रदायिक , विद्वेष और रूढ़िवादी सोच से आजाद नहीं होगा ।
देश के आजादी अधूरी रहेगी , आज हम आजादी की हर एक जयंती मनाने के करीब हैं । देश ने प्रगति और विकास के अनेक कीर्तिमान गढ़े हैं , लेकिन असली आजादी अभी हमारे से दूर है।
द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के कुछ माह पूर्व आचार्य तुलसी ने अशांत विश्व को शांति का संदेश जारी किया था , उसने अमेरिका की टाइम मैगजीन का भी ध्यान आकृष्ट किया था , यह संदेश था अणुव्रत जीवन शैली अपनाने का संदेश। आज विश्व बदले स्वरूप में उससे भी अधिक अशांति के दौर से गुजर रहा है ।
अणुव्रत की महत्व इसलिए आज और भी बढ़ गई है अणुव्रत आंदोलन 7 दशक से मूल्य आधारित स्वयं प्रधान जीवन शैली के महत्व को रेखांकित करते हुए जनजीवन को प्रेरित करता है , अणुव्रत के दर्शन को भारत के बाहर भी व्यापक स्वीकार्यता मिली है ।
वरिष्ठ लेखक वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज अहिंसा को शांति के आवश्यक घटक के रूप में मान्यता मिल चुकी है , अणुव्रत अनुशासन के रूप में आचार्य महाश्रमण इस संपूर्ण आदर उनको अपना अध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं । अपनी अहिंसा यात्रा के माध्यम से वे जन जन में नैतिकता ,सद्भावना और नशा मुक्ति का संदेश दे रहे हैं। हाल ही में पदयात्रा 50 हज़ार किलोमीटर की दूरी पूर्ण कर चुकी है।
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में देश विदेश में 500 अणुव्रत एम्बेसडर तैयार करने का लक्ष्य है , ये कार्यकर्ता अणुव्रत जीवनशैली के स्वयं प्रयोक्ता होंगे और जन-जन में इस जीवन शैली के प्रसार हेतु कार्य करेंगे। अलग-अलग जाति, धर्म संप्रदाय को मनाने वाले ये अणुव्रत एम्बेसडर एक आदर्श समाज रचना का रचनात्मक उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।