नेट न्यूट्रलिटी आज के युवा का अधिकार है

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नेट न्यूट्रलिटी आज के युवा का अधिकार है—

आज लोकसभा में कमाल हो गया। सत्ता पक्ष की ओर से फिर से बौख़लाहत में नया ड्रामा हो गया। प्रश्न काल के दौरान राहुल गांधी ने सीधे तोर पर “नेट न्यूट्रेलिटी” का मुद्दा उठाया और जिस पर टेलिकॉम मंत्री का हास्यपद जवाब आया कि हम सभी देशवासियों को इंटरनेट पंहुचाने के लिए प्रतिबद्ध है। अब इन्हें कौन समझाए कि “नेट न्यूट्रेलिटी” किस चिड़िया का नाम है?
असल में सुचना क्रांति में निरपेक्षता का मतलब समझना अक्सर आम जन के लिए कठिन हो जाता है परंतु मंत्री रविशंकर प्रसाद से ऐसी उम्मीद न थी।
देखा गया है टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर आज कल मनमाने ढंग से यूजर चार्जेज को मैनेज कर रहे है, जिसके चलते आज का युवा खासा परेशान है। हमारा यहाँ पर मत है कि कम्पनियाँ समान दाम पर इंटरनेट की उपलब्धता कराये और समान तरीके से उचित दाम पर साइट्स की उपलब्धता के लिए प्रतिबद्ध रहे। हाल ही में देखा गया था कि एयरटेल द्वारा कुछ निजी कम्पनियो से करार के तहत अधिक मूल्य वसूलने की बात सामने आई थी जोकि नैतिकता के आधार पर पूरी तरह गलत थी।
हम राहुल जी की बात का देश के युवाओ के हित में समर्थन करते है और सरकार को इस ओर ध्यान देने की अपील करते है। आज भारत विश्व के उन युवा देशो की गिनती में है जहां औसतन आयु 30 वर्ष के आसपास बहुतायत में है। लगभग प्रत्येक नागरिक आज इंटरनेट से जुड़ा हुआ है। फिर फेसबुक, व्हाटसप्प एव स्काइप इत्यादि उसकी रोजाना की जरूरत का हिस्सा बन चूका है। सर्विस प्रोवाइडर मनमाने ढंग से अपने फायदे अनुसार मूल्य को न बढ़ाये बल्कि समान व्यवस्था बनाये रखे। कॉर्पोरेट को लाभ सीधे जनता की जेब से पंहुचाना बेहद गलत है अतः हम नेट न्यूट्रेलिटी का समर्थन करते है । हम पुरे देश के युवा के हित में इस छेत्र में निरपेक्षता बनाये रखने की पुरजोर अपील करते है।।

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